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योगी आदित्यनाथ की उत्तराखंड में एंट्री, भाजपा की चुनावी जीत की रणनीति का अहम हिस्सा

भाजपा ने योगी आदित्यनाथ से उत्तराखंड में चुनावी जनसभाएं आयोजित करने का समय मांगा

रामनगर(एस पी न्यूज़)। उत्तराखंड में नगर निकाय चुनावों के मद्देनजर चुनावी माहौल तेजी से गरमाता जा रहा है। प्रदेशभर में राजनीतिक दल अपने-अपने प्रचार अभियानों को तीव्रता से आगे बढ़ा रहे हैं, और आगामी 23 जनवरी को होने वाले मतदान को लेकर उम्मिदवारों और नेताओं के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही है। चुनावी प्रचार-प्रसार का समय समाप्त होने से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से चुनावी जनसभाएं आयोजित करने के लिए समय मांगा है। भाजपा ने उत्तराखंड में दो से तीन स्थानों पर चुनावी जनसभा आयोजित करने के लिए योगी आदित्यनाथ को प्रदेश में बुलाने की योजना बनाई है। इसके तहत, भाजपा की ओर से उम्मीद जताई जा रही है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 20 या 21 जनवरी को प्रदेश में जनसभाएं करेंगे। भाजपा नेताओं का मानना है कि इन जनसभाओं से भाजपा को चुनावी लाभ मिल सकता है, और इस प्रयास को वे अपनी चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा मान रहे हैं। भाजपा के शीर्ष नेता, जैसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और कैबिनेट मंत्री भी मैदान में हैं, जो चुनावी प्रचार में सक्रिय रूप से जुटे हुए हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का उत्तराखंड में आना भाजपा के लिए चुनावी समीकरण को नया मोड़ दे सकता है। पार्टी का मानना है कि योगी आदित्यनाथ की जनसभाओं से चुनावी प्रचार में उत्साह का संचार होगा और भाजपा को अपने प्रतिद्वंद्वियों से आगे रहने का मौका मिलेगा। भाजपा संगठन के नेताओं का कहना है कि योगी आदित्यनाथ की रैलियों का उत्तराखंड में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। ऋषिकेश, रुड़की और हल्द्वानी जैसे प्रमुख शहरों में इन रैलियों के आयोजन की संभावना जताई जा रही है। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष कुलदीप कुमार ने इस बात का उल्लेख किया कि सीएम योगी पार्टी के स्टार प्रचारक के रूप में चुनावी अभियानों में शामिल हो रहे हैं। उनके अनुसार, योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तराखंड में भाजपा को बड़ी चुनावी जीत मिलने की उम्मीद है, और इस समय में उनका समर्थन पार्टी को बहुत लाभकारी साबित होगा। वे मानते हैं कि सीएम योगी की रैलियां भाजपा को विधानसभा चुनावों में भी गति दे सकती हैं और नगर निकाय चुनावों में पार्टी के उम्मीदवारों को अधिक समर्थन मिल सकता है।

वहीं, दूसरी ओर विपक्षी दल कांग्रेस भाजपा की इस रणनीति पर तीखा हमला कर रहा है। कांग्रेस के प्रवक्ता गिरिराज किशोर ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि जब पार्टी थक और हार जाती है, तो वह चुनाव जीतने के लिए हर संभव हथकंडा अपनाती है। उनका आरोप है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उत्तराखंड में लाने का उद्देश्य केवल भाजपा के कमजोर हो चुके चुनावी आधार को मजबूत करना है। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि भाजपा ने अपने संकट के समय में योगी आदित्यनाथ का सहारा लिया है, जो एक संभावित प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में उभर रहे हैं। गिरिराज किशोर ने कहा कि अगर भाजपा को लगता है कि यूपी के मुख्यमंत्री की जनसभाओं से उसे लाभ मिलेगा, तो यह उनके डर और घबराहट को दर्शाता है। उनका आरोप है कि भाजपा अपनी सत्ता को बचाने के लिए अब हर संभव प्रयास कर रही है, जिनमें से योगी आदित्यनाथ का आना भी एक बड़ा प्रयास है। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि भाजपा इस प्रकार की रणनीतियों से जनता को भटका सकती है, लेकिन जनता अब जागरूक हो चुकी है और उसे इस बार हर किसी का असली चेहरा देखने को मिलेगा।

इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि उत्तराखंड में नगर निकाय चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच तकरार अब और तेज हो गई है। भाजपा जहां अपने स्टार प्रचारक के रूप में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ताकत को महसूस कर रही है, वहीं कांग्रेस इसे भाजपा के अंतर्गत कमजोर चुनावी स्थिति का संकेत मान रही है। आगामी कुछ दिनों में भाजपा के चुनावी अभियान में योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति निश्चित ही भाजपा के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है। हालांकि, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल भी इस चुनावी संघर्ष में अपना पूरा जोर लगाने के लिए तैयार हैं, और इसका परिणाम 23 जनवरी को मतदान के दिन ही सामने आएगा।

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