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दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्वाचन आयोग को दी डुप्लीकेट नामों को रोकने की सख्त हिदायत

नई दिल्ली(स्वाती गुप्ता)। दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्वाचन आयोग को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि मतदाता सूची में नामों के दोहराव को रोकने के लिए तकनीकी उपायों पर विचार किया जाए। उच्च न्यायालय की कार्यकारी चीफ जस्टिस विभू बाखरु की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह आदेश उस समय दिया जब राष्ट्रवादी आदर्श महासंघ की याचिका पर सुनवाई हो रही थी। याचिका में दावा किया गया कि दिल्ली की मतदाता सूची में बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम डुप्लिकेट हैं, जो कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं। इसके साथ ही यह भी कहा गया कि अगर इस समस्या का समाधान समय रहते नहीं किया गया तो यह नागरिकों के अधिकारों के उल्लंघन के समान होगा।

इस मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि मतदाता सूची में नामों के दोहराव को खत्म करने के लिए आधुनिक तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल किया जा सकता है। याचिका में यह भी उल्लेख किया गया कि तकनीकी तौर पर फोटो सिमिलर एंट्री (पीएसई) और डेमोग्राफिक सिमिलर एंट्री (डीएसई) जैसी विधियों का उपयोग किया जा सकता है, ताकि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे। इस संदर्भ में याचिकाकर्ता ने बताया कि निर्वाचन आयोग ने अगस्त 2023 में राज्य सरकारों को इस तकनीक का इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी, लेकिन अब तक इसे लागू नहीं किया गया है, जो चिंताजनक है।

याचिकाकर्ता के अनुसार, निर्वाचन आयोग ने भले ही तकनीकी उपायों का इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी, लेकिन इसके बावजूद सरकारों ने इस दिशा में कोई गंभीर कदम नहीं उठाए। इसके परिणामस्वरूप मतदाता सूची में नामों के दोहराव की समस्या बनी रही। इस स्थिति को देखते हुए याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय से अनुरोध किया था कि आयोग द्वारा जारी निर्देशों को लागू किया जाए, ताकि मतदाता सूची को सही तरीके से अपडेट किया जा सके और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कोई नुकसान न पहुंचे। साथ ही यह भी कहा कि अगर चुनावी प्रक्रिया में इन गलतियों को नजरअंदाज किया गया तो नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।

हालांकि, निर्वाचन आयोग की ओर से पेश हुए वकील सिद्धांत कुमार ने दावा किया कि आयोग मतदाता पुनरीक्षण के लिए सभी जरूरी उपायों का पालन कर रहा है। कुमार ने यह भी कहा कि पहले ही तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल करके मतदाता सूची में नामों के दोहराव को रोकने का प्रयास किया गया है। इस पर याचिकाकर्ता की मांग को अस्वीकार किया गया, क्योंकि उनके अनुसार इस मुद्दे पर पहले ही काम हो चुका था। इसके बावजूद, हाईकोर्ट ने मामले का निस्तारण करते हुए निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि वह याचिका में उठाए गए मुद्दों पर सही समय पर विचार करें और यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में कोई भी मुद्दा फिर से उत्पन्न न हो।

इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश से यह साफ हो गया है कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। अगर मतदाता सूची में डुप्लिकेट नाम होते हैं, तो इसका सीधा असर चुनावों पर पड़ता है, और लोकतंत्र की निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न लग सकता है। निर्वाचन आयोग को अब यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह अपनी प्रक्रिया को और भी सशक्त बनाए और यह सुनिश्चित करे कि मतदाता सूची सही और अपडेटेड हो, ताकि आगामी चुनावों में कोई भी गड़बड़ी न हो।

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