प्रयागराज(एस पी न्यूज़)। महाकुंभ का आकर्षण न केवल भारत, बल्कि दुनिया भर में फैल चुका है। गुरुवार को 10 देशों के 21 सदस्यीय दल संगम में पवित्र डुबकी लगाने के लिए पहुंचेंगे। यह दल विदेश मंत्रालय के द्वारा आमंत्रित किया गया है और इसमें फिजी, फिनलैंड, गयाना, मलेशिया, मॉरीशस, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, त्रिनिदाद एंड टोबैगो और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के प्रतिनिधि शामिल होंगे। यह दल बुधवार को प्रयागराज पहुंच चुका है और अब वे अरैल क्षेत्र स्थित टेंट सिटी में रहेंगे, जो उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा तैयार किया गया है। गुरुवार सुबह 8 बजे यह दल त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाएगा और उसके बाद हेलीकॉप्टर से महाकुंभ क्षेत्र का हवाई दौरा करेगा। यह भ्रमण दोपहर 1रू30 बजे समाप्त होगा, और इसके बाद यह दल एयरपोर्ट के लिए रवाना होगा। यह आयोजन दुनिया भर के पर्यटकों को भारत की संस्कृति और धार्मिक महत्व को महसूस करने का एक बेहतरीन अवसर प्रदान करेगा।
महाकुंभ का आयोजन हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, लेकिन इस बार यह और भी खास है क्योंकि 16 जनवरी से श्संस्कृति का महाकुंभश् भी शुरू होगा। यह महाकुंभ प्रयागराज की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को दुनिया के सामने लाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इस महाकुंभ में 16 जनवरी से 24 फरवरी तक कई सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। प्रमुख मंच गंगा पंडाल होगा, जहां देशभर के प्रसिद्ध कलाकार भारतीय संस्कृति की गंगा में श्रद्धालुओं को डुबकी लगाने के लिए आमंत्रित करेंगे। यमुना और सरस्वती पंडाल भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों का हिस्सा होंगे, जहां लोककला और शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुतियां होंगी। इन आयोजनों का उद्देश्य न केवल भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को पुनः जीवित करना है, बल्कि पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति का प्रचार करना भी है।
16 जनवरी को गंगा पंडाल में बॉलीवुड सिंगर शंकर महादेवन का भव्य संगीत कार्यक्रम आयोजित होगा, जबकि यमुना पंडाल में काशी के संस्कृत विद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा ईश्वर के चरणों में श्रद्धा निवेदित की जाएगी। इस दिन सरस्वती पंडाल में नौटंकी विधा की प्रस्तुतियां भी होंगी, जिनमें पद्मश्री रामदयाल शर्मा कृष्ण और सुदामा की मित्रता को दर्शाते हुए प्रस्तुति देंगे। इन कार्यक्रमों में न केवल भारतीय कला के विविध रूपों का समावेश होगा, बल्कि यह दर्शकों को भारतीय संगीत, नृत्य और अन्य लोककला के बारे में भी नया अनुभव प्रदान करेंगे। महाकुंभ के इस हिस्से में भारतीय संस्कृति के हर पहलू को श्रद्धा और भक्ति के साथ प्रस्तुत किया जाएगा।
गंगा पंडाल में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में भारतीय शास्त्रीय संगीत की विभिन्न शैलियों का मिश्रण होगा। प्रो. ऋत्विक सान्याल द्वारा शास्त्रीय गायन, विचत्रानंदा स्वेन द्वारा ओडिशी नृत्य, और कुशल दास द्वारा सितार का प्रदर्शन होगा। इसके साथ ही शंकर महादेवन और रविशंकर के भजन कार्यक्रम का आयोजन होगा, जिससे श्रद्धालुओं को आत्मिक शांति और संतोष प्राप्त होगा। यमुना पंडाल में भी भारतीय लोक कला के कार्यक्रमों की झलक मिलेगी, जिसमें आल्हा गायन, भजन, और नृत्य जैसे कार्यक्रम होंगे। इन आयोजनों में युवा कलाकारों को भी मंच मिलेगा, जो भारतीय संगीत और नृत्य को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करेंगे।
सरस्वती पंडाल में भारतीय लोक संगीत और नृत्य की विविधता को प्रस्तुत किया जाएगा। यहाँ पर बंसी वाद्यवृंद, भजन गायन, लोक गीतों का मंचन किया जाएगा। साथ ही पद्मश्री रामदयाल शर्मा और उनकी टीम द्वारा कृष्ण-सुदामा की मित्रता को दर्शाते हुए नौटंकी प्रस्तुत की जाएगी। इस पूरे कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल श्रद्धालुओं को धार्मिक अनुभव देना है, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को भी संरक्षित रखना है। महाकुंभ का यह आयोजन न केवल प्रयागराज, बल्कि पूरे देश और दुनिया भर के दर्शकों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव साबित होने वाला है।