नई दिल्ली(स्वाती गुप्ता)। भारत का केंद्रीय बजट 1 फरवरी, 2025 को पेश किया जाएगा, लेकिन दिल्ली में चुनाव की नजदीकी को देखते हुए इस बार बजट में दिल्ली के लिए खास घोषणाओं की उम्मीद कम है। यह बजट खासतौर पर दिल्ली जैसे राज्यों के लिए राजनीति से जुड़ी वजहों से सतर्कता के साथ पेश किया जाएगा। चुनावी माहौल में सरकार आम तौर पर बड़े वित्तीय लाभ या नीतिगत बदलावों की घोषणा करने में जोखिम नहीं लेना चाहती। वहीं, दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार के खिलाफ भाजपा की ओर से कोई प्रमुख घोषणा की उम्मीद है, लेकिन यह संभावित भी हो सकती है और नहीं भी। राजनीतिक रणनीतियों को देखते हुए बजट में दिल्ली को लेकर कोई बड़ी घोषणा न हो, तो यह सरकार की चतुराई मानी जाएगी। भाजपा का मानना है कि दिल्ली के चुनावी समीकरण को देखते हुए केंद्रीय बजट में कोई भी दिल्ली-विशेष घोषणा वोटों के रुझान को प्रभावित कर सकती है, इसलिए ऐसी कोई योजना बनाने में कोई जल्दबाजी नहीं की जाएगी।
भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) ने हाल ही में एक अहम निर्देश जारी किया है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि केंद्रीय बजट में दिल्ली से संबंधित कोई भी प्रावधान नहीं होगा। दरअसल, चुनाव आयोग का यह कदम दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों के साथ केंद्रीय बजट की पेशकश की निकटता को देखते हुए उठाया गया है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि इस निर्देश का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केंद्रीय बजट में दिल्ली-विशेष कोई प्रावधान या योजना का ऐलान न किया जाए, ताकि चुनावों में निष्पक्षता बनी रहे। चुनाव आयोग का कहना है कि इस तरह की घोषणाएं वोटर्स को प्रभावित कर सकती हैं और यह चुनावों की निष्पक्षता पर सवाल उठा सकता है। इस फैसले से यह साफ हो गया है कि केंद्रीय बजट में दिल्ली के लिए कोई नई योजनाओं की घोषणा नहीं की जाएगी, ताकि चुनावी निष्पक्षता बनी रहे।
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने इस बारे में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भी बयान दिया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक दिल्ली चुनाव समाप्त नहीं होते, तब तक केंद्रीय बजट में दिल्ली-विशेष कोई घोषणा नहीं की जाएगी। चुनाव आयोग का यह कदम इस दिशा में महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे लेकर कई राजनीतिक दलों की चिंता थी कि केंद्र सरकार चुनावी लाभ लेने के लिए दिल्ली में किसी विशेष योजना की घोषणा कर सकती है। इस मुद्दे को ध्यान में रखते हुए, चुनाव आयोग ने यह कदम उठाया है, ताकि मतदाता को किसी भी तरह से प्रभावित किए बिना चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष बनाया जा सके। इसके साथ ही, चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि वह कैबिनेट सचिव को एक स्थायी निर्देश जारी करेगा, जिसमें इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि केंद्रीय बजट में कोई भी दिल्ली-विशेष प्रावधान न हो।
इस फैसले के बाद, राजनीतिक गलियारों में चर्चा का एक नया दौर शुरू हो गया है। विपक्षी दलों ने इस कदम को चुनाव आयोग की निष्पक्षता को बनाए रखने की ओर एक अहम पहल माना है, जबकि कुछ भाजपा समर्थक इसे अपनी रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं। भाजपा का मानना है कि अगर दिल्ली चुनाव के बीच में कोई बड़ी घोषणा की जाती है, तो यह न सिर्फ चुनावी माहौल को प्रभावित करेगा, बल्कि भाजपा की चुनावी रणनीति को भी नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में दिल्ली को लेकर केंद्रीय बजट में कोई बड़ी घोषणा न करना एक समझदारी भरा कदम साबित हो सकता है।
इस प्रकार, यह निर्णय दिल्ली चुनावों के निष्पक्षता और चुनाव आयोग की भूमिका को महत्व देते हुए लिया गया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी योजना वोटरों के मनोबल को प्रभावित न करे। बजट के दौरान केंद्रीय सरकार के कदमों को लेकर कई सवाल उठेंगे, लेकिन इस बार दिल्ली के चुनावी मुद्दों को लेकर बजट में कोई नया मोड़ न आता दिखे, तो यह स्पष्ट संदेश जाएगा कि चुनाव आयोग की भूमिका को पूरी तरह से महत्व दिया गया है।