नई दिल्ली(स्वाती गुप्ता़)।नई दिल्ली: दिल्ली में 2024 में वाहनों के पंजीकरण में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, हालांकि यह वृद्धि पिछले साल की तुलना में थोड़ी मामूली है। यह वृद्धि निजी वाहनों के पंजीकरण में प्रमुख रूप से देखने को मिली है, जबकि सार्वजनिक परिवहन वाहनों के पंजीकरण में गिरावट आई है। 2024 में कुल 7,09,024 वाहन पंजीकृत हुए, जो 2023 में पंजीकृत 6,57,954 वाहनों से अधिक है। इससे यह साफ होता है कि दिल्ली में व्यक्तिगत वाहन खरीदने की प्रवृत्ति बढ़ी है, हालांकि सार्वजनिक परिवहन की स्थिति अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है। खासकर, जब प्रदूषण और ट्रैफिक जाम जैसी समस्याएं पहले से ही राजधानी में गंभीर हैं, तो सार्वजनिक परिवहन की जरूरत और भी बढ़ गई है। पिछले कुछ सालों में, जैसे कि 2022 में कोरोना काल के बाद, वाहन पंजीकरण में 32.6 प्रतिशत की बड़ी छलांग देखने को मिली थी, लेकिन उसके बाद से यह वृद्धि स्थिर हो गई है। यह स्थिति एक महत्वपूर्ण संकेत है कि दिल्ली के नागरिकों की परिवहन प्राथमिकताएं बदल रही हैं, और इसका असर भविष्य में सार्वजनिक परिवहन के विकास पर पड़ सकता है।

दिल्ली में वर्ष 2024 के पहले माह जनवरी में ही 67,216 वाहनों की बिक्री के साथ वर्ष की शुरुआत हुई। यह आंकड़ा एक सकारात्मक संकेत था, लेकिन त्योहारी सीजन के दौरान अक्टूबर और नवम्बर में वाहनों की बिक्री में काफी उछाल आया, जब क्रमशः 87,988 और 83,361 वाहन पंजीकृत हुए। हालांकि, दिसंबर में यह संख्या गिरकर 43,538 रह गई, जो एक स्पष्ट संकेत है कि वाहन पंजीकरण में समय-समय पर उतार-चढ़ाव होता रहता है। दोपहिया वाहनों की बिक्री में सर्वाधिक वृद्धि देखी गई है, जहां 4,48,767 वाहन पंजीकृत हुए हैं। हल्के मोटर वाहनों, जैसे कि कार, जीप, वैन और एसयूवी में भी वृद्धि देखी गई, जिनकी संख्या 1,87,286 यूनिट्स रही। हालांकि, इन आंकड़ों के बीच एक गंभीर मुद्दा यह भी है कि दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन के पंजीकरण में गिरावट आई है, जो कि न केवल प्रदूषण बल्कि यातायात की बढ़ती समस्याओं को भी दर्शाता है।

दिल्ली में निजी वाहनों की बढ़ती संख्या और सार्वजनिक परिवहन की घटती स्थिति, दोनों ही एक बड़ी चिंता का कारण हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जल्द ही इस दिशा में सुधार नहीं हुआ, तो दिल्ली की सड़कें और भी अधिक जाम और प्रदूषण से भर सकती हैं। दिल्ली सरकार की ओर से परिवहन को आवश्यक सुविधाएं नहीं मिल रही हैं, और यही कारण है कि कई ट्रांसपोर्टर्स दिल्ली से बाहर अपनी गाड़ियां खरीदने पर मजबूर हो रहे हैं। इससे सार्वजनिक परिवहन सेवाओं पर नकारात्मक असर पड़ा है। हालांकि, एक अच्छी बात यह है कि इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़ रही है, क्योंकि नागरिक अब पर्यावरण के प्रति जागरूक हो रहे हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर सरकार की ओर से भी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जो इस दिशा में एक सकारात्मक कदम है। इस बढ़ती जागरूकता के कारण, प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।

दिल्ली की बढ़ती जनसंख्या और बढ़ते वाहनों के कारण, अब यह आवश्यक हो गया है कि सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा दिया जाए। दिल्ली में प्रीमियम सार्वजनिक परिवहन की कमी गंभीर हो सकती है, क्योंकि लोग निजी वाहन खरीदने को प्राथमिकता दे रहे हैं, और इससे ट्रैफिक जाम और प्रदूषण जैसी समस्याएं और भी विकराल हो सकती हैं। दिल्ली के परिवहन विभाग को चाहिए कि वह इस दिशा में ठोस कदम उठाए और सार्वजनिक परिवहन को बेहतर और सुलभ बनाए। इसके लिए उच्च-गति वाले मेट्रो, बसों के लिए स्मार्ट कार्ड जैसी सुविधाओं का विस्तार किया जा सकता है। इसके साथ ही, सस्ते और सुविधाजनक यात्री परिवहन विकल्पों को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए। यदि सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को बेहतर किया जाता है, तो दिल्ली में निजी वाहनों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है, और इससे प्रदूषण की समस्या में भी कमी लाई जा सकती है।