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महाकुंभ 2025 में लाखों श्रद्धालुओं का संगम दिव्यता और आस्था का अद्भुत मंज़र

प्रयागराज(एस पी न्यूज़)। पौष पूर्णिमा के दिन महाकुंभ मेले की शुरुआत हो चुकी है। इस ऐतिहासिक अवसर पर लाखों श्रद्धालु गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाने के लिए संगम तट पर पहुंचे हैं। मेले का यह आयोजन हर 12 साल में एक बार होता है, और इस बार यह महाकुंभ विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि 144 वर्षों बाद एक दुर्लभ संयोग बना है। सोमवार की तड़के से ही श्रद्धालु गंगा स्नान करने के लिए उमड़ पड़े और संगम तट पर भारी भीड़ देखी गई। इस अवसर पर हर साल की तरह विशेष आयोजन और धार्मिक अनुष्ठान होते हैं, लेकिन इस बार का महाकुंभ और भी भव्य और दिव्य प्रतीत हो रहा है। 45 दिन तक चलने वाले इस आयोजन में लाखों लोग भाग लेने के लिए तैयार हैं, और कल्पवास की शुरुआत भी आज से ही हो चुकी है। यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसी दिन से कल्पवासियों का अनुष्ठान शुरू होता है। श्रद्धालु यहां पुण्य लाभ की प्राप्ति के लिए गंगा में स्नान करते हैं, तपस्या करते हैं और सद्गति की कामना करते हैं। इसी के साथ ही साधु-संतों का जमावड़ा भी संगम तट पर देखने को मिलता है। इस साल महाकुंभ की शुरुआत में विशेष रूप से ध्यान आकर्षित कर रही है अमेरिकी व्यवसायी और एपल के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स का आगमन। उन्होंने निरंजनी अखाड़े में धार्मिक अनुष्ठान किया, जिससे महाकुंभ का महत्व और बढ़ गया है।

हर साल की तरह इस साल भी महाकुंभ के पहले स्नान पर्व से ही लाखों श्रद्धालु संगम तट पर पहुंचे। सोमवार सुबह तक 60 लाख भक्तों ने गंगा में स्नान किया और शाम तक यह आंकड़ा 1 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है। इस बार स्नान के साथ ही श्रद्धालुओं ने कल्पवास के लिए संकल्प लिया और सभी ने मोक्ष की प्राप्ति और पुण्य अर्जन के लिए प्रार्थना की। स्नान करने के बाद भक्तों के बीच गंगा की महिमा का गुणगान भी किया गया। संगम के पानी में स्नान करने के बाद, भक्तों के चेहरे पर एक दिव्यता का आभास था। उत्तर प्रदेश और बिहार सहित विभिन्न राज्यों के श्रद्धालु संगम की रेती पर आकर स्नान करने पहुंचे थे। श्रद्धालुओं ने महाकुंभ के इस पर्व को एक विशेष अवसर मानते हुए इसे अपनी आस्था और विश्वास से जोड़ा। इस मौके पर भक्तों का कहना था कि महाकुंभ में जो दिव्यता और भव्यता देखने को मिल रही है, वह पहले कभी नहीं देखी गई। इस बार की व्यवस्था और सुरक्षा को लेकर भी पुलिस और प्रशासन ने कड़ी मेहनत की है, ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।

महाकुंभ में सुरक्षा व्यवस्था भी इस बार काफी सख्त और कड़ी की गई है। एसएसपी कुंभ राजेश द्विवेदी ने बताया कि पौष पूर्णिमा और मकर संक्रांति के स्नान पर्व को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में होने के कारण सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कोई भी लापरवाही नहीं बरती जा रही है। महाकुंभ के दौरान सुरक्षा के लिए 7 स्तरीय व्यवस्था की गई है। विशेष सुरक्षा बलों जैसे एनएसजी, एटीएस और स्थानीय पुलिस ने मिलकर इस इलाके को पूरी तरह से सुरक्षित किया है। रविवार की रात 8 बजे से महाकुंभ क्षेत्र को नो व्हीकल जोन घोषित कर दिया गया था, जिससे सड़क पर वाहनों का प्रवेश पूरी तरह से बंद कर दिया गया था। इसके अलावा सुरक्षा की दृष्टि से संगम तट और आसपास के क्षेत्रों में गश्त और चौकसी बढ़ा दी गई थी। प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया कि किसी भी श्रद्धालु को कोई भी समस्या न हो और उनकी यात्रा पूरी तरह से सुरक्षित हो। महाकुंभ की शुरुआत से पहले ही सुरक्षा को लेकर सारे इंतजाम पूरे कर लिए गए थे। हर एक गतिविधि पर नजर रखी जा रही है, ताकि किसी भी असामान्य घटना से निपटा जा सके।

महाकुंभ के पहले स्नान पर्व में देश-विदेश से पहुंचे श्रद्धालु जो अपनी आस्था और भक्ति के साथ संगम में स्नान करने पहुंचे थे, उनका अनुभव अद्वितीय था। एक श्रद्धालु परमानंद सुगंधी ने कहा, “हमारी यह चाहत है कि जब भी कुंभ मेला लगे, हम यहां जरूर स्नान करने के लिए आएं। यह अनुभव बहुत ही दिव्य है।” वहीं, बिहार के आरा से आए हरिओम पांडे का कहना था कि “यह मेरा पहला कुंभ स्नान था, और मैं बहुत ही खुश हूं। सुबह 3 बजे यहां पहुंचा और स्नान किया। बाद में पता चला कि शुभ मुहूर्त 5:03 बजे से है, तो फिर से स्नान किया।” इसके बाद से उनका मन और भी संतुष्ट और आह्लादित था। इसी तरह से कई श्रद्धालुओं ने अपने अनुभव साझा किए, और हर कोई महाकुंभ की दिव्यता का गान कर रहा था। हैदराबाद से आए मनी राठौर ने कहा, “यह मेरी पहली यात्रा है, और मैं यहां की व्यवस्थाओं से बहुत प्रभावित हूं। योगी सरकार ने बहुत ही अच्छा इंतजाम किया है।” संगम में स्नान करने के बाद श्रद्धालु अपनी तृप्ति की अनुभूति कर रहे थे और वे आगे के स्नान पर्वों के लिए भी उत्साहित थे।

महाकुंभ के इस पर्व में विशेष ध्यान दिया गया है कि कल्पवास के संकल्प लेने के बाद श्रद्धालु पूरी श्रद्धा और भक्ति से पूजा-अर्चना करें। कल्पवासी पुण्य, सद्गति, मोक्ष प्राप्ति और संपूर्ण विश्व के कल्याण के लिए प्रार्थना करेंगे। महाकुंभ के इस विशेष अवसर पर भक्तों ने विशेष रूप से महादेव की पूजा की। घाटों पर हर-हर महादेव, जय श्रीराम और जय बजरंग बली के जयकारे गूंजते रहे। इस बार महाकुंभ के आयोजन में सूर्य, चंद्रमा और ग्रह-नक्षत्रों का खास संयोग है, जो इस आयोजन को और भी दुर्लभ बना देता है। 144 वर्षों बाद इस प्रकार का दुर्लभ संयोग बना है, जो भक्तों के लिए शुभ संकेत माना जा रहा है। महाकुंभ के साथ जुड़ी आस्था और विश्वास न केवल भारत, बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध हो चुका है। यहां तक कि विदेश से भी श्रद्धालु महाकुंभ में स्नान करने के लिए पहुंचे हैं, जो इस आयोजन के वैश्विक महत्व को दर्शाता है।

महाकुंभ के इस आयोजन का महत्व केवल भारत तक सीमित नहीं है। यह आयोजन पूरे विश्व में एक अद्वितीय सांस्कृतिक और धार्मिक उत्सव के रूप में माना जाता है। 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर शाही स्नान का आयोजन किया जाएगा, जिसमें हजारों साधु-संत और श्रद्धालु संगम में स्नान करेंगे। इसके साथ ही, महाकुंभ के अन्य प्रमुख स्नान पर्व जैसे कि मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा, महाशिवरात्रि आदि के दिन भी विशेष आयोजन किए जाएंगे। प्रशासन ने शाही स्नान के लिए सुरक्षा की पूरी तैयारी कर ली है। संगम की ओर जाने वाले रास्तों पर बल्लियां लगाई जा रही हैं ताकि श्रद्धालु और साधु संत सुरक्षित रूप से शाही स्नान में भाग ले सकें।

महाकुंभ 2025 का आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक भी है। यह आयोजन हमें अपनी सनातन संस्कृति और परंपराओं की याद दिलाता है, और साथ ही यह हमें यह भी बताता है कि आस्था और विश्वास के आगे सब कुछ नतमस्तक है।

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