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महाकुंभ 2025 में धर्म संसद में उठेगा सनातन बोर्ड का मुद्दा, प्रस्ताव होगा पारित

प्रयागराज(सुरेन्द्र कुमार)। महाकुंभ 2025 के आयोजन की तैयारियाँ तेज़ हो गई हैं और इस बार धर्म संसद में एक ऐतिहासिक कदम उठाया जा सकता है। आगामी 27 जनवरी को होने वाली इस धर्म संसद में सनातन बोर्ड के गठन पर विस्तृत चर्चा की जाएगी, जिसके बाद इसे लेकर एक प्रस्ताव भी पारित किया जा सकता है। इस प्रस्ताव में मठ-मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण समाप्त करने समेत कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार किया जाएगा। इसके साथ ही, सनातन धर्म को संरक्षित करने और उसकी मान्यताओं को मजबूती देने के लिए एक ठोस रूपरेखा तैयार की जाएगी। इस बैठक में देश के विभिन्न हिस्सों के संत-महंत और धार्मिक गुरु भाग लेंगे, ताकि सनातन बोर्ड के गठन के लिए एक समर्पित और मजबूत प्रारूप तैयार किया जा सके।

धर्म संसद की इस विशेष बैठक में सनातन बोर्ड के गठन के उद्देश्य पर विशेष जोर दिया जाएगा। इस उद्देश्य को लेकर प्रसिद्ध कथावाचक संत देवकी नंदन ठाकुर ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महंत रवींद्र पुरी से मुलाकात की और सनातन बोर्ड के गठन के प्रस्ताव पर विस्तृत चर्चा की। देवकी नंदन ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से महाकुंभ की पवित्र धरती से सनातन बोर्ड के गठन की मंजूरी देने की अपील की। उनका कहना था कि यह एक प्रकार से दक्षिणा होगी, जो महाकुंभ की श्रद्धा और भव्यता के अनुरूप हो। उन्होंने इस मांग को दक्षिणा के रूप में प्रस्तुत करते हुए दावा किया कि महाकुंभ की धरती दान-पुण्य की भूमि रही है, जहां राजा-महाराजाओं ने अपनी सम्पत्ति का दान किया है। ऐसे में यह समय सही है कि सनातन धर्म को संरक्षित करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया जाए।

संत देवकी नंदन ठाकुर ने आगे कहा कि महाकुंभ में दान की परंपरा सदियों से चली आ रही है और इस बार वे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से इस विशेष योजना को स्वीकृति देने की मांग कर रहे हैं। उनके मुताबिक, धर्म संसद के दौरान इस प्रस्ताव को एक मजबूत आधार मिलेगा और इससे सनातन धर्म के विस्तार और संरक्षण में मदद मिलेगी। इस संदर्भ में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महंत रवींद्र पुरी ने भी कहा कि सनातन बोर्ड के गठन का प्रस्ताव महाकुंभ के धर्म संसद में पूरी गंभीरता के साथ रखा जाएगा। इसके अलावा, मठ-मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण को समाप्त करने, धर्म की रक्षा के लिए नए कदम उठाने और सदस्यों की चयन प्रक्रिया पर भी चर्चा की जाएगी।

महंत रवींद्र पुरी ने बताया कि इस बोर्ड में सभी 13 अखाड़ों से एक-एक सदस्य लिया जाएगा और इसके साथ ही विभिन्न हिस्सों के योग्य और ज्ञानी संतों को भी सदस्य बनाया जाएगा। धर्म संसद में बोर्ड के कार्य और उसके संचालन की रूपरेखा तय की जाएगी। उनका कहना था कि इस बोर्ड का गठन सनातन धर्म को और अधिक मजबूत करेगा और मठ-मंदिरों से लेकर साधु-संतों तक के हक की रक्षा करेगा। इसके साथ ही, धर्म संसद में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी, जिसमें धार्मिक और सामाजिक सुरक्षा, शिक्षा, संस्कृति और सनातन धर्म की मान्यताओं के संरक्षण के उपायों पर विचार किया जाएगा।

संत देवकी नंदन ठाकुर और महंत रवींद्र पुरी ने इस बात का भी समर्थन किया कि इस बोर्ड का गठन एक संयुक्त प्रयास होगा, जो सनातन धर्म के अनुयायियों के हित में काम करेगा। उनका कहना था कि इस बोर्ड की स्थापना से मठ-मंदिरों के प्रबंधन और संचालन में भी सुधार आएगा, और साथ ही यह धार्मिक संस्थाओं को प्रोत्साहित करेगा ताकि वे अपनी सामाजिक और धार्मिक जिम्मेदारियों को निभा सकें।

इस ऐतिहासिक धर्म संसद का आयोजन महाकुंभ के भव्य पर्व के दौरान होगा, जो देश-विदेश से आए लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करेगा। इस धार्मिक महाकुंभ में सनातन धर्म के अनुयायियों को एकजुट करने और उनके हक की रक्षा करने के लिए एक सशक्त कदम उठाने की तैयारी की जा रही है। धर्म संसद के इस प्रस्ताव को अगर मंजूरी मिलती है, तो यह सनातन धर्म के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।

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