रामनगर(एस पी न्यूज़)। नगर पालिका चुनाव का रण बेहद दिलचस्प मोड़ पर पहुंच चुका है। राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज है और हर उम्मीदवार जीत की जंग में पूरी ताकत झोंक रहा है। इस बार का चुनावी मुकाबला बेहद रोचक बन गया है, जहां सत्ताधारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए सबसे बड़ी चुनौती उसके ही पूर्व साथी बनते नजर आ रहे हैं। भाजपा से बगावत कर निर्दलीय मैदान में उतरे नरेंद्र शर्मा ने पार्टी की रणनीतियों को मुश्किल में डाल दिया है। उनकी मजबूत पकड़ और जनसमर्थन ने भाजपा के वोट बैंक में सेंधमारी शुरू कर दी है, जिससे पार्टी की राह मुश्किल हो गई है। कांग्रेस की ओर से समर्थित उम्मीदवार भुवन चंद्र पांडेय भी चुनावी मुकाबले में जबरदस्त पकड़ बनाए हुए हैं। पूर्व विधायक रणजीत रावत के समर्थन से भुवन पांडेय को पर्वतीय इलाकों के मतदाताओं के साथ-साथ कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक और मुस्लिम समुदाय से भी समर्थन मिलने की उम्मीद है। यह समर्थन उन्हें मुकाबले में और मजबूत बना रहा है।
दूसरी ओर, चार बार के चेयरमैन रह चुके हाजी मोहम्मद अकरम इस बार कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत की सरपरस्ती में चुनाव लड़ रहे हैं। साथ ही, पूर्व ब्लॉक प्रमुख संजय नेगी, पूर्व दर्जाधारी निशांत पपनै और पुष्कर दुर्गापाल जैसे नेताओं का समर्थन भी उनके साथ है। हालांकि कांग्रेस द्वारा सीट को ओपन छोड़ने का फैसला हाजी अकरम और भुवन पांडेय दोनों की स्थिति को कमजोर कर सकता है, जिससे दोनों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। भाजपा प्रत्याशी मदन जोशी के सामने भी कड़ी चुनौती है। पार्टी के कैडर वोट उनके साथ हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या वे इन कैडर वोटों के अलावा अतिरिक्त मतदाताओं को भी अपने पक्ष में कर पाएंगे। भाजपा अभी तक पालिकाध्यक्ष का पद नहीं जीत पाई है, ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार वह अपना खाता खोल पाती है या नहीं। भाजपा के लिए सबसे बड़ी समस्या यह है कि नरेंद्र शर्मा पुराने पार्टी कार्यकर्ता होने के नाते भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाने में सफल हो रहे हैं।
निर्दलीय उम्मीदवार भुवन डंगवाल भी मैदान में पूरी मजबूती से डटे हैं। युवाओं, महिलाओं, पर्वतीय मतदाताओं के साथ-साथ सैनिक और पूर्व सैनिक समुदाय से उन्हें अच्छी उम्मीदें हैं। उनकी पकड़ और समर्थन उन्हें मुकाबले में मजबूत बनाए हुए हैं। चुनावी मैदान में पत्रकारिता से राजनीति में कदम रखने वाले हाजी आसिफ इकबाल भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि वे मतों के ध्रुवीकरण में कितने सफल होते हैं। वहीं, एक और पत्रकार आदिल खान मुस्लिम युवाओं में अपनी लोकप्रियता के चलते चुनावी समीकरणों में बदलाव ला सकते हैं। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से मैदान में उतरे एडवोकेट विनोद अंजान भी अपने परंपरागत वोट बैंक पर भरोसा कर रहे हैं। हालांकि, उन्हें कितनी सफलता मिलती है, यह चुनावी परिणाम ही बताएंगे। फिलहाल, रामनगर नगर पालिका का यह चुनावी संग्राम बेहद रोचक बन चुका है। हर प्रत्याशी जीत की रणनीति में जुटा हुआ है और समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। कौन बाजी मारेगा और किसे हार का सामना करना पड़ेगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। मगर एक बात तय है कि इस बार का चुनाव हर मोड़ पर नया रोमांच लेकर आ रहा है।