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दीपक कुमार की अगुवाई में संस्कृत भाषा और AI के संगम की नई पहल

रूडकी(एस पी न्यूज़)। संस्कृत भाषा के उन्नयन एवं प्रचार प्रसार में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की भूमिका को लेकर आईआईटी रुड़की परिसर में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। बैठक की अध्यक्षता सचिव संस्कृत शिक्षा दीपक कुमार ने की, और इसमें आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर, संस्कृत शिक्षा विभाग के अधिकारी और उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि शामिल हुए। इस बैठक में यह निर्णय लिया गया कि उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय और आईआईटी रुड़की के बीच एक मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग हस्ताक्षरित किया जाएगा, जिसके तहत ‘संस्कृत में AI के उपयोग’ पर विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जाएगी। इस कार्ययोजना में संस्कृत के अध्ययन और शोध को AI तकनीकी के माध्यम से एक नई दिशा देने के प्रयास किए जाएंगे। बैठक में यह भी तय किया गया कि इस परियोजना के तहत एक शोध प्रकोष्ठ/पीठ आईआईटी रुड़की परिसर में स्थापित की जाएगी, जहां दोनों संस्थानों के विशेषज्ञ एक साथ काम करेंगे।

बैठक के दौरान पहले चरण के कार्यों पर भी चर्चा की गई। इस चरण में प्रदेश के विभिन्न पुस्तकालयों में उपलब्ध संस्कृत ग्रंथों की जानकारी एकत्रित की जाएगी, जिससे इन ग्रंथों को डिजिटल रूप में रूपांतरित किया जाएगा। इस प्रक्रिया से संस्कृत के लिए एक वृहद शब्दकोश तैयार किया जाएगा, जिसका उपयोग AI तकनीकी के विकास में किया जाएगा। इन ग्रंथों को डिजिटल रूप में लाकर उनका बेहतर संरक्षण भी सुनिश्चित किया जाएगा, जिससे भविष्य में संस्कृत के शास्त्रों और ग्रंथों की वैज्ञानिक अध्ययन में और भी सहायक साबित हो सके। इस कार्य में उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय और संस्कृत अकादमी के विशेषज्ञ डाटा बेस की सटीकता एवं प्रमाणिकता की निगरानी करेंगे, ताकि AI सिस्टम को अत्यधिक सही और प्रामाणिक जानकारी मिल सके। इस परियोजना के चलते संस्कृत को एक नई तकनीकी दिशा मिलेगी, जिससे उसकी वैदिक और शास्त्रीय धरोहर को एक नए स्वरूप में प्रस्तुत किया जाएगा।

यह परियोजना प्रारंभ में केवल संस्कृत भाषा पर केंद्रित रहेगी, लेकिन भविष्य में इसे अन्य भाषाओं तक विस्तार देने का प्रस्ताव है। भविष्य में संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त विभिन्न भाषाओं को इस परियोजना में शामिल किया जाएगा, ताकि संस्कृत के ग्रंथों के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण भाषाओं के साहित्य को भी AI के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित किया जा सके। इस दृष्टिकोण से न केवल संस्कृत बल्कि पूरे भारतीय ज्ञान परंपरा को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया जाएगा। आईआईटी रुड़की के भारतीय ज्ञान परंपरा (IKS) केंद्र के विशेषज्ञ इस परियोजना के लिए एक विस्तृत कॉन्सेप्ट नोट तैयार करेंगे, जिससे इसे प्रभावी रूप से लागू किया जा सके। यह कदम भारत की प्राचीन और समृद्ध संस्कृति को आधुनिक तकनीकी युग में प्रासंगिक बनाने के लिए एक अहम पहल है। इस परियोजना के जरिए संस्कृत के प्रति समाज में जागरूकता और रुचि बढ़ाने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसके योगदान को भी स्थापित किया जाएगा।

बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि आईआईटी रुड़की में स्थापित संस्कृत क्लब द्वारा संस्कृत भाषा के प्रचार एवं प्रसार के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों की सूचना प्रदेश के सभी संस्कृत शिक्षण संस्थानों को भेजी जाएगी। इसका उद्देश्य प्रदेश भर में संस्कृत के प्रति जागरूकता फैलाना और अधिक से अधिक लोगों को संस्कृत के अध्ययन की दिशा में प्रेरित करना है। संस्कृत क्लब के द्वारा आयोजित कार्यशालाएँ, सेमिनार्स और संवाद सत्र प्रदेश भर के छात्रों, अध्यापकों और शोधकर्ताओं के लिए एक समृद्ध मंच साबित हो सकते हैं। इससे संस्कृत के प्रति लोगों का जुड़ाव बढ़ेगा और वे संस्कृत के आधुनिक उपयोग को समझने में सक्षम होंगे। इस पहल के जरिए संस्कृत भाषा को एक नया जीवन मिलेगा और इसे लेकर प्रदेशभर में एक सकारात्मक वातावरण उत्पन्न होगा, जिससे संस्कृत के प्रचार और प्रसार में भी वृद्धि होगी। बैठक में भारत सरकार के दूरसंचार विभाग के सेवानिवृत्त सचिव एवं AI एक्सपर्ट प्रभास कुमार, आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर डॉ. विनय शर्मा, भौतिक शास्त्र के प्रोफेसर अनिल गौरीशेट्टी, कंप्यूटर विज्ञान की प्रोफेसर डा. रक्षा शर्मा, संस्कृत के प्रोफेसर डॉ. पवन कुमार और अन्य प्रमुख प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

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