नई दिल्ली(स्वाती गुप्ता)। आगामी विधानसभा चुनावों के लिए सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं और इसके केंद्र में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के बीच तकरार गहराती जा रही है। दोनों दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला रहे हैं, खासकर पूर्वांचल के वोटरों को लेकर। अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में चुनाव आयोग में एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश और बिहार से दिल्ली आए लोगों के लिए फर्जी वोटर कार्ड बनवा रही है। इस आरोप के बाद दिल्ली में राजनीतिक माहौल और भी गर्म हो गया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने यह आरोप भी लगाया था कि बीजेपी सत्ता की लड़ाई में अवैध तरीकों का सहारा ले रही है। हालांकि बीजेपी ने इस आरोप को नकारते हुए आम आदमी पार्टी पर हमला बोला है और इसे उनका राजनीतिक ड्रामा करार दिया है।
इस बीच, दिल्ली बीजेपी के पूर्वांचल मोर्चा ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और उनके घर के बाहर जबरदस्त प्रदर्शन शुरू कर दिया। बीजेपी सांसद मनोज तिवारी, पूर्वांचल मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष संजय ओझा और एनडीएमसी के सदस्य दिनेश प्रताप सिंह के नेतृत्व में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने केजरीवाल के आवास के बाहर जमकर नारेबाजी की और विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने केजरीवाल के खिलाफ कई नारे लगाए और उन्हें पूर्वांचल तथा यूपी-बिहार के लोगों का अपमान करने का दोषी ठहराया।
बीजेपी महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष रिचा पांडे मिश्रा ने भी इस प्रदर्शन में भाग लिया और केजरीवाल पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लगातार पूर्वांचल और यूपी-बिहार के लोगों का अपमान कर रहे हैं। उनका कहना था कि केजरीवाल को उत्तर भारतीय समुदाय के प्रति अपनी भाषा और विचारधारा पर पुनर्विचार करना चाहिए। रिचा पांडे ने यह भी कहा कि जब तक अरविंद केजरीवाल सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगेंगे, तब तक यह प्रदर्शन जारी रहेगा। प्रदर्शनकारियों का यह भी कहना था कि वे इस मामले में केजरीवाल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिला कार्यकर्ताओं ने भाग लिया और उनका कहना था कि दिल्ली में बीजेपी के कार्यकर्ता और समर्थक मजबूती से खड़े हैं और अरविंद केजरीवाल को उनकी जिम्मेदारी का एहसास दिलाने के लिए यह प्रदर्शन किया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों ने कई बार यह कहा कि वे तब तक शांत नहीं बैठेंगे जब तक केजरीवाल उन्हें जवाब नहीं देते। प्रदर्शनकारी अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास तक पहुंचने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच बैरिकेड्स लगा दिए थे ताकि प्रदर्शनकारी वहां तक न पहुंच पाएं। मौके पर महिला पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था, ताकि कोई भी अप्रिय घटना न घटे और प्रदर्शनकारियों को शांतिपूर्वक नियंत्रित किया जा सके।
बीजेपी सांसद मनोज तिवारी भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए और उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर केजरीवाल के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस प्रदर्शन में शामिल होने के बाद तिवारी और अन्य बीजेपी नेता मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन गए, जहां उन्हें पुलिस ने हिरासत में लिया। हालांकि, इस घटना के बाद बीजेपी ने दावा किया कि यह सिर्फ एक लोकतांत्रिक विरोध था और पुलिस ने कार्यकर्ताओं को गलत तरीके से हिरासत में लिया।
इस घटनाक्रम से यह साफ हो गया है कि दिल्ली विधानसभा चुनावों में बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच राजनीतिक संघर्ष और तीव्र होने वाला है। दोनों दल पूर्वांचल और उत्तर भारतीय समुदाय के वोटों के लिए जोरदार संघर्ष कर रहे हैं। अरविंद केजरीवाल के खिलाफ बीजेपी के आरोपों और विरोध प्रदर्शन से यह प्रतीत होता है कि आगामी चुनावों में यह मुद्दा एक प्रमुख विषय बनेगा। बीजेपी का कहना है कि उनका मुख्य उद्देश्य दिल्लीवासियों के हितों की रक्षा करना है और वे किसी भी सूरत में केजरीवाल के खिलाफ अपनी मुहिम को जारी रखेंगे।
इस राजनीतिक माहौल में यह सवाल उठता है कि क्या आगामी विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल के वोटरों का समर्थन किसी एक पार्टी के पक्ष में निर्णायक साबित होगा, या फिर यह राजनीतिक संघर्ष केवल चुनावी तमाशा बनकर रह जाएगा। अब देखना यह है कि दोनों प्रमुख पार्टियां इस सियासी घमासान को किस दिशा में मोड़ती हैं और दिल्लीवासी किस पार्टी के पक्ष में अपना फैसला सुनाते हैं।