रायपुर(डॉ0 शानू मसीह ‘सहर’)। सर्दी-जुकाम और एलर्जी से जुड़ी समस्याओं में अक्सर लोग साइनसाइटिस से प्रभावित होते हैं, जो न केवल असहजता का कारण बनता है बल्कि कई बार गंभीर परेशानियों को भी जन्म दे सकता है। यह समस्या मुख्य रूप से नाक के अंदर की खोखली जगहों में सूजन के कारण उत्पन्न होती है, जिससे सांस लेने में कठिनाई, सिरदर्द, और चेहरे पर भारीपन जैसी परेशानियां सामने आती हैं। जब पारंपरिक उपचार से राहत नहीं मिलती, तो नई चिकित्सकीय प्रक्रियाओं का सहारा लिया जाता है। इसी में से एक है क्रायो रेडियो फ्रीक्वेंसी ट्रीटमेंट, जो इस परेशानी से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकता है।
चिकित्सकों के अनुसार, साइनसाइटिस के पीछे बैक्टीरियल और वायरल संक्रमण मुख्य रूप से जिम्मेदार होते हैं। इसके अलावा एलर्जी, नाक में किसी प्रकार का अवरोध, या बार-बार होने वाले सर्दी-जुकाम भी इस समस्या को बढ़ा सकते हैं। लंबे समय तक इसे अनदेखा करने से यह समस्या क्रॉनिक साइनसाइटिस का रूप ले सकती है, जिसमें कई बार सर्जरी की नौबत आ सकती है। साइनसाइटिस के लक्षणों में सिरदर्द, नाक का बंद होना, गंध पहचानने की क्षमता में कमी, चेहरे पर दर्द या दबाव, खांसी और गले में खराश शामिल हैं। इन लक्षणों के बढ़ने पर तुरंत इलाज लेना आवश्यक हो जाता है।
क्रायो रेडियो फ्रीक्वेंसी ट्रीटमेंट साइनसाइटिस के इलाज में नई और प्रभावी प्रक्रिया के रूप में उभर रही है। यह प्रक्रिया नाक के अंदरूनी हिस्सों में सूजन को कम करने के लिए की जाती है। इसमें ठंडी रेडियो फ्रीक्वेंसी ऊर्जा का उपयोग किया जाता है, जो सूजन और ब्लॉकेज को कम कर साइनसाइटिस के लक्षणों से राहत दिलाती है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से नॉन-इनवेसिव होती है, यानी इसमें कोई बड़ा चीरा या सर्जरी की जरूरत नहीं होती है। इसके माध्यम से नाक के प्रभावित हिस्सों में एक विशेष उपकरण के जरिए रेडियो फ्रीक्वेंसी ऊर्जा भेजी जाती है, जिससे वहां की सूजन कम होती है और पीड़ित को आराम मिलता है।
इस नई चिकित्सा पद्धति के कई फायदे हैं। सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह प्रक्रिया दर्द रहित होती है और रिकवरी का समय भी बेहद कम होता है। इसमें किसी प्रकार के टांके लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ती, जिससे मरीज जल्द ही अपनी सामान्य दिनचर्या में लौट सकता है। कई लोगों के लिए यह लंबे समय तक राहत देने वाला उपचार साबित हुआ है, क्योंकि यह साइनस की सूजन को प्रभावी रूप से कम करता है। हालांकि, यह ध्यान देना आवश्यक है कि यह प्रक्रिया सभी मरीजों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकती है। कुछ विशेष स्थितियों में चिकित्सक इस प्रक्रिया को कराने से मना भी कर सकते हैं। इसलिए इसे अपनाने से पहले डॉक्टर से उचित परामर्श लेना आवश्यक है।
विशेषज्ञों का मानना है कि साइनसाइटिस को अनदेखा करने के बजाय सही समय पर इलाज करवाना बेहद जरूरी है। इसके लिए चिकित्सक एंटीबायोटिक दवाएं, एंटी-हिस्टामिन, नेजल स्प्रे या स्टीम थेरेपी की सलाह देते हैं। इसके अलावा, कुछ सावधानियां अपनाकर भी साइनसाइटिस से बचाव और प्रबंधन संभव है। साइनसाइटिस से ग्रसित लोगों को अपनी एलर्जी के बारे में जानना चाहिए और इससे बचने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए। जिन लोगों को धूल-मिट्टी, प्रदूषण, फफूंद, नमी या मौसम परिवर्तन से एलर्जी होती है, उन्हें इससे बचने की पूरी कोशिश करनी चाहिए।
बार-बार सर्दी-जुकाम होने पर इसे नजरअंदाज न करें, बल्कि समय पर डॉक्टर से जांच करवाएं। लंबे समय तक बने रहने वाली जुकाम की समस्या साइनसाइटिस को गंभीर बना सकती है, जिससे मरीज को अतिरिक्त जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाए रखना भी साइनसाइटिस से बचाव में सहायक हो सकता है। इसके लिए सही आहार का सेवन, पर्याप्त मात्रा में पानी पीना और नियमित रूप से व्यायाम करना आवश्यक है। शरीर को हाइड्रेटेड रखना भी बेहद जरूरी है, जिससे नाक के अंदर की झिल्लियों में नमी बनी रहती है और साइनसाइटिस की संभावना कम हो जाती है।
साइनसाइटिस के इलाज के लिए आधुनिक तकनीकें लगातार विकसित की जा रही हैं, और क्रायो रेडियो फ्रीक्वेंसी ट्रीटमेंट उनमें से एक बेहतरीन विकल्प के रूप में उभर रहा है। हालांकि, इसका उपयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना महत्वपूर्ण है। सही समय पर उपचार और सावधानियों का पालन करके साइनसाइटिस की समस्या से न केवल बचा जा सकता है, बल्कि इसके प्रभाव को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है।
(डिस्क्लेमरः यहां दी गई स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सुझाव केवल आपकी जानकारी के लिए हैं. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अध्ययन, शोध और चिकित्सा विशेषज्ञों की सलाह पर प्रदान कर रहे हैं. इन्हें अपनाने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श लेना उचित रहेगा।)