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सर्दियों में बढ़ती बीमारियों का खतरा, जानिए कैसे रखें खुद को सुरक्षित

सर्दियों में बढ़ती हेल्थ प्रॉब्लम्स से बचें, जानें कैसे रखें हार्ट, शुगर, सांस और जोड़ों की बीमारियों को कंट्रोल में

रायपुर(डॉ0 शानू मसीह ‘सहर’)। सर्दियों का मौसम आते ही कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं लोगों को परेशान करने लगती हैं। यह ठंड न केवल हमें सर्दी-जुकाम जैसी आम बीमारियों से प्रभावित करती है, बल्कि कुछ गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को भी बढ़ा सकती है। इस दौरान हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, जिससे बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। नतीजतन, वायरल संक्रमण से लेकर हृदय रोग तक कई स्वास्थ्य समस्याएं सामने आने लगती हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, ठंड के मौसम में हृदय रोग और उच्च रक्तचाप की समस्या तेजी से बढ़ती है। कम तापमान के कारण रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं, जिससे रक्त प्रवाह प्रभावित होता है और हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी स्थितियों का खतरा बढ़ जाता है। ठंड के दौरान खानपान की आदतें भी बदल जाती हैं, जिससे शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है, जो हृदय के लिए नुकसानदायक होता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ठंड के दिनों में संतुलित आहार और नियमित व्यायाम बेहद जरूरी है ताकि हृदय को स्वस्थ रखा जा सके।

डायबिटीज के मरीजों को सर्दियों में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि इस मौसम में उनका ब्लड शुगर लेवल बढ़ने की संभावना अधिक होती है। ठंड के मौसम में लोगों की फिजिकल एक्टिविटी कम हो जाती है और हाई-कैलोरी फूड्स का सेवन बढ़ जाता है। इस कारण शरीर में शुगर लेवल अनियंत्रित हो सकता है, जिससे डायबिटीज की समस्या गंभीर रूप ले सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि ठंड के मौसम में नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियां जारी रखनी चाहिए और संतुलित आहार का पालन करना चाहिए ताकि ब्लड शुगर लेवल नियंत्रण में रहे।

ठंड का मौसम मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है। सर्दियों में सूरज की रोशनी कम मिलती है, जिससे कई लोगों को सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (ै।क्) हो सकता है। यह एक तरह का डिप्रेशन होता है, जो लोगों को तनावग्रस्त और निराश कर सकता है। कम रोशनी के कारण शरीर में सेरोटोनिन हार्माेन का स्तर कम हो जाता है, जिससे मूड स्विंग्स और ऊर्जा की कमी जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस दौरान नियमित व्यायाम और पर्याप्त धूप लेना बेहद जरूरी है ताकि मानसिक सेहत ठीक रहे।

ठंड के मौसम में श्वसन संबंधी समस्याएं भी तेजी से बढ़ती हैं। इस दौरान हवा में नमी की कमी और कम तापमान के कारण अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और अन्य श्वसन रोगों की संभावना बढ़ जाती है। ठंडी और शुष्क हवा सीधे फेफड़ों में जाने से वायुमार्ग में सूजन हो सकती है, जिससे सांस लेने में दिक्कत महसूस होती है। अस्थमा के मरीजों के लिए यह मौसम विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि इस मौसम में गर्म पेय का सेवन करें और ठंडी हवा से बचने के लिए मास्क का उपयोग करें।

इसके अलावा, सर्दियों में जोड़ों और हड्डियों से संबंधित समस्याएं भी बढ़ जाती हैं। ठंड के कारण शरीर की मांसपेशियां और जोड़ों में अकड़न महसूस होती है, जिससे चलने-फिरने में परेशानी हो सकती है। आर्थराइटिस के मरीजों को इस मौसम में अधिक दर्द और असुविधा महसूस हो सकती है। डॉक्टरों का कहना है कि ठंड में शरीर को हाइड्रेट रखना और हल्की फिजिकल एक्सरसाइज करना बेहद जरूरी है ताकि जोड़ों की समस्या से बचा जा सके।

एलर्जी भी ठंड के मौसम में अधिक परेशान करती है। वातावरण में बदलाव के कारण कुछ लोगों को धूल, पराग कण और ठंडी हवा से एलर्जी हो सकती है। इससे त्वचा पर रैशेज, नाक बहना और सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्याएं हो सकती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ठंड के मौसम में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए और एलर्जी से बचाव के उपाय अपनाने चाहिए। इसलिए, सर्दियों के मौसम में स्वस्थ रहने के लिए खानपान में संतुलन बनाए रखना, नियमित व्यायाम करना और पर्याप्त आराम लेना बहुत जरूरी है। अगर कोई स्वास्थ्य समस्या ज्यादा बढ़ रही हो तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें ताकि कोई गंभीर स्थिति उत्पन्न न हो।

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