रायपुर(डॉ0 शानू मसीह ‘सहर’)। आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में कई बीमारियां लगातार बढ़ती जा रही हैं, लेकिन इनमें सबसे ज़्यादा चिंता का विषय बन चुका है ब्रेस्ट कैंसर। यह बीमारी किसी भी महिला के लिए किसी सदमे से कम नहीं होती, क्योंकि यह सिर्फ एक बीमारी नहीं, बल्कि मानसिक और शारीरिक तौर पर बेहद तकलीफदेह भी होती है। आमतौर पर लोग यही सोचते हैं कि ब्रेस्ट कैंसर सिर्फ महिलाओं को होता है, लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है। पुरुष भी इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रेस्ट कैंसर अब दुनिया भर में सबसे आम प्रकार का कैंसर बन चुका है। हर साल दुनियाभर में लगभग 23 लाख नए मामले सामने आते हैं और हर आठ में से एक कैंसर का मामला ब्रेस्ट कैंसर का होता है। यह पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित कर सकता है। कई महिलाओं को इस बीमारी के लक्षण स्पष्ट रूप से महसूस होते हैं, लेकिन कई बार कुछ महिलाओं को कोई भी लक्षण नहीं दिखता, जिससे इसके शुरुआती दौर में इसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
वर्ल्ड कैंसर डे के अवसर पर हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के आईजीएमसी अस्पताल में कार्यरत कैंसर विशेषज्ञ डॉक्टर मनीष गुप्ता से बात की गई। उन्होंने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षणों को पहचानना बेहद ज़रूरी है। उनके अनुसार, अगर महिलाओं को सामान्य रूप से ब्रेस्ट में दर्द होता है, तो यह सीधे तौर पर कैंसर का संकेत नहीं होता, लेकिन अगर स्तन पर गांठ बनती है या फिर उसमें सूजन आ जाती है, तो यह गंभीर चिंता का विषय हो सकता है। इसके अलावा, अगर ब्रेस्ट के रंग में बदलाव होता है, उसके आसपास दाने या पपड़ी जमती है, तो बिना देरी किए डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। जितनी जल्दी इसका पता चल जाता है, उतनी जल्दी इसका उपचार भी संभव है।

ब्रेस्ट कैंसर होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। डॉक्टर मनीष गुप्ता के अनुसार, मौजूदा समय में महिलाओं और पुरुषों, दोनों की नौकरी और करियर को प्राथमिकता देने के कारण शादी की उम्र और मातृत्व का समय बढ़ गया है। महिलाएं आमतौर पर 30 साल या उससे अधिक उम्र में शादी करने का फैसला लेती हैं, और मां बनने की उम्र भी देर से आती है। इसकी वजह से स्तनपान कराने में देरी होती है, और कुछ महिलाएं तो अपने बच्चों को स्तनपान करा ही नहीं पातीं। यह एक प्रमुख कारण बनता है, जिससे महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। ब्रेस्ट कैंसर से बचाव का एक महत्वपूर्ण तरीका स्तनपान को माना जाता है।
इसके अलावा, खराब जीवनशैली और अस्वस्थ खान-पान भी ब्रेस्ट कैंसर के बढ़ते मामलों के पीछे एक बड़ी वजह है। फिजिकल एक्टिविटी की कमी के कारण वजन बढ़ता है, जिससे शरीर में कई तरह की बीमारियां घर कर जाती हैं। महिलाओं को अपने स्तनों में होने वाले किसी भी बदलाव पर नज़र रखनी चाहिए और किसी भी असामान्य बदलाव को नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए। विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार, 25 साल की उम्र के बाद हर महिला को महीने में एक बार खुद की जांच करनी चाहिए। अगर स्तनों में किसी भी प्रकार की गांठ या असामान्य परिवर्तन दिखे, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाकर जांच करानी चाहिए। कुछ मामलों में, यह बीमारी अनुवांशिक भी होती है। अगर परिवार में किसी सदस्य को ब्रेस्ट कैंसर हुआ है, तो अन्य महिलाओं को डॉक्टर की सलाह लेकर समय-समय पर स्कैनिंग करवानी चाहिए। अगर इस बीमारी का समय पर पता चल जाए, तो इसे शुरुआती चरण में ही फैलने से रोका जा सकता है।
हालांकि, यह बीमारी महिलाओं में ज़्यादा पाई जाती है, लेकिन पुरुष भी इससे अछूते नहीं हैं।WHO की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022 में दुनिया भर में ब्रेस्ट कैंसर के कारण 6,70,000 मौतें हुईं। महिलाओं में इस बीमारी के मामले सबसे ज़्यादा देखने को मिलते हैं, और इनमें लिंग और उम्र के अलावा कोई विशेष जोखिम कारक नहीं होता है। साल 2022 में, 185 में से 157 देशों में ब्रेस्ट कैंसर सबसे आम प्रकार का कैंसर था। इस बीमारी के मामले हर देश में पाए जाते हैं और लगभग 0.5-1% मामलों में यह पुरुषों में भी पाया जाता है।
ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय अपनाने की ज़रूरत है। इस बीमारी की कई स्टेज होती हैं, और शुरुआती चरण में अगर इसका पता चल जाए, तो इसे ठीक किया जा सकता है। स्टेज 1 और स्टेज 2 में इस बीमारी का इलाज आसान होता है, लेकिन स्टेज 3 और स्टेज 4 तक पहुंचने पर स्थिति गंभीर हो जाती है। डॉक्टर मनीष गुप्ता का कहना है कि ब्रेस्ट कैंसर का जितनी जल्दी पता चल जाए, उतनी जल्दी इसका इलाज संभव है। महिलाओं को समय-समय पर अपने स्तनों की जांच करनी चाहिए और किसी भी बदलाव को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
अगर कभी भी स्तनों में कोई असामान्य बदलाव दिखे, जैसे कि सूजन, गांठ, ब्रेस्ट के आसपास दाने या पपड़ी, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इसके अलावा, ब्रेस्ट कैंसर से बचने के लिए हेल्दी डाइट अपनाना ज़रूरी है। शरीर को पूरा पोषण देने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें, जैसे कि हरी सब्जियां, दालें, फल और प्रोटीन से भरपूर आहार।
हर साल 4 फरवरी को वर्ल्ड कैंसर डे मनाया जाता है। कैंसर को कुछ लोग ‘साइलेंट किलर’ भी कहते हैं, क्योंकि यह धीरे-धीरे शरीर को प्रभावित करता है और जब तक इसका पता चलता है, तब तक स्थिति गंभीर हो चुकी होती है। पिछले कुछ वर्षों में कैंसर के मामले तेज़ी से बढ़े हैं।WHO की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल 14 लाख से ज़्यादा नए कैंसर के मामले सामने आते हैं। इनमें ब्रेस्ट कैंसर, लंग कैंसर और मुंह के कैंसर के मामले सबसे ज़्यादा देखे गए हैं। यह ज़रूरी है कि लोग इस बीमारी को लेकर जागरूक हों और इसके शुरुआती लक्षणों को समझकर समय रहते उपचार कराएं। सही जानकारी और सतर्कता से इस जानलेवा बीमारी से बचा जा सकता है।