नई दिल्ली(स्वाती गुप्ता)। दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने हाल ही में मोदी सरकार द्वारा 8वें वेतन आयोग के गठन का स्वागत किया है। उन्होंने इस कदम को सरकारी कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। उनका कहना था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियां और योजनाएं सरकारी कर्मचारियों के लिए लाभकारी साबित हो रही हैं, क्योंकि ये कर्मचारी सरकार की योजनाओं को जनता तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सचदेवा ने इस फैसले को सराहते हुए कहा कि इस कदम से सरकारी कर्मचारियों को सही समय पर राहत मिलेगी और उन्हें उनके योगदान का उचित मूल्य मिलेगा। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि कर्मचारी सरकारी नीतियों के माध्यम से जनता से जुड़कर उनके जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
8वें वेतन आयोग की स्थापना से सरकारी कर्मचारियों में उत्साह है और यह खुशी उनके लिए और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कदम कर्मचारियों के कल्याण के लिए उठाया गया है। सांसद बांसुरी स्वराज ने भी मोदी सरकार के इस फैसले का समर्थन किया और कहा कि इस वेतन आयोग की स्थापना से कर्मचारियों में एक नई उम्मीद जगी है। उन्होंने बताया कि कई सरकारी कर्मचारी उनके पास फोन करके इस कदम के लिए प्रधानमंत्री का धन्यवाद व्यक्त कर रहे हैं। दिल्ली के विभिन्न हिस्सों से यह आवाजें आ रही हैं कि मोदी सरकार ने समय पर इस मुद्दे पर ध्यान दिया और कर्मचारियों के हित में काम किया। स्वराज ने यह भी कहा कि इस फैसले का न केवल सरकारी कर्मचारियों पर सकारात्मक असर पड़ेगा, बल्कि निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को भी इसके अप्रत्यक्ष लाभ मिल सकते हैं। इससे न्यूनतम वेतन में वृद्धि हो सकती है, जो देश के श्रमिकों के लिए एक सकारात्मक बदलाव होगा।
वहीं, दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष ने एक और गंभीर मुद्दे पर बात की, जो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से संबंधित है। सचदेवा ने हाल ही में उठाए गए सवालों का हवाला देते हुए कहा कि यह कैसे मुमकिन है कि कोई मुख्यमंत्री अपनी मूल आय से भी कम आयकर रिटर्न दाखिल करता है। उन्होंने कहा कि जब इस सवाल का जवाब नहीं दिया गया, तो इससे यह स्पष्ट होता है कि इस मामले में कुछ तो संदिग्ध है। सचदेवा ने यह सवाल फिर से उठाया कि कैसे पिछले दशक में केजरीवाल के आयकर रिटर्न में दिखाई गई आय उनके मूल वेतन से कम हो सकती है। इसके अलावा, उन्होंने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के कर्ज के आंकड़ों को भी संदिग्ध बताया और इस पर सवाल उठाया कि आखिर इन आंकड़ों का सच क्या है।
इस मामले में बांसुरी स्वराज ने भी कहा कि सरकारी कर्मचारियों को उम्मीद है कि वेतन आयोग का गठन उनके जीवन को बेहतर बनाएगा, लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या सभी नेताओं और सरकारी अधिकारियों के वित्तीय आंकड़े सही हैं। उनका कहना था कि सरकारी कर्मचारियों के लिए तो यह कदम सकारात्मक है, लेकिन साथ ही उन्हें यह भी देखना होगा कि क्या नेताओं और अधिकारियों के आय और खर्चे में कोई छिपी हुई बात तो नहीं है।
इसके साथ ही सचदेवा ने आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार पर भी तंज कसा और कहा कि जो सरकार पारदर्शिता की बात करती है, वह खुद वित्तीय मामलों में पारदर्शिता क्यों नहीं दिखा रही है। उनका कहना था कि जब सरकार की तरफ से वित्तीय आंकड़ों में इस तरह की खामियां होती हैं, तो नागरिकों में सरकार के प्रति विश्वास कम हो जाता है।