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विधानसभा में आशीष सूद का बड़ा हमला पिछली सरकार पर भ्रष्टाचार और वित्तीय कुप्रबंधन के गंभीर आरोप

शराब घोटाले से लेकर विज्ञापन खर्च तक आशीष सूद ने खोली पिछली सरकार की पोल, पारदर्शिता और सुशासन का दिलाया भरोसा

नई दिल्ली(स्वाती गुप्ता)। विधानसभा के सत्र के दौरान दिल्ली के गृह, बिजली, शहरी विकास, शिक्षा और प्रशिक्षण मंत्री आशीष सूद ने पिछली सरकार को जमकर घेरा और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार अपने चरम पर था, सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग हुआ और लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने की कोशिश की गई।

मंत्री आशीष सूद ने विधानसभा में जोर देते हुए कहा कि दिल्ली के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि पिछले पांच वर्षों में विधानसभा की बैठकें केवल 74 दिनों के लिए हुईं, जिससे यह साफ झलकता है कि पूर्व सरकार ने जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा से बचने की पूरी कोशिश की। उन्होंने कहा कि विपक्ष लगातार जनता के मुद्दों पर चर्चा की मांग करता रहा, लेकिन सरकार ने अपनी जिम्मेदारी से बचने का हरसंभव प्रयास किया।

इसके अलावा, उन्होंने दिल्ली में हुए बड़े शराब घोटाले का जिक्र करते हुए कहा कि पिछली सरकार के लोग सीधे तौर पर इस घोटाले में शामिल थे। उन्होंने कहा कि जिस सरकार ने खुद को ईमानदारी का चेहरा बताया, वही शराब घोटाले के मास्टरमाइंड निकले। उन्होंने बताया कि यह घोटाला 2,002 करोड़ रुपये का था, जिसकी पुष्टि कैग की रिपोर्ट में भी हुई थी। इस खुलासे के बाद जनता में सरकार के खिलाफ गुस्सा और अविश्वास और बढ़ गया था। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार केवल आबकारी नीति तक सीमित नहीं था, बल्कि सरकार की वित्तीय नीतियों में भी भारी अनियमितताएं थीं।

मंत्री ने बताया कि दिल्ली सरकार का विज्ञापन बजट 2015-16 में 81.23 करोड़ रुपये था, लेकिन 2021-22 तक यह बढ़कर 490 करोड़ रुपये हो गया। यानी जनता की भलाई के लिए आवंटित धन को प्रचार-प्रसार में बहा दिया गया, जबकि बुनियादी सुविधाओं को नजरअंदाज किया गया। उन्होंने कहा कि सरकार ने विज्ञापनों के जरिए अपनी छवि चमकाने का काम किया, लेकिन दिल्ली की शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने के लिए कुछ नहीं किया।

उन्होंने बताया कि शिक्षा के क्षेत्र में भी बड़े पैमाने पर वित्तीय लापरवाही बरती गई। दिल्ली सरकार ने शिक्षा क्षेत्र के लिए 720.88 करोड़ रुपये का बजट तय किया था, लेकिन इसमें से केवल 278.74 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए। इससे साफ जाहिर होता है कि पिछली सरकार ने शिक्षा क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता नहीं दी। यही हाल स्वास्थ्य व्यवस्था का भी रहा, जहां 886.80 करोड़ रुपये के बजट में से केवल 373.30 करोड़ रुपये खर्च किए गए। नतीजतन, स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल होती चली गईं और जनता को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना पड़ा।

मंत्री आशीष सूद ने भरोसा दिलाया कि नई सरकार पूरी पारदर्शिता के साथ काम करेगी और सुशासन सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार की पहली प्राथमिकता जनता के पैसे को सही दिशा में लगाना और सरकारी संसाधनों का सही उपयोग करना है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए कड़े कदम उठाएगी और किसी को भी सरकारी धन का दुरुपयोग नहीं करने देगी।

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