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लाडली योजना में बड़ा खुलासा: 618 करोड़ बैंक में जमा, लेकिन बेटियों को नहीं मिला हक!

सीएजी रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा: लाखों बेटियों के हक का पैसा सरकार ने रोक रखा

नई दिल्ली(स्वाती गुप्ता)। दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार की ओर से चलाई जा रही योजनाओं को लेकर हाल ही में पेश की गई सीएजी रिपोर्ट ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि कांग्रेस की शीला दीक्षित सरकार द्वारा शुरू की गई लाडली योजना को लेकर आम आदमी पार्टी की सरकार ने कोई गंभीरता नहीं दिखाई। यह योजना बेटियों के जन्म से लेकर उनकी शिक्षा तक आर्थिक सहायता देने के उद्देश्य से शुरू की गई थी, लेकिन मौजूदा सरकार के लापरवाह रवैये के कारण इसका लाभ हजारों जरूरतमंद बच्चियों तक नहीं पहुंच पाया। स्थिति यह है कि सरकार के पास इस योजना के तहत वितरित करने के लिए करोड़ों रुपये बैंक में पड़े हैं, लेकिन लाभार्थियों तक नहीं पहुंच रहे।

सीएजी रिपोर्ट में लाडली योजना के तहत हुए पंजीकरण में भारी गिरावट दर्ज की गई है। 2008 में शुरू होने के बाद इस योजना के तहत पहले कुछ वर्षों में बड़ी संख्या में पंजीकरण हुए थे, लेकिन 2013 से इसमें भारी कमी देखी गई। वर्ष 2009-10 में जहां 1.4 लाख पंजीकरण हुए थे, वहीं 2020-21 में यह संख्या घटकर मात्र 43,415 रह गई। जन्म के समय बालिकाओं का नामांकन भी तेजी से गिरा है। 2009-10 में यह संख्या 23,871 थी, जो 2020-21 में घटकर 3,153 हो गई। यह गिरावट दर्शाती है कि इस योजना को लेकर प्रचार-प्रसार और क्रियान्वयन में गंभीर लापरवाही बरती गई है। बीजेपी विधायक हरीश खुराना ने इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी सरकार को घेरते हुए कहा कि केजरीवाल सरकार ने इस योजना को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए, जिससे लाखों बेटियों को उनका हक नहीं मिल सका।

रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि लाडली योजना में अनियमितताएं पाई गई हैं। 16,546 डुप्लिकेट और 131 ट्रिपल रजिस्ट्रेशन पाए गए, जिससे सरकार को 11.5 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ा। इतना ही नहीं, 78,065 लाभार्थियों की उम्र 18 वर्ष हो चुकी थी, जबकि योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार पंजीकरण के लिए अधिकतम आयु सीमा 17 वर्ष निर्धारित की गई थी। इन लाभार्थियों के खातों में 180.9 करोड़ रुपये (ब्याज सहित) जमा थे, लेकिन उन्हें समय पर लाभ नहीं मिल पाया। सरकार की लापरवाही का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 3.2 लाख लाभार्थियों के लिए 618 करोड़ रुपये सरकार के पास बैंक में जमा हैं, लेकिन इसे वितरित करने की कोई गंभीर योजना नहीं बनाई गई।

सीएजी ने रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया कि लाडली योजना को डिजिटलीकरण करने का प्रयास किया गया था, लेकिन ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल पूरी तरह कार्यशील नहीं है। इससे लाभार्थियों तक सही जानकारी और उनके खातों में राशि पहुंचाने में बाधाएं आ रही हैं। इसके अलावा, 2019-2022 के बीच इस योजना को लेकर कोई प्रभावी जागरूकता अभियान नहीं चलाया गया। रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि जिलों और एसबीआईएल, जो इस योजना के लिए निधि प्रबंधन का कार्य देखता है, के लिए किसी भी मामले के निपटान के लिए कोई निश्चित समय सीमा तय नहीं की गई थी। इससे पंजीकृत लाभार्थियों को उनके अधिकार का पैसा मिलने में देरी हो रही है।

दिल्ली सरकार पर इस योजना के क्रियान्वयन को लेकर विपक्ष ने जमकर निशाना साधा है। बीजेपी नेताओं ने आरोप लगाया है कि आम आदमी पार्टी सरकार ने जानबूझकर इस योजना को हाशिए पर डाल दिया और इसके प्रचार-प्रसार में रुचि नहीं ली। जबकि शीला दीक्षित सरकार के समय इस योजना की पूरी दुनिया में चर्चा थी, आज यह अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है। बीजेपी ने मांग की है कि सरकार जल्द से जल्द पंजीकृत लाभार्थियों तक उनका पैसा पहुंचाए और इस योजना में हुई अनियमितताओं की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करे।

भारतीय संस्कृति में बेटियों को विशेष स्थान दिया जाता है और उन्हें उनका अधिकार देने के लिए सरकारों द्वारा विभिन्न योजनाएं चलाई जाती हैं। उत्तर भारत के कई राज्यों में लिंगानुपात की समस्या गंभीर बनी हुई है और बेटियों को जन्म से ही कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में, शीला दीक्षित सरकार द्वारा 2008 में शुरू की गई लाडली योजना बेटियों को आर्थिक सुरक्षा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम थी। इस योजना की पात्रता यह तय की गई थी कि केवल वही परिवार इसका लाभ उठा सकें, जो दिल्ली में जन्मे हों, कम से कम तीन वर्षों से दिल्ली में रह रहे हों और जिनकी वार्षिक आय 1 लाख रुपये से अधिक न हो। इस योजना के तहत बच्ची के जन्म से लेकर उसकी शिक्षा तक आर्थिक सहायता दी जाती थी, लेकिन मौजूदा सरकार की अनदेखी के चलते यह योजना अब कमजोर पड़ती जा रही है।

सीएजी रिपोर्ट में हुई इन चौंकाने वाली गड़बड़ियों को देखते हुए अब यह देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली सरकार इस योजना को पुनर्जीवित करने और लाभार्थियों को उनका हक दिलाने के लिए क्या कदम उठाती है। हालांकि, विपक्ष इस मुद्दे को लेकर पूरी तरह से आक्रामक नजर आ रहा है और सरकार पर लगातार दबाव बना रहा है कि लाडली योजना को फिर से प्रभावी तरीके से लागू किया जाए।

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