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महंगा होगा पेट्रोल-डीजल! केंद्र सरकार ने 8 अप्रैल से बढ़ाई एक्साइज ड्यूटी 2 रूपये प्रति लीटर

नई दिल्ली(स्वाती गुप्ता)। देश की जनता के लिए सोमवार की शाम एक बड़ी खबर लेकर आई। केंद्र सरकार ने अचानक एक अधिसूचना जारी कर पेट्रोल और डीजल की एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी का ऐलान कर दिया। यह फैसला उस वक्त सामने आया जब वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट दर्ज की जा रही थी। सवाल उठना लाजिमी है कि जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल सस्ता हो रहा है, तब सरकार ने टैक्स क्यों बढ़ा दिया?

राजस्व विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, यह संशोधित एक्साइज ड्यूटी 8 अप्रैल 2025 से देशभर में लागू हो जाएगी। इसके बाद पेट्रोल पर अब एक्साइज ड्यूटी बढ़कर 13 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर हो जाएगी। यह वृद्धि सीधा असर डालती है उन तेल कंपनियों पर जो हर दिन लाखों लीटर ईंधन की आपूर्ति करती हैं।

यह सवाल हर किसी के ज़ेहन में था। लेकिन उसी शाम पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक बयान जारी कर स्पष्ट कर दिया कि इस वृद्धि के बावजूद पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। बयान में कहा गया, “PSU ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने सूचित किया है कि आज उत्पाद शुल्क दरों में वृद्धि के बाद भी खुदरा कीमतों में कोई वृद्धि नहीं होगी।” यानी सीधे शब्दों में कहें तो जनता को फिलहाल राहत दी गई है।

अधिसूचना में सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह निर्णय केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1944 की धारा 5A और वित्त अधिनियम, 2002 की धारा 147 के अंतर्गत जनहित में लिया गया है। यानी सरकार का दावा है कि यह कदम अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, राजस्व बढ़ाने और सब्सिडी भार को संतुलित करने के उद्देश्य से उठाया गया है। सरकार की इस रणनीति को लेकर विशेषज्ञों की राय भी सामने आने लगी है। इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया कि भले ही टैक्स बढ़ाया गया हो, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतें फिलहाल निचले स्तर पर हैं। इस वजह से ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के पास पर्याप्त मार्जिन है और वो खुदरा कीमतों को स्थिर बनाए रखने में सक्षम हैं।

यह सवाल अब सबसे ज़्यादा पूछा जा रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो फिलहाल वैश्विक बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतें नियंत्रण में हैं। लेकिन अगर यह ट्रेंड पलटता है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों में उछाल आता है, तो पेट्रोल-डीजल की खुदरा कीमतें भी प्रभावित हो सकती हैं। यानी फिलहाल राहत है, लेकिन आने वाला वक्त पूरी तरह भरोसेमंद नहीं।

जहां एक तरफ सरकार अपने फैसले को ‘जनहित’ बता रही है, वहीं विपक्ष ने इसे ‘जनता पर आर्थिक बोझ’ करार दिया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, “जब कच्चे तेल के दाम गिर रहे हैं, तब टैक्स बढ़ाकर सरकार किसका भला कर रही है? यह सीधा आम जनता की जेब पर डाका है।” वहीं आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता ने कहा, “सरकार ने चुनावों से पहले पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर रखे थे और अब जैसे ही चुनाव खत्म हुए, टैक्स बढ़ाकर असली चेहरा दिखा दिया।”

क्या है इसका बड़ा असर?
01- सरकारी खजाने को मिलेगा बूस्ट: एक्साइज ड्यूटी बढ़ने से केंद्र सरकार को हर महीने हजारों करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलने की संभावना है।

02- तेल कंपनियों पर दबाव: कंपनियों को अब अपने मार्जिन में कटौती करके खुदरा कीमतों को स्थिर रखना होगा।

03- लॉजिस्टिक्स सेक्टर पर असर: भले ही खुदरा कीमतें न बढ़ें, लेकिन ट्रांसपोर्ट सेक्टर को लंबे समय में इसका असर झेलना पड़ सकता है।

04- राज्य सरकारों के लिए चुनौती: कई राज्यों में वैट की दरें फिक्स नहीं हैं, ऐसे में अगर केंद्र टैक्स बढ़ाता है तो राज्यों की वैट दर भी अपने आप बढ़ जाती है, जिससे राज्यों में कीमतें ऊपर जा सकती हैं।

सरकार ने एक ओर जहां टैक्स बढ़ाकर अपने राजस्व को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाया है, वहीं दूसरी ओर आम जनता को फिलहाल कीमतें न बढ़ाकर राहत देने की कोशिश की है। लेकिन यह राहत स्थायी नहीं है। यदि अंतरराष्ट्रीय बाजार में हालात बदले, तो आम आदमी की जेब पर इसका सीधा असर पड़ सकता है। ऐसे में जनता को फिलहाल सतर्क रहना होगा और तेल कंपनियों को अपनी रणनीति बेहद सोच-समझकर बनानी होगी।

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