नई दिल्ली(स्वाती गुप्ता)। बुधवार तड़के एक ऐसा पल आया जब भारतीय सशस्त्र बलों ने इतिहास के सबसे साहसी और सटीक ऑपरेशन में पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की ज़मीन पर कहर बरपाया, जिसमें आतंक के कई अड्डों को पूरी तरह तबाह कर दिया गया। इस सनसनीखेज कार्रवाई में बहावलपुर और मुरीदके जैसे आतंक के अड्डे भी शामिल थे, जो जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे खूंखार आतंकी संगठनों के सबसे सुरक्षित गढ़ माने जाते हैं। सूत्रों से छनकर आई खबरों की मानें तो इस सर्जिकल प्रहार में लगभग 90 से भी अधिक आतंकवादी मारे गए, जिसमें अकेले मुरीदके में 30 दहशतगर्दों को ढेर कर दिया गया। बाकी आतंकी शिविरों में भी भारतीय मिसाइलों का कहर इस कदर टूटा कि उनके ध्वस्त ढांचे गवाह हैं भारत की अपराजेय मारक क्षमता और अडिग नीयत के। यह कारवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत अंजाम दी गई, जिसकी योजना भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना ने मिलकर बनाई थी।
जैसे-जैसे इस भीषण कार्रवाई के बारे में जानकारी सामने आ रही है, वैसे-वैसे पाकिस्तान के भीतर पसरा सन्नाटा भी गहराता जा रहा है। खबर है कि खुफिया सूत्रों के अनुसार भारतीय वायुसेना ने जैश-ए-मोहम्मद के चार, लश्कर-ए-तैयबा के तीन और हिज़्बुल मुजाहिदीन के दो अड्डों को निशाना बनाया, जो आतंकवाद की नर्सरियों के रूप में काम कर रहे थे। मरकज़ तैयबा, मरकज़ सुभान अल्लाह, मरकज़ अब्बास, मस्कर राहील शाहिद और शावई नाला कैम जैसे तमाम ठिकानों पर तेज़ रफ्तार और अत्याधुनिक मिसाइलों से हमला किया गया, जिसकी भनक लगने से पहले ही सब कुछ राख हो चुका था। सियालकोट, कोटली, भिम्बर, सरजाल और मुज़फ्फराबाद के इलाकों में तबाही के मंजर इतने भयावह हैं कि अब पाकिस्तान सरकार को अपनी ही ज़मीन पर मारे गए आतंकियों की संख्या बताने में भी पसीने छूट रहे हैं।
इस अभूतपूर्व सैन्य ऑपरेशन का सीधा संबंध पहलगाम में हुए आतंकी हमले से जोड़ा जा रहा है, जिसमें वीरगति को प्राप्त हुए शुभम द्विवेदी की शहादत ने पूरे देश को झकझोर दिया था। जैसे ही यह खबर देशभर में फैली कि भारतीय सशस्त्र बलों ने शुभम की शहादत का बदला आतंकियों के गढ़ में घुसकर लिया है, पूरे भारतवर्ष में गर्व और श्रद्धा की लहर दौड़ गई। शुभम द्विवेदी की पत्नी ने इस कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया और कहा कि उनके पति की आत्मा को अब शांति मिलेगी क्योंकि देश ने उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने गर्व के साथ कहा कि पूरा परिवार प्रधानमंत्री पर भरोसा करता था और जिस तरह से इस भरोसे को कायम रखा गया है, वह उनके पति की वीरता के अनुरूप न्याय है।
भारत की यह निर्णायक कार्रवाई केवल सैन्य शक्ति का प्रदर्शन नहीं थी, बल्कि एक स्पष्ट संदेश भी थी कि आतंकवाद को भारत अब किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा। इस सैन्य अभियान के बाद पाकिस्तान की सेना ने बौखलाहट में जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में भारी गोलीबारी शुरू कर दी, जिससे पुंछ और आसपास के इलाकों में नागरिकों को जान बचाकर पलायन करना पड़ा। नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा के कई हिस्सों में तोपों की गरज और गोलियों की बौछार के बीच भारतीय सेना ने भी मुंहतोड़ जवाब देते हुए अपनी स्थिति मज़बूत बनाए रखी। यह संघर्ष अब केवल सीमा तक सीमित नहीं रहा बल्कि वैश्विक मंच पर भी भारत की आक्रामक कूटनीति और रणनीतिक क्षमता की गूंज बन गया है।
भारत की इस ज़ोरदार जवाबी कार्रवाई का असर न केवल सैन्य दृष्टिकोण से पड़ा बल्कि देश के आंतरिक संचालन पर भी इसका असर देखने को मिला। श्रीनगर, जम्मू, लेह, अमृतसर, चंडीगढ़ और धर्मशाला जैसे उत्तर भारत के महत्वपूर्ण शहरों के हवाई अड्डों को सुरक्षा कारणों से अगले आदेश तक बंद कर दिया गया। स्पाइसजेट, इंडिगो और एयर इंडिया जैसी प्रमुख एयरलाइनों ने अपनी उड़ानों को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया और यात्रियों को सावधानीपूर्वक यात्रा योजना बनाने की सलाह दी। एयर इंडिया ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि मौजूदा सुरक्षा स्थिति को देखते हुए जम्मू, श्रीनगर, लेह, जोधपुर, अमृतसर, भुज, जामनगर, चंडीगढ़ और राजकोट के लिए सभी उड़ानें दोपहर तक रद्द रहेंगी। इससे पूरे क्षेत्र में यातायात की अस्थिरता और सामान्य जनजीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
जैसे ही ऑपरेशन सिंदूर की खबरें सामने आईं, पूरे देश की निगाहें रक्षा मंत्रालय पर टिक गईं। सूत्रों के अनुसार, ऑपरेशन पूरा होते ही केंद्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने थलसेना, वायुसेना और नौसेना प्रमुखों से तुरंत बातचीत की और स्थिति की समीक्षा की। इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने इस ऐतिहासिक सैन्य कार्रवाई पर सुबह 10 बजे एक विशेष प्रेस ब्रीफिंग आयोजित करने की घोषणा की है, जिसमें इस ऑपरेशन के हर पहलू पर विस्तृत जानकारी साझा की जाएगी। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री अजित डोभाल ने भी एक्स पर पोस्ट करते हुए “भारत माता की जय” लिखकर इस जीत को राष्ट्र को समर्पित कर दिया। इस बयान ने पूरे देश को और अधिक उत्साहित और प्रेरित कर दिया है।
संयुक्त रूप से सटीकता, धैर्य, साहस और रणनीति का जो मिश्रण ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में देखने को मिला, वह भारत की सैन्य शक्ति का सर्वोत्तम प्रदर्शन है। यह पहली बार है जब भारत ने 1971 के बाद पाकिस्तान के निर्विवाद क्षेत्र में इतनी गहराई तक घुसकर हमला किया है और वह भी बिना किसी सैनिक नुकसान के। जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों के उन ठिकानों को ध्वस्त कर देना, जिन्हें पाकिस्तान अपनी छत्रछाया में पाल रहा था, एक बड़ा कूटनीतिक और सैन्य संदेश है कि भारत अब इंतज़ार नहीं करता, जवाब देने में भी पहल करता है। आज का भारत आतंक को मिटाने का सिर्फ़ संकल्प नहीं, बल्कि सामर्थ्य भी रखता है — यह बात पूरी दुनिया ने एक बार फिर देख ली है।