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पानी पर राजनीतिक आरोप: उपराज्यपाल ने आतिशी को भेजा पत्र, कहा- भ्रामक और उकसाऊ बयान लोकतंत्र के खिलाफ

उपराज्यपाल ने AAP और BJP के बीच यमुना में जहरीला पानी मुद्दे पर राजनीति को लेकर CM को भेजा पत्र

नई दिल्ली(स्वाती गुप्ता)। दिल्ली की राजनीति में हाल ही में उठे एक नए विवाद ने जबरदस्त हलचल मचा दी है। आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल और दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी पर आरोप लगाए गए हैं कि उन्होंने यमुना नदी के पानी में जहर मिलाने और दिल्ली में सामूहिक नरसंहार करने का प्रयास किया है। इस विवादास्पद बयान पर दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने कड़ी आपत्ति जताई है। उपराज्यपाल ने इस पर सीएम आतिशी को पत्र लिखकर अपनी चिंता जताई और कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनावों के नजदीक इस तरह के संवेदनशील आरोप लगाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह बयान न केवल तथ्यविहीन हैं, बल्कि इससे दो राज्यों के बीच वैमनस्यता भी पैदा हो सकती है। उपराज्यपाल ने अरविंद केजरीवाल के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और यह भी कहा कि यह कोई नई बात नहीं है क्योंकि केजरीवाल पहले भी भ्रामक और झूठे बयान दे चुके हैं। उनका कहना था कि इस प्रकार के बयानों से दिल्ली के नागरिकों के बीच भ्रम फैलने की संभावना है और इससे राज्य सरकारों के बीच कानून व्यवस्था की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

वीके सक्सेना ने आगे कहा कि एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में, वह इस प्रकार के गैर-जिम्मेदाराना, भड़काऊ और आधारहीन बयानों की कड़ी आलोचना करते हैं। उनके मुताबिक, दिल्ली सरकार का इस तरह का बयान लोकतंत्र में बिल्कुल अस्वीकार्य है। इसने हरियाणा और दिल्ली दोनों राज्यों में कानून व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौतियां उत्पन्न कर दी हैं। इसके बाद उपराज्यपाल ने यह भी बताया कि दिल्ली जल बोर्ड को अपने बयान का खंडन करना पड़ा क्योंकि इस मामले में मुख्यमंत्री आतिशी और केजरीवाल के आरोप पूरी तरह से गलत थे। जल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, यमुना नदी में अमोनिया का स्तर हर साल बढ़ता है, खासकर सर्दियों के महीनों में, और यह कोई नई समस्या नहीं है। पिछले दस वर्षों में दिल्ली सरकार ने इस समस्या का समाधान करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। इसके बजाय, केजरीवाल और आतिशी अपनी असफलताओं का दोष अन्य राज्यों पर मढ़ रहे हैं और इस तरह से दिल्ली की जनता को भ्रमित कर रहे हैं।

उपराज्यपाल ने यह भी कहा कि यह बेहद शर्मनाक है कि दिल्ली जल बोर्ड को बयान जारी करने और इस विवाद का खंडन करने की आवश्यकता पड़ी। उन्होंने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाया कि वह अब अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए झूठे आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना था कि यदि इन मुद्दों पर पहले ही गंभीर कदम उठाए गए होते तो स्थिति ऐसी नहीं होती। उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री आतिशी से अपील की कि वह अपनी बुद्धिमत्ता और संवेदनशीलता का उपयोग करें और इस प्रकार के भ्रामक और खतरनाक बयान न दें। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली के लोग और उनके नेताओं को जनकल्याण और शांति व्यवस्था के पक्ष में सोचना चाहिए और अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करना चाहिए।

वहीं, मुख्यमंत्री आतिशी और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल के बयान के बाद भाजपा ने चुनाव आयोग से शिकायत की है। भाजपा ने आरोप लगाया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और उनके सहयोगियों ने हरियाणा सरकार के खिलाफ झूठे आरोप लगाए हैं और इस मुद्दे को राजनीतिक रूप से भड़काया है। भाजपा ने चुनाव आयोग से मांग की है कि इस मामले में उचित कार्रवाई की जाए। भाजपा नेताओं ने यह भी कहा कि इस तरह के आरोप चुनावी माहौल को प्रभावित कर सकते हैं और इसे चुनावी फायदे के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

इस बीच, दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मंगलवार को मुख्य चुनाव आयोग से मुलाकात की। इस मुलाकात में उन्होंने हरियाणा द्वारा दिल्ली को भेजे जा रहे पानी में जहर मिलने के आरोपों को गंभीरता से लिया। मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि चुनाव आयोग ने इस मामले पर गंभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया है और यह सुनिश्चित करने की कोशिश की जाएगी कि दिल्लीवासियों को सही और शुद्ध पानी मिले। आतिशी ने चुनाव आयोग से यह भी मांग की कि हरियाणा और दिल्ली के इंजीनियरों के साथ एक संयुक्त टीम बनाई जाए, जो यह सुनिश्चित करे कि यमुना में पानी का गुणवत्ता स्तर सही हो और उसमें अमोनिया की कोई मिलावट न हो।

इस मुद्दे को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी बयान दिया और कहा कि पानी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस तरह के आरोप चुनावी मुद्दे बनाने के बजाय इसे आम लोगों के हित में सुलझाना चाहिए। भगवंत मान ने यह भी कहा कि पानी की राजनीति नहीं होनी चाहिए और यह मुद्दा दिल्ली और हरियाणा के बीच सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाया जाना चाहिए। इस तरह से, यह मामला एक नया राजनीतिक विवाद बन चुका है, जिसमें आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है और दिल्ली सरकार के खिलाफ बढ़ते आरोपों से राजनीतिक हलचल बढ़ रही है।

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