नई दिल्ली(स्वाती गुप्ता)। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनज़र, आम बजट 2025-26 को लेकर दिल्ली वासियों में अपेक्षाएँ थीं, लेकिन केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश किए गए इस बजट में दिल्ली के लिए कोई विशेष योजनाओं या विकास की घोषणाएँ नहीं की गईं। चुनाव आचार संहिता (मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट) लागू होने के कारण सरकार ने दिल्ली के लिए कोई नई सौगात देने से परहेज किया। इस बजट में दिल्ली के स्थानीय निकायों, जैसे एनडीएमसी और डीडीए से संबंधित कोई घोषणा नहीं की गई। हालांकि, इस बजट में मध्यम वर्ग को राहत देने के संकेत मिलते हैं, लेकिन दिल्ली के लिए कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया। इससे दिल्लीवासियों में मायूसी का माहौल है क्योंकि वे उम्मीद कर रहे थे कि चुनाव के पहले कुछ राहत दी जाएगी।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बजट पर अपनी निराशा जताई। उन्होंने कहा कि इस बजट में देश के खजाने का एक बड़ा हिस्सा अमीर अरबपतियों के कर्ज़ माफ करने में चला जाता है। उन्होंने मांग की थी कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि भविष्य में किसी भी अरबपति के कर्ज़ माफ नहीं किए जाएं और इसके बजाय इस धन का इस्तेमाल मिडिल क्लास के होम लोन और व्हीकल लोन में छूट देने के लिए किया जाए। इसके अतिरिक्त, उन्होंने किसानों के कर्ज़ माफ करने, इनकम टैक्स और जीएसटी दरों को आधा करने की भी मांग की थी, लेकिन बजट में इन मुद्दों को नज़रअंदाज़ किया गया। अरविंद केजरीवाल का कहना है कि बजट में आम जनता के लिए किसी विशेष राहत की घोषणा नहीं की गई, खासकर दिल्लीवासियों के लिए। इसके बावजूद, उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि वह गरीबों और मिडिल क्लास को अधिक वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए ठोस कदम उठाए।
दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र, दिल्लीवासियों को इस बार के आम बजट से खास उम्मीदें थीं। 5 फरवरी को मतदान होने वाला है और इसके चार दिन पहले संसद में पेश किया गया बजट चुनावी आचार संहिता के कारण दिल्ली के लिए विशेष घोषणाओं से परहेज करते हुए पेश किया गया। चुनाव आयोग ने पहले ही चेतावनी दी थी कि इस बार के बजट में दिल्ली के लिए कोई लोकलुभावन घोषणाएँ नहीं की जाएँ, ताकि चुनाव पर इसका असर न पड़े। इसके बावजूद, दिल्लीवासियों ने उम्मीद जताई थी कि इस बजट में कुछ विशेष घोषणाएँ की जाएँगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री और सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने बजट को सकारात्मक बताते हुए कहा कि यह देश के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत अब दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर है। उन्होंने बजट में मध्यम वर्ग के लिए आयकर की सीमा बढ़ाने और 12 लाख रुपए तक की आय पर टैक्स न लेने के निर्णय की सराहना की। इसके अलावा, 25 लाख तक की आय वाले व्यक्तियों को टैक्स में एक लाख रुपये की छूट देने का निर्णय भी व्यापारियों और छोटे उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण राहत के रूप में देखा गया। उनके अनुसार, इस बजट से व्यापार और लघु उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और व्यापार करने की प्रक्रिया को भी सुगम बनाने के लिए कदम उठाए गए हैं। इसके अलावा, ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस के तहत व्यापार के नए अवसर उत्पन्न होंगे।
संसद में पेश किए गए इस बजट के बाद चुनाव आयोग की ओर से स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र इस बजट में किसी भी प्रकार की लोकलुभावन घोषणाओं से बचा जाए, ताकि चुनाव में किसी भी प्रकार का पक्षपाती असर न पड़े। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने इस संदर्भ में कहा था कि उन्होंने कैबिनेट सचिव को पत्र लिखकर यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि दिल्ली के लिए बजट में कोई भी घोषणा न हो, जो चुनाव को प्रभावित कर सके। इस निर्देश का पालन करते हुए, केंद्रीय सरकार ने दिल्लीवासियों के लिए बजट में कोई भी नई योजना या विशेष घोषणा पेश नहीं की।
इस प्रकार, दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले पेश किए गए बजट में दिल्लीवासियों को कोई विशेष राहत या घोषणाएँ नहीं मिलीं। चुनाव आचार संहिता के कारण दिल्ली के लिए बजट में कोई विशेष योजनाओं का समावेश नहीं किया गया। हालांकि, बजट में अन्य क्षेत्रों के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएँ की गई हैं, लेकिन दिल्लीवासियों के लिए यह बजट निराशाजनक साबित हुआ। अब देखना यह है कि दिल्लीवासियों की उम्मीदें पूरी होती हैं या नहीं, और चुनाव के बाद की स्थितियाँ क्या होती हैं।