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दिल्ली में कड़ाके की ठंड में बेघर लोगों की मौतें बढ़ी, मदद की जरूरत

नई दिल्ली(स्वाती गुप्ता)। नई दिल्ली में कड़ाके की ठंड ने बेघर लोगों के लिए मौत का रूप धारण कर लिया है। हर साल की तरह, इस बार भी दिल्ली की ठंड बेघर लोगों के लिए कहर बन कर आई है, और हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि अब ठंड के कारण होने वाली मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। सेंटर फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट (CHD) के कार्यकारी निदेशक, सुनील कुमार अलेड़िया ने इस पर गहरी चिंता जताई और दिल्ली के मुख्य सचिव धर्मेंद्र सिंह और दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डूसिब) के सीईओ को पत्र लिखकर इस गंभीर संकट के समाधान के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की है।

सुनील कुमार अलेड़िया ने पत्र में उल्लेख किया कि दिल्ली में ठंड के कारण 15 नवंबर से 10 जनवरी तक 474 बेघर लोगों की मौत हो चुकी है। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, इनमें से अधिकतर शवों की शिनाख्त तक नहीं हो पाई है, जिससे यह बात और भी अधिक गंभीर बन जाती है। अलेड़िया ने यह भी कहा कि इन बेघर लोगों की मृत्यु को रोकने के लिए आवश्यक है कि शेल्टर होम्स की संख्या बढ़ाई जाए और सर्दी से बचाव के लिए पर्याप्त कपड़ों की व्यवस्था की जाए। इसके अलावा, उन्हें सामाजिक और आर्थिक संरक्षण भी प्रदान किया जाना चाहिए, ताकि ठंड की चपेट में आने से पहले उनका जीवन बेहतर हो सके।

सीएचडी के कार्यकारी निदेशक का कहना है कि दिल्ली में सर्दी का मौसम बेघर लोगों के लिए मौत की सजा की तरह साबित हो रहा है। यह लोगों की शारीरिक और मानसिक सेहत पर बहुत बुरा असर डालता है। सर्दी का यह मौसम विशेष रूप से उन लोगों के लिए जानलेवा है, जो सड़कों पर या झुग्गियों में रहते हैं, और उनके पास ठंड से बचने के लिए कोई सुरक्षित स्थान या साधन नहीं होता। सर्द रातों में सड़कों पर सोने वालों के लिए जीवन और मौत के बीच का अंतर बढ़ जाता है। इस कड़ी सर्दी में न केवल शारीरिक बीमारियां, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं भी बढ़ जाती हैं, जिससे जीवन संकट में पड़ जाता है।

अलेड़िया ने पत्र में यह भी बताया कि इस मौसम में स्वास्थ्य समस्याओं में श्वसन संक्रमण, त्वचा रोग, गठिया, और मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं में भारी वृद्धि होती है। इसके अलावा, अस्थमा, सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज), और हृदय संबंधी बीमारियां भी सर्दी के कारण और गंभीर हो जाती हैं, जिससे बेघर लोग और अधिक जटिलताओं का सामना करने के लिए मजबूर हो जाते हैं। इन परिस्थितियों में, उनका इलाज करना और जीवन बचाना एक बड़ा चैलेंज बन जाता है। अलेड़िया ने यह भी स्पष्ट किया कि इन समस्याओं का समाधान सिर्फ शेल्टर होम्स या कपड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि एक व्यापक सामाजिक सुरक्षा प्रणाली की आवश्यकता है, जिससे बेघर लोगों को एक स्थिर जीवन मिल सके।

सीएचडी के कार्यकारी निदेशक ने इस पत्र की कॉपी दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना, मुख्यमंत्री आतिशी, स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज, सभी जिलों के डीएम और डीसीपी को भी भेजी है। पत्र में दिल्ली के सभी 15 जिलों में हुई मौतों के आंकड़े भी शामिल हैं, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि यह समस्या कितनी गंभीर हो चुकी है। उन्होंने दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से यह अनुरोध किया है कि इस संकट के समाधान के लिए एक ठोस और प्रभावी योजना बनाई जाए, ताकि ठंड के मौसम में बेघर लोगों की जान को बचाया जा सके और उन्हें जीवन का न्यूनतम अधिकार मिल सके। बेघर लोगों के लिए इस कड़ाके की ठंड में जीवन बिताना किसी चुनौती से कम नहीं है। उनकी मदद के लिए दिल्ली सरकार को जल्द से जल्द ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि इस समस्या का समाधान किया जा सके और ठंड के कारण होने वाली मौतों की संख्या में कमी लाई जा सके।

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