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दिल्ली में अफसरशाही पर नकेल: जनप्रतिनिधियों की अवहेलना पर होगी कड़ी कार्रवाई

विधानसभा अध्यक्ष ने जताई सख्त नाराजगी, सरकार ने जारी किया सर्कुलर – अब अफसरों की मनमानी नहीं चलेगी

नई दिल्ली। (स्वाती गुप्ता)। दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा प्रशासनिक बदलाव देखने को मिल रहा है। अब जनप्रतिनिधियों की अनदेखी करने वाले अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई होगी। दिल्ली सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंध में सख्त सर्कुलर जारी किया है। इस नए आदेश के तहत अगर कोई अधिकारी विधायकों और सांसदों की शिकायतों या अनुरोधों को नजरअंदाज करता है, तो उस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। यह निर्देश दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता की शिकायत के बाद जारी किया गया है, जिसमें उन्होंने अधिकारियों के रवैये पर गंभीर चिंता जताई थी। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा था कि कई अधिकारी विधायकों के पत्रों, कॉल्स और मैसेज का जवाब तक नहीं दे रहे हैं। इसके चलते दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव धर्मेंद्र कुमार ने इस मसले को गंभीरता से लिया और सभी प्रशासनिक विभागों को स्पष्ट निर्देश दिए कि वे जनप्रतिनिधियों के साथ उचित समन्वय बनाए रखें।

मुख्यमंत्री ने भी अधिकारियों को कड़ा संदेश दिया है कि विधायकों के पत्रों और अनुरोधों को नजरअंदाज करने की संस्कृति को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अधिकारियों को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि वे विधायकों के सवालों और सुझावों का जवाब समय पर दें। इस नए आदेश में यह भी साफ कर दिया गया है कि अगर कोई अधिकारी विधानसभा सदस्यों से समन्वय स्थापित करने में असफल रहता है, तो यह उनकी वार्षिक मूल्यांकन रिपोर्ट (ACR) में नकारात्मक रूप से दर्ज किया जाएगा। सामान्य प्रशासन विभाग ने इस आदेश की प्रति सभी विभागाध्यक्षों को भेज दी है और उपराज्यपाल कार्यालय को भी इसकी सूचना दी गई है। दिल्ली सरकार के मुताबिक, यह सख्त कदम इसलिए जरूरी हो गया था क्योंकि प्रशासन और विधायकों के बीच तालमेल की कमी की वजह से सरकार की नीतियों का सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा था।

दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने 19 मार्च को दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर अधिकारियों के गैर-जिम्मेदाराना रवैये पर सवाल उठाए थे। उन्होंने पत्र में यह उल्लेख किया था कि कई विभागों के अधिकारी विधानसभा सदस्यों द्वारा भेजे गए पत्रों, कॉल्स और संदेशों का जवाब नहीं दे रहे हैं, जिससे विधायकों को कार्य करने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि अधिकारियों की इस मनमानी का सीधा असर जनता की समस्याओं पर पड़ रहा है और विकास कार्यों में भी रुकावट आ रही है। विधानसभा अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि अब किसी भी अधिकारी को इस लापरवाही की छूट नहीं दी जाएगी और अगर कोई अधिकारी विधायकों के पत्रों का जवाब नहीं देता है, तो उस पर सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने मुख्य सचिव से यह भी आग्रह किया कि सभी विभागों, दिल्ली पुलिस और डीडीए सहित अन्य एजेंसियों को इस सर्कुलर का पालन कराने का निर्देश दिया जाए।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के दौरान भी विधायकों और अधिकारियों के बीच तालमेल की कमी का मुद्दा कई बार उठा था। कई मौकों पर विधानसभा सत्र के दौरान जब विधायक या मंत्री किसी विभागीय अधिकारी से जवाब मांगते थे, तो उन्हें संतोषजनक उत्तर नहीं मिलता था। इस वजह से सरकार और प्रशासन के बीच लगातार टकराव की स्थिति बनी रहती थी। तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने भी इस विषय पर कई बार चिंता जताई थी और अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों की बात सुनने के निर्देश दिए थे। हालांकि, अब नई सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए साफ कर दिया है कि कोई भी अधिकारी विधायकों को नजरअंदाज नहीं कर सकता। अगर कोई भी अधिकारी जनप्रतिनिधियों के पत्रों, कॉल्स या संदेशों का जवाब देने में कोताही बरतता है, तो उसे अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। इससे न केवल सरकार की कार्यशैली में सुधार होगा, बल्कि आम जनता की समस्याओं का समाधान भी तेजी से किया जा सकेगा।

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