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दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों की फीस वसूली पर फूटा पेरेंट्स का गुस्सा

नई दिल्ली(स्वाती गुप्ता)। प्राइवेट स्कूलों की मनमानी ने एक बार फिर राजधानी के माता-पिता को सड़कों पर उतरने को मजबूर कर दिया है। शिक्षा निदेशालय की अनुमति के बिना स्कूलों द्वारा मनचाही फीस वृद्धि के खिलाफ शिकायतों की बाढ़ अप्रैल माह के आरंभ से ही देखी जा रही है। नए शिक्षा सत्र की शुरुआत के साथ ही राजधानी के तमाम हिस्सों से यह आरोप सामने आ रहे हैं कि स्कूल न सिर्फ फीस बढ़ा रहे हैं, बल्कि अभिभावकों की आपत्ति को भी नजरअंदाज कर रहे हैं। राजधानी के कई नामी स्कूलों के बाहर अब विरोध प्रदर्शन आम हो गए हैं और माता-पिता लगातार सरकार से हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं। इस बीच मंगलवार को एक जनसंवाद कार्यक्रम के दौरान एक अभिभावक ने जब मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से खुले मंच पर शिकायत दर्ज कराई तो मामला और गर्मा गया। उस शिकायत ने न केवल प्रशासन को झकझोरा बल्कि सीधे मुख्यमंत्री स्तर से कार्रवाई के आदेश भी निकलवाए।

रेखा गुप्ता ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट के ज़रिए जानकारी साझा की कि क्वीन मैरी स्कूल, मॉडल टाउन के खिलाफ गंभीर आरोप सामने आए हैं। बच्चों के अभिभावकों ने आरोप लगाया है कि स्कूल ने गैरकानूनी ढंग से फीस वसूलने के साथ-साथ, फीस न देने पर बच्चों को स्कूल से निकालने की धमकी भी दी है। मुख्यमंत्री ने तुरंत संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस मामले की गहन जांच की जाए और यदि कोई गड़बड़ी पाई जाए तो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि दिल्ली सरकार की नीति शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता बनाए रखने और छात्रों के अधिकारों की रक्षा करने की है। इसके साथ ही उन्होंने दो टूक शब्दों में यह चेतावनी दी कि जो भी संस्था इस नीति के विरुद्ध काम करती है, उसके खिलाफ बख्शा नहीं जाएगा।

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस मामले में स्पष्ट कर दिया है कि सरकार की प्राथमिकता बच्चों को न्याय, सम्मान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि कोई भी स्कूल किसी अभिभावक को डराने-धमकाने या जबरन फीस वसूलने का अधिकार नहीं रखता। नियम और कानून सबके लिए समान हैं, और अगर कोई संस्था उन नियमों का उल्लंघन करती है तो उसे उसका खामियाजा भुगतना ही पड़ेगा। रेखा गुप्ता ने कहा कि पिछले कुछ समय से उनके पास लगातार पेरेंट्स पहुंच रहे हैं और अपने अनुभव साझा कर रहे हैं। वह खुद हर शिकायत को गंभीरता से ले रही हैं और ऐसी किसी भी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, जिससे बच्चों या उनके अभिभावकों को परेशानी हो। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि जिन स्कूलों के खिलाफ शिकायतें मिल रही हैं, उन्हें नोटिस भेजे जा चुके हैं और जांच की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

इस पूरे घटनाक्रम का सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि जिन स्कूलों के नाम सामने आ रहे हैं, वे सभी राजधानी के प्रतिष्ठित और हाई-प्रोफाइल माने जाते हैं। दक्षिणी दिल्ली का कारमेल स्कूल, द्वारका स्थित डीपीएस स्कूल, महाराजा अग्रसेन मॉडल स्कूल, पीतमपुरा, और इंद्रप्रस्थ वर्ल्ड स्कूल, पश्चिम विहार जैसे स्कूलों के खिलाफ अभिभावकों ने लम्बे समय से विरोध प्रदर्शन किए हैं। ये पेरेंट्स लगातार यह कह रहे हैं कि स्कूल कोर्ट के आदेशों और शिक्षा निदेशालय की गाइडलाइन्स की खुली अवहेलना कर रहे हैं। पेरेंट्स का आरोप है कि कई बार शिकायतें दर्ज कराने के बावजूद इन स्कूलों पर अब तक कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई है। अभिभावकों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे और इसे राजधानी भर में फैलाएंगे। राजधानी की शिक्षा व्यवस्था के इस बिगड़ते रूप को देखते हुए सरकार के लिए यह एक बड़ा परीक्षण बन गया है, जिसमें उसे यह साबित करना होगा कि वह सच में शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करने को लेकर संकल्पबद्ध है।

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