नई दिल्ली(स्वाती गुप्ता)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किराए पर स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) की वार्षिक सीमा में बड़ी राहत दी है, जिससे छोटे करदाताओं को महत्वपूर्ण लाभ मिलेगा। अब तक, यदि कोई किरायेदार सालाना 2.40 लाख रुपये से अधिक का किराया देता था, तो उसे उस पर टीडीएस काटना पड़ता था, लेकिन अब यह सीमा बढ़ाकर 6 लाख रुपये कर दी गई है। इस कदम से न केवल छोटे मकान मालिकों को राहत मिलेगी बल्कि किरायेदारों की भी परेशानी कम होगी, जो हर महीने किराए पर टीडीएस काटने की बाध्यता से बच जाएंगे। इस निर्णय का सबसे बड़ा असर उन लोगों पर पड़ेगा जो मध्यम और छोटे स्तर पर किराया अर्जित करते हैं। अब तक, अगर कोई व्यक्ति अपने घर, दुकान या कार्यालय को किराए पर देता था और सालाना 2.40 लाख रुपये से अधिक कमाता था, तो किराएदार को उसके किराए पर टीडीएस काटकर जमा करना अनिवार्य था। लेकिन अब यह सीमा बढ़ने से छोटे स्तर के मकान मालिकों को बड़ी राहत मिलेगी, जो पहले हर साल टीडीएस कटौती की प्रक्रिया से गुजरने को मजबूर थे। इससे उनकी आय पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और वे बिना किसी अतिरिक्त कर कटौती के अपनी पूरी राशि प्राप्त कर सकेंगे। इसके अलावा, किरायेदारों को भी फायदा होगा, क्योंकि अब उन्हें छोटे किराए पर टीडीएस जमा करने की बाध्यता नहीं होगी, जिससे उनका प्रशासनिक बोझ कम होगा।
यह बदलाव विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद होगा, जो मध्यम स्तर के मकान मालिक हैं और जिनका वार्षिक किराया 6 लाख रुपये से कम है। पहले, अगर कोई व्यक्ति 20,000 रुपये प्रति माह या उससे अधिक का किराया दे रहा था, तो उसे टीडीएस काटना पड़ता था। लेकिन अब यह सीमा बढ़ाकर 50,000 रुपये प्रति माह कर दी गई है। इसका मतलब है कि 50,000 रुपये तक के मासिक किराए पर अब टीडीएस नहीं कटेगा। यह न केवल मकान मालिकों के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि किराएदारों के लिए भी एक सुविधाजनक निर्णय साबित होगा। इससे छोटे और मध्यम वर्ग के लोगों को वित्तीय रूप से लाभ होगा और उनकी आमदनी पर कर कटौती का बोझ कम होगा। इसके अलावा, इस बदलाव से सरकारी प्रशासन पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। पहले, जब किराए पर 2.40 लाख रुपये की सीमा पार होती थी, तो मकान मालिकों को टीडीएस की गणना और भुगतान करने की जटिल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था। इसके लिए किरायेदारों को अतिरिक्त कागजी कार्रवाई करनी पड़ती थी, जिससे समय और संसाधनों की खपत होती थी। अब इस सीमा को बढ़ाकर 6 लाख रुपये करने से इन सभी प्रक्रियाओं में कमी आएगी और प्रशासनिक सरलता बढ़ेगी।
सरकार का यह कदम न केवल छोटे मकान मालिकों को राहत देगा, बल्कि मध्यम आय वर्ग के लोगों को भी एक बड़ी सुविधा प्रदान करेगा। कई मकान मालिक ऐसे हैं, जिनकी आय का मुख्य स्रोत किराया ही होता है, लेकिन टीडीएस की जटिलताओं के कारण उन्हें समय-समय पर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। इस बदलाव के बाद, अब वे बिना किसी कटौती के अपनी पूरी राशि प्राप्त कर सकेंगे, जिससे उनके वित्तीय प्रबंधन में भी सुधार आएगा। साथ ही, छोटे व्यापारी और दुकानदार जो व्यावसायिक संपत्तियों के किराए पर निर्भर हैं, उन्हें भी इससे सीधा लाभ मिलेगा। यह कहना गलत नहीं होगा कि इस नए निर्णय से देश के लाखों छोटे मकान मालिकों और किराएदारों को फायदा मिलेगा। सरकार ने यह कदम आम जनता की वित्तीय कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए उठाया है, जिससे छोटे और मध्यम वर्गीय परिवारों को आर्थिक रूप से मजबूती मिलेगी। खासकर वे लोग जो अपने किराए से छोटी-छोटी बचत करके अपना गुजारा करते हैं, उन्हें अब हर महीने टीडीएस कटने की चिंता से मुक्ति मिल जाएगी। यह निर्णय न केवल उनकी आमदनी को बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि उनके जीवन को भी सरल बनाएगा। अर्थव्यवस्था के संदर्भ में देखा जाए तो यह बदलाव नकदी प्रवाह को भी बेहतर बनाएगा। जब मकान मालिकों की आय बिना किसी अतिरिक्त कर कटौती के उनके हाथ में आएगी, तो वे इसे खर्च करने में अधिक स्वतंत्र महसूस करेंगे। इससे बाजार में नकदी का संचार बढ़ेगा और उपभोक्ता खर्च में वृद्धि होगी, जो अंततः देश की अर्थव्यवस्था को भी गति देगा। इसके अलावा, यह कदम किरायेदारों को भी राहत देगा, क्योंकि अब उन्हें अतिरिक्त कर कटौती के झंझट से नहीं गुजरना पड़ेगा।
सरकार के इस निर्णय से यह साफ है कि वह आम जनता की जरूरतों को समझते हुए कर प्रणाली को सरल और सहज बनाने की दिशा में काम कर रही है। इस बदलाव से जहां मकान मालिकों को लाभ मिलेगा, वहीं किरायेदारों के लिए भी यह एक राहत भरा कदम साबित होगा। कर प्रणाली में इस प्रकार की राहत से आम लोगों को प्रत्यक्ष रूप से आर्थिक फायदा होगा और वे अपनी आय को बिना किसी कटौती के उपयोग कर सकेंगे। भविष्य में ऐसे और भी सुधारों की उम्मीद की जा सकती है, जो कर प्रणाली को सरल और प्रभावी बनाएंगे। अंततः, यह निर्णय देश के छोटे और मध्यम वर्गीय मकान मालिकों के लिए एक महत्वपूर्ण राहत साबित होगा। सरकार के इस कदम से करदाताओं की संख्या में कमी आएगी और छोटे स्तर पर संपत्तियों के लेन-देन को बढ़ावा मिलेगा। टीडीएस की सीमा को बढ़ाकर 6 लाख रुपये करने से कर प्रणाली को सरल बनाया गया है, जिससे छोटे मकान मालिकों को बड़ा फायदा होगा। इसके साथ ही, किराएदारों के लिए भी यह एक बड़ा बदलाव है, जो उन्हें कर कटौती की जटिल प्रक्रिया से बचाएगा और उनकी वित्तीय योजनाओं को और अधिक सशक्त बनाएगा।