प्रयागराज(सुरेन्द्र कुमार)। मकर संक्रांति के दिन महाकुंभ में पहले शाही स्नान का ऐतिहासिक आयोजन हुआ। लाखों श्रद्धालु इस पुण्य अवसर का लाभ उठाने के लिए रात से ही मेला क्षेत्र में जुटने लगे थे। संगम तट पर स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा, और यह दृश्य किसी अद्वितीय धार्मिक उत्सव से कम नहीं था। सुबह 6रू15 बजे से ही अखाड़ों का स्नान क्रमबद्ध तरीके से शुरू हो गया। अखाड़ों के संत, साधु और संन्यासी ष्हर-हर महादेवष् और ष्हर-हर गंगेष् के उद्घोष के साथ संगम की ओर बढ़े। उनकी श्रद्धा और भक्ति से पूरा मेला क्षेत्र गूंज रहा था। संगम तट की ओर जाते इन संतों की यात्रा को देख कर श्रद्धालुओं में उत्साह और भक्ति का माहौल था। इस अवसर पर, हर कोई अपने जीवन के इस महत्वपूर्ण क्षण को संजोने की कोशिश कर रहा था। मेला क्षेत्र में न केवल श्रद्धालु, बल्कि सुरक्षा और प्रशासन की टीम भी सक्रिय थी, ताकि श्रद्धालुओं की भीड़ को सुरक्षित तरीके से नियंत्रित किया जा सके। यह स्नान एक ऐतिहासिक अवसर था, जिसे हर किसी ने अपने दिल में बसाने की कोशिश की।

शाही स्नान के समय संगम में श्रद्धालुओं की संख्या 1 करोड़ 60 लाख तक पहुंच गई थी। यह एक अद्वितीय दृश्य था, जहां हर दिशा से लोग संगम की ओर बढ़ रहे थे। गंगा, यमुन और अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान करना सभी के लिए एक आस्था का प्रतीक था। श्रद्धालुओं ने पुण्य प्राप्ति के लिए इस खास दिन का लाभ उठाया और अपनी श्रद्धा के साथ पानी में डुबकी लगाई। मेला क्षेत्र में जनसैलाब इतना था कि हर घाट पर एक अलग ही माहौल था। श्रद्धालु हर-हर महादेव के जयकारे लगाते हुए, भक्ति में लीन हो रहे थे। संगम तट पर चहल-पहल थी और हर कोई इस धार्मिक आयोजन का हिस्सा बनने का संकल्प ले चुका था। इस दौरान, श्रद्धालुओं के मन में एक खास प्रकार की शांति और आस्था थी, जो उनके चेहरे पर स्पष्ट दिख रही थी। उनके लिए यह स्नान केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि जीवन का सबसे बड़ा पल था, जिसे वे वर्षों तक याद करेंगे। कुंभ मेले की इस शाही स्नान की महिमा पूरी दुनिया में गूंज रही है और इसे एक बड़े धार्मिक आयोजन के रूप में देखा जा रहा है।
दूसरी ओर, मेला क्षेत्र के कुछ खास स्थानों पर श्रद्धालुओं के लिए दर्शन में भी बदलाव हुआ। संगम तट पर स्थित लेटे हनुमान मंदिर पर आज श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति नहीं मिली। जिलाधिकारी रविंद्र कुमार ने इसकी जानकारी दी, जिससे श्रद्धालुओं में थोड़ी निराशा भी दिखी। हालांकि, इसका असर कुंभ स्नान के उत्साह पर नहीं पड़ा और लोग संगम में स्नान करने के लिए आगे बढ़ते रहे। पूरे 12 किलोमीटर के दायरे में घाटों पर जबरदस्त भीड़ उमड़ी हुई थी। विभिन्न अखाड़ों के संतों ने पहले शाही स्नान का पुण्य लाभ लिया और उनका स्नान देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग वहां मौजूद थे। अखाड़ों के संतों द्वारा किए गए इस स्नान को देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आए थे। इस बार कुंभ मेला पहले से भी बड़े स्तर पर आयोजित किया जा रहा है, और यह आयोजन न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। मकर संक्रांति के इस विशेष दिन ने प्रयागराज को एक बार फिर धार्मिकता और आस्था का केंद्र बना दिया है, और हर कोई इस अद्वितीय दृश्य को अपनी यादों में संजोने की कोशिश कर रहा है।