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महाकुंभ में पहली बार अद्भुत रुद्राक्ष शिवनगरी, 7 करोड़ 51 लाख रुद्राक्षों से बने द्वादश ज्योतिर्लिंग

विश्व में पहली बार 1 से 26 मुखी रुद्राक्ष से निर्मित ज्योतिर्लिंग, विभिन्न उद्देश्यों के लिए विविध त्रिशूल स्थापित

प्रयागराज(सुरेन्द्र कुमार)। 144 साल बाद आयोजित महाकुंभ में श्रद्धा और भक्ति का अनूठा संगम देखने को मिल रहा है। संपूर्ण क्षेत्र आध्यात्मिक उल्लास से सराबोर है, और हर ओर आस्था की लहरें उमड़ रही हैं। इस बार कुंभ में एक विशेष आकर्षण बना है दृ रुद्राक्षों से सजी श्शिवनगरीश्, जो श्रद्धालुओं को अपनी दिव्यता से मोह रही है। कुंभ मेले में जहां देश-विदेश के नेता, मंत्री, उद्योगपति और प्रमुख हस्तियां पुण्य की डुबकी लगाने पहुंच रही हैं, वहीं श्रद्धालु रुद्राक्षों से निर्मित द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव ले रहे हैं। यह शिवनगरी कुंभ क्षेत्र के सेक्टर 17 के पास स्थापित की गई है, जहां भक्तों का तांता लगा हुआ है।

इस अलौकिक शिवनगरी का निर्माण 7 करोड़ 51 लाख रुद्राक्षों से किया गया है, जिसमें 12 भव्य शिवलिंग स्थापित किए गए हैं। प्रत्येक शिवलिंग की ऊंचाई 11 फीट रखी गई है, और इनका निर्माण एक मुखी से लेकर 26 मुखी रुद्राक्षों के उपयोग से हुआ है। इतना ही नहीं, इस स्थान पर 11108 त्रिशूल भी स्थापित किए गए हैं, जिनमें भी रुद्राक्ष का प्रयोग किया गया है। इस अनूठी रचना का उद्देश्य भगवान शिव के दिव्य स्वरूप को साकार करते हुए प्रत्येक भक्त की मनोकामना पूर्ण करना है। भक्तों को पहली बार इतने विशाल और रुद्राक्षों से निर्मित शिवलिंगों के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। श्रद्धालुओं की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है, और यहां का दिव्य वातावरण भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान कर रहा है।

मौनी बाबा, जिन्होंने इस अद्वितीय शिवनगरी की स्थापना करवाई है, का कहना है कि सतयुग, त्रेता और द्वापर के बाद पहली बार कलयुग में इतनी विशाल रुद्राक्ष रचना का साक्षात दर्शन हो रहा है। यह ज्योतिर्लिंग सोने, चांदी या मिट्टी से नहीं, बल्कि भगवान शिव की कृपा से उत्पन्न रुद्राक्ष के दानों से निर्मित किए गए हैं। प्रत्येक शिवलिंग में 55 लाख रुद्राक्षों का समावेश किया गया है, जिनकी ऊंचाई 11 फीट और चौड़ाई 9 फीट है। ऊंचाई रुद्र के 11 स्वरूपों को दर्शाती है, जबकि चौड़ाई नवदुर्गा के प्रतीक के रूप में देखी जाती है। इस महाकाव्यात्मक निर्माण के पीछे देश की सुरक्षा, धर्म रक्षा और समाज में सकारात्मक परिवर्तन का संकल्प निहित है।

अद्वितीय शिवलिंगों के निर्माण के साथ-साथ यहां 11108 त्रिशूल भी स्थापित किए गए हैं, जो विभिन्न उद्देश्यों के प्रतीक माने जा रहे हैं। इनमें काले त्रिशूल को आतंकवाद के खात्मे के लिए, पीले त्रिशूल को महामारी के विनाश के लिए, लाल त्रिशूल को अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए और सफेद त्रिशूल को ज्ञान व बुद्धि के लिए समर्पित किया गया है। इस पूरी व्यवस्था को 12 घंटों में विभाजित किया गया है, जो वर्ष के 12 महीनों और सूर्य के 12 स्वरूपों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यहां बनाए गए 12 स्तंभ भगवान गणेश को समर्पित हैं, जबकि मां बगलामुखी के नाम पर स्तंभों की स्थापना की गई है, जिससे समाज के सभी नकारात्मक प्रभावों का नाश हो सके। शिवनगरी के इस अद्भुत स्वरूप को देखने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु आ रहे हैं।

यहां आने वाले श्रद्धालु रुद्राक्ष से निर्मित इन दिव्य ज्योतिर्लिंगों की परिक्रमा कर रहे हैं और अद्वितीय ऊर्जा का अनुभव कर रहे हैं। भक्तों का कहना है कि उन्होंने अब तक इतने अद्भुत और भव्य ज्योतिर्लिंगों के दर्शन नहीं किए थे। कुंभ मेले में इस शिवनगरी की भव्यता और आस्था से ओतप्रोत वातावरण भक्तों के लिए अविस्मरणीय अनुभव प्रदान कर रहा है। कुंभ में पहली बार ऐसी अद्वितीय संरचना देखने को मिल रही है, जिससे इस धार्मिक आयोजन का महत्व और भी बढ़ गया है। यह स्थल आने वाले वर्षों तक श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा स्रोत बना रहेगा, और यहां के आध्यात्मिक अनुभवों को भक्त जीवनभर संजो कर रखेंगे।

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