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दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम, तीसरे शाही स्नान के मौके पर उमड़ेगा श्रद्धालुओं का सैलाब

प्रयागराज(सुरेन्द्र कुमार)। महाकुंभ मेला, जो दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है, इस समय उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में जोरों पर है। हर साल लाखों श्रद्धालु, संत और आध्यात्मिक साधक गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियों के संगम पर आते हैं और यहां पवित्र स्नान करके अपने पापों से मुक्ति पाने का प्रयास करते हैं। इस बार 2025 का महाकुंभ मेला 13 जनवरी से शुरू हुआ है और 26 फरवरी तक चलेगा। महाकुंभ मेले का आयोजन त्रिवेणी संगम पर होता है, जहां तीन पवित्र नदियों का संगम होता है। यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यहां स्नान करने से श्रद्धालुओं को मोक्ष की प्राप्ति और पापों से मुक्ति मिलती है। इस अवसर पर लाखों लोग अपने जीवन के इस महत्वपूर्ण अवसर को न केवल आध्यात्मिक शुद्धि के लिए बल्कि पुनर्जन्म के लिए भी पवित्र मानते हैं।

इस वर्ष के महाकुंभ में इस समय तक 16 दिन का आयोजन हो चुका है और अभी तक लाखों श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में स्नान किया है। जानकारी के मुताबिक, अब तक लगभग 15 करोड़ लोग इस पवित्र स्नान का हिस्सा बन चुके हैं और आगामी दिनों में श्रद्धालुओं की तादाद में और भी इजाफा होने की संभावना है। इस समय तक महाकुंभ मेला अपने उध्घाटन के बाद पूरी धूमधाम से चल रहा है और अब केवल 29 दिन बाकी हैं। महाकुंभ मेले का तीसरा शाही स्नान 29 जनवरी 2025 (मौनी अमावस्या) को होगा। इस दिन लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करने पहुंचेंगे, जो इस महाकुंभ मेले का एक महत्वपूर्ण दिन होगा। इस मौके पर अनुमान है कि लगभग 10 करोड़ श्रद्धालु संगम में स्नान करने पहुंचेंगे। मौनी अमावस्या का दिन महाकुंभ में विशेष महत्व रखता है और इसे लेकर श्रद्धालु काफी उत्साहित होते हैं।

इस बीच, महाकुंभ मेला 2025 में अब तक दो शाही स्नान हो चुके हैं। पहला शाही स्नान 13 जनवरी को हुआ था, जबकि दूसरा शाही स्नान 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर हुआ। इन दो शाही स्नानों के बाद, अब 29 जनवरी को होने वाला तीसरा शाही स्नान सबसे खास होगा, जिसे लेकर श्रद्धालुओं के बीच भारी उत्साह है। इसके बाद 3 फरवरी को बसंत पंचमी (होली) के मौके पर चौथा शाही स्नान होगा और 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा के दिन पांचवां शाही स्नान होगा। महाकुंभ मेले के अंतिम शाही स्नान का आयोजन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के अवसर पर होगा और इसके साथ ही महाकुंभ का समापन भी होगा। इस दिन लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करने के लिए उमड़ेंगे और अपने जीवन के इस दिव्य अवसर का पूरा लाभ उठाएंगे।

इस बार के महाकुंभ मेला में भारत के विभिन्न हिस्सों के अलावा, विदेशों से भी बड़ी संख्या में तीर्थयात्री पहुंचे हैं। पूरी दुनिया से लोग यहां अपनी धार्मिक आस्थाओं और विश्वासों के साथ आते हैं। महाकुंभ मेला न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर है। महाकुंभ के इस आयोजन में सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं। प्रशासन ने भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया है ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। इसके अलावा, स्वास्थ्य सेवाओं, परिवहन व्यवस्था और अन्य सुविधाओं को भी बढ़ाया गया है ताकि श्रद्धालुओं को सभी प्रकार की सुविधाएं मिल सकें। प्रशासन ने इस विशाल धार्मिक आयोजन के दौरान श्रद्धालुओं के लिए गंगा स्नान और अन्य पूजा विधियों का मार्गदर्शन भी किया है।

माहौल पूरी तरह से भक्तिमय है और यहां आकर श्रद्धालु अपने पापों से मुक्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। महाकुंभ मेला न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और सामाजिक एकता का भी प्रतीक है। कुल मिलाकर, महाकुंभ मेला के इस वर्ष के आयोजन में श्रद्धालुओं की संख्या हर दिन बढ़ रही है और अब 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। इस दिन की महत्वता को लेकर लोगों में एक विशेष आस्था है, और यह पूरे मेले का एक अहम मोड़ साबित होगा। महाकुंभ मेले के दौरान धार्मिक अनुष्ठानों, भव्य पूजाओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है, जो इस आयोजन को और भी भव्य और आकर्षक बनाता है। इस बार के महाकुंभ मेला में कड़ी सुरक्षा, सुविधाएं और प्रशासन की सख्त निगरानी के बीच श्रद्धालु अपने जीवन के इस विशेष अवसर का अनुभव कर रहे हैं और साथ ही धर्म, आस्था और विश्वास के नए आयाम खोज रहे हैं।

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