रामनगर। हिंदू सनातन धर्म में खरमास का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है, और इस अवधि में कोई भी शुभ कार्य संपन्न नहीं किए जाते। परंपरा के अनुसार, खरमास लगभग एक महीने तक चलता है, और इसके समाप्त होने के पश्चात ही मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब सूर्य देव धनु राशि से मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तब खरमास का आरंभ होता है। इस खगोलीय घटना को मीन संक्रांति भी कहा जाता है, और इस दौरान सूर्य दक्षिणायन में होते हैं। लखनऊ के ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र के अनुसार, इस बार खरमास 14 मार्च से प्रारंभ होकर 13 अप्रैल तक रहेगा। संक्रांति की शुरुआत 14 मार्च को रात 8:54 बजे से होगी, जिसके साथ ही मलमास भी प्रारंभ हो जाएगा। इस अवधि में विवाह, गृह प्रवेश, यज्ञोपवीत, भूमि पूजन जैसे सभी शुभ कार्यों पर पूर्णतः रोक रहेगी।
इस वर्ष विवाह और अन्य शुभ कार्यों के लिए अत्यंत शुभ मुहूर्त फरवरी से दिसंबर तक उपलब्ध हैं। फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक का आरंभ होता है, जो होलिका दहन तक चलता है। इस दौरान विवाह, नामकरण, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य वर्जित होते हैं, क्योंकि इस समय सभी ग्रह उग्र अवस्था में होते हैं, जिससे वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है। मार्च माह में 7 तारीख से होलाष्टक दोष एवं मीन मलमास की शुरुआत होगी, जिसके कारण 14 मार्च तक किसी भी प्रकार के शुभ कार्य संपन्न नहीं होंगे। अप्रैल माह में खरमास समाप्त होने के बाद 14, 16, 18, 19, 20, 25, 29, 30 तारीख को विवाह के शुभ मुहूर्त होंगे। मई माह में 5, 6, 7, 8, 9, 11, 13, 17, 23, 28 तारीखों को विवाह संपन्न हो सकेंगे। जून माह में 1, 2, 4, 7, 8 को विवाह के लिए शुभ तिथियां होंगी, लेकिन 8 जून के बाद गुरु अस्त होने के कारण विवाह संपन्न नहीं हो सकेंगे।
इस वर्ष 6 जुलाई को हरिशयनी एकादशी पड़ेगी, जिसके पश्चात देव शयन हो जाएगा, और समस्त शुभ कार्यों पर प्रतिबंध लग जाएगा। इसके बाद पुनः 18 नवंबर से विवाह आदि शुभ कार्य प्रारंभ होंगे। नवंबर माह में 18, 19, 21, 22, 23, 24, 25, 29, 30 तारीखों को विवाह के लिए शुभ मुहूर्त रहेंगे, जबकि दिसंबर माह में केवल 1, 4, 5 तारीखों को ही विवाह संपन्न हो सकेंगे। 6 दिसंबर को शुक्र अस्त होने के कारण समस्त मांगलिक कार्य रुक जाएंगे, और इसके बाद 3 फरवरी 2026 तक कोई भी शुभ कार्य नहीं होगा। 4 फरवरी 2026 से पुनः मांगलिक कार्य आरंभ हो सकेंगे।
साल 2025 में कुछ अत्यंत शुभ दिन ऐसे हैं, जिनमें बिना मुहूर्त देखे ही विवाह संपन्न किए जा सकते हैं। इन्हें अबूझ मुहूर्त कहा जाता है। इस वर्ष 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया, 6 मई को जानकी नवमी, 12 मई को पीपल पूर्णिमा, 5 जून को गंगा दशहरा, 4 जुलाई को कंदर्प नवमी तथा 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी जैसे विशेष दिन अबूझ मुहूर्त होंगे। इन तिथियों में बिना किसी विशेष मुहूर्त विचार के विवाह एवं अन्य मांगलिक कार्य संपन्न किए जा सकते हैं।
खरमास के दौरान शुभ कार्यों को संपन्न न करने के पीछे धार्मिक मान्यता यह है कि इस समय सूर्य देव की ऊर्जा में कमी आ जाती है, जिससे उनकी प्रभावशीलता कम हो जाती है। किसी भी शुभ कार्य के लिए सूर्य का बलवान और प्रभावी होना आवश्यक माना जाता है। इस अवधि में विशेष रूप से सूर्य देव की आराधना करने की परंपरा है। रविवार के दिन सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करना एवं उनके मंत्रों का जाप करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। खरमास में धार्मिक अनुष्ठान, जप-तप एवं दान-पुण्य को विशेष महत्व दिया जाता है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और जीवन में सुख-समृद्धि का संचार होता है।