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2027 में हरिद्वार में होगा महाकुंभ जैसा अर्धकुंभ, संतों और सरकार ने की भव्य आयोजन की तैयारी

हरिद्वार। प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की अपार सफलता के बाद अब धर्मनगरी हरिद्वार में 2027 में होने वाले अर्धकुंभ को पूर्ण कुंभ की तरह भव्य और दिव्य बनाने की तैयारियां तेज हो गई हैं। उत्तराखंड सरकार पहले ही इसे महाकुंभ के रूप में मनाने का निर्णय ले चुकी है, और अब साधु-संतों ने भी इसे यादगार बनाने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। इसी को लेकर हमारे विशेष संवाददाता सुरेंद्र कुमार ने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत रविंद्रपुरी से विशेष बातचीत की। इस चर्चा में उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 2027 के अर्धकुंभ को महाकुंभ के रूप में आयोजित करने का प्रस्ताव रखा था, जिसे संत समाज ने सहर्ष स्वीकार किया। महंत रविंद्रपुरी ने कहा कि यह कुंभ, प्रयागराज 2025 के आयोजन से भी भव्य और दिव्य होगा।

संत समाज और अखाड़ा परिषद ने 2027 के हरिद्वार कुंभ मेले को भव्य और ऐतिहासिक बनाने के लिए अभी से गहन मंथन शुरू कर दिया है। अखाड़ा परिषद के प्रमुख ने बताया कि विभिन्न अधिकारियों और प्रशासनिक प्रतिनिधियों के साथ लगातार बैठकें की जा रही हैं, जिनमें मेले की भव्यता, सुविधाएं, सुरक्षा और व्यवस्थाओं को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा रहे हैं। कुंभ मेले में करोड़ों श्रद्धालुओं के आगमन की संभावना को देखते हुए यातायात प्रबंधन, आवासीय सुविधाओं, स्वच्छता और चिकित्सा सेवाओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। अखाड़ा परिषद और सरकार का संयुक्त प्रयास रहेगा कि यह आयोजन पूर्व के सभी कुंभ मेलों से अधिक सुव्यवस्थित और भव्य हो। संत समाज भी अपनी सक्रिय भूमिका निभा रहा है, ताकि धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को अधिक दिव्य और प्रभावशाली बनाया जा सके। हरिद्वार कुंभ 2027 आध्यात्मिक आस्था और परंपराओं का भव्य संगम बनेगा।

महंत रविंद्रपुरी ने कहा कि जिस तरह प्रयागराज महाकुंभ में दुनियाभर से करोड़ों श्रद्धालु पहुंचे थे, उसी तरह 2027 में हरिद्वार में भी अभूतपूर्व संख्या में श्रद्धालुओं के आगमन की संभावना है। उन्होंने बताया कि इस ऐतिहासिक आयोजन को भव्यतम बनाने के लिए अखाड़ा परिषद और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ गहन मंथन किया जा रहा है। मेले की तैयारियों को लेकर कई महत्वपूर्ण योजनाएं बनाई जा रही हैं, जिनमें सुरक्षा, यातायात प्रबंधन, साफ-सफाई, पेयजल, चिकित्सा सुविधाएं और आधुनिक तकनीकों का समावेश शामिल है। श्रद्धालुओं को हर संभव सुविधा प्रदान करने के लिए कुंभ क्षेत्र का विस्तार, टेंट सिटी, पार्किंग व्यवस्था और गंगा स्नान के लिए विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं। महंत रविंद्रपुरी का कहना है कि हमारा लक्ष्य इस आयोजन को ऐतिहासिक बनाना और पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए इसे भव्यतम रूप देना है।

कुंभ मेले की शान बढ़ाने के लिए इस बार भी भव्य पेशवाई निकाली जाएगी, जो श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आस्था का अद्भुत अनुभव होगी। अखाड़ा परिषद के अनुसार, यह पेशवाई पारंपरिक शाही अंदाज में निकलेगी, जिसमें संत समाज भव्य स्वरूप में शामिल होगा। पेशवाई में हाथी, घोड़े, रथ और विभिन्न सांस्कृतिक झांकियां आकर्षण का केंद्र होंगी, जो सनातन परंपराओं की गौरवमयी झलक प्रस्तुत करेंगी। श्रद्धालु इस अलौकिक दृश्य के साक्षी बन सकेंगे और धार्मिक उत्साह से भर उठेंगे। अखाड़ा परिषद ने बताया कि यह आयोजन कुंभ मेले की भव्यता को और अधिक बढ़ाएगा और संत समाज के दिव्य स्वरूप को उजागर करेगा। इस दौरान सुरक्षा और व्यवस्थाओं का विशेष ध्यान रखा जाएगा, जिससे श्रद्धालु बिना किसी कठिनाई के इस अनूठी परंपरा का आनंद ले सकें।

इसके अलावा, महंत रविंद्रपुरी ने हरिद्वार में सड़कों के विस्तार और कुंभ मेला क्षेत्र को बढ़ाने की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार से अनुरोध किया जाएगा कि घाटों का विस्तार किया जाए और नए घाटों का निर्माण कराया जाए। उनका मानना है कि ष्प्रयागराज और हरिद्वार में बड़ा अंतर है। प्रयागराज में घाटों की संख्या सीमित थी, लेकिन हरिद्वार में यह समस्या नहीं है। इससे अधिक श्रद्धालुओं को कुंभ में स्नान कराने की सुविधा मिलेगी।

महंत रविंद्रपुरी ने कहा कि यह समय सनातन धर्म के पुनर्जागरण का है और कुंभ मेले को और भव्य बनाना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं को सभी आवश्यक सुविधाएं मिलनी चाहिए, जिससे वे पूरी श्रद्धा के साथ इस महायोजना का हिस्सा बन सकें। उन्होंने आगे कहा कि इस महाकुंभ स्तर के अर्धकुंभ में प्रशासन को विशेष ध्यान देना होगा, ताकि तीर्थयात्रियों को आवास, भोजन, परिवहन और सुरक्षा जैसी सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें। सरकार से अनुरोध किया जाएगा कि हरिद्वार के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए सड़कों का विस्तार किया जाए, साथ ही नए घाटों के निर्माण की योजना को भी जल्द से जल्द लागू किया जाए।

महंत रविंद्रपुरी ने जानकारी दी कि सभी अखाड़ों के प्रतिनिधि जल्द ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात करेंगे। इस महत्वपूर्ण बैठक में 2027 के कुंभ मेले की तैयारियों, आयोजन से जुड़ी व्यवस्थाओं और प्रशासनिक सहयोग जैसे विषयों पर गहन चर्चा होगी। इस बैठक के बाद अखाड़ा परिषद की औपचारिक बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें सभी अखाड़ों के प्रमुखों से विस्तृत सुझाव लिए जाएंगे। संत समाज के इन सुझावों को सरकार तक पहुंचाया जाएगा ताकि मेले की भव्यता और सुविधाओं को और बेहतर बनाया जा सके। कुंभ मेले के सफल आयोजन के लिए विभिन्न समितियों का गठन, सुरक्षा व्यवस्था, यातायात नियंत्रण, श्रद्धालुओं के ठहरने और भोजन की व्यवस्थाओं जैसे विषयों पर मंथन किया जाएगा। परिषद और सरकार का लक्ष्य है कि यह कुंभ ऐतिहासिक और अभूतपूर्व हो।

हरिद्वार कुंभ मेला सदियों से सनातन परंपरा, आध्यात्मिकता और आस्था का केंद्र रहा है, जहां करोड़ों श्रद्धालु पवित्र गंगा में स्नान कर मोक्ष की कामना करते हैं। महंत रविंद्रपुरी का कहना है कि 2027 का कुंभ मेला ऐतिहासिक और दिव्य होगा, जिसे भव्यता और संगठन के नए स्तर पर पहुंचाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। उनका मानना है कि यह कुंभ केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने का एक अवसर भी होगा। इस बार का कुंभ एक नई पहचान स्थापित करेगा, जिसमें भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया से श्रद्धालु हरिद्वार की पवित्र धरती पर गंगा स्नान के लिए आएंगे। श्रद्धालुओं की सुविधाओं, सुरक्षा और धार्मिक आयोजनों की बेहतरीन व्यवस्थाओं के लिए प्रशासन और अखाड़ा परिषद मिलकर कार्य कर रहे हैं, जिससे यह आयोजन ऐतिहासिक बन सके।

सरकार और संत समाज की इस अनूठी पहल से 2027 में हरिद्वार में होने वाला कुंभ न केवल आस्था का सबसे बड़ा संगम बनेगा, बल्कि सनातन संस्कृति और परंपराओं का भव्य प्रदर्शन भी करेगा। इस ऐतिहासिक आयोजन की तैयारियां अभी से शुरू हो चुकी हैं, ताकि श्रद्धालुओं को दिव्य और अलौकिक अनुभव मिल सके। कुंभ मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का जीवंत प्रमाण है, जहां देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए आएंगे। संत समाज, अखाड़ा परिषद और प्रशासन मिलकर इसे ऐतिहासिक बनाने के लिए दिन-रात प्रयासरत हैं। आधुनिक सुविधाओं, सुरक्षा और पारंपरिक वैभव के साथ यह कुंभ एक नया कीर्तिमान स्थापित करेगा। धर्म नगरी हरिद्वार अब एक ऐतिहासिक आयोजन की गवाह बनने जा रही है, जिसकी भव्यता और पवित्रता युगों-युगों तक याद की जाएगी और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी।

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