देहरादून(एस पी न्यूज़)। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में सोमवार, 3 फरवरी से 38वां सड़क सुरक्षा माह का आयोजन शुरू किया गया। इस मौके पर एसएसपी अजय सिंह ने जनता को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करने के लिए एक जागरूकता रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। रैली में शामिल पुलिस अधिकारियों ने सड़क हादसों में जान गंवाने वाले लोगों के आंकड़ों को साझा किया, जो चौंकाने वाले थे। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य राज्य में सड़क सुरक्षा को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाना है, खासकर उन युवाओं के बीच जो सड़क पर सुरक्षा नियमों की अनदेखी करते हैं। इस साल सड़क सुरक्षा माह की थीम “युवाओं के मध्य जागरुकता” रखी गई है। इससे यह साफ है कि इस माह के दौरान विशेष ध्यान युवाओं पर दिया जाएगा ताकि वे यातायात नियमों का पालन करें और सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता दें।
जागरूकता रैली के दौरान देहरादून पुलिस ने शहर के विभिन्न इलाकों में भ्रमण किया, जिसमें जनपद देहरादून के सभी थानों की 20 चीता मोबाइल, सीपीयू हॉक यूनिट के अलावा 40 मोटर साइकिल और तीन इंटरसेप्टर वाहन शामिल थे। बाइक रैली पुलिस लाइन रेसकोर्स से शुरू होकर आराघर, टी जंक्शन, सर्वे चौक, बेनी बाजार, बहल चौक, ग्लोब चौक, घंटाघर और दर्शनलाल चौक से होते हुए वापस पुलिस लाइन परेड ग्राउंड में समाप्त हुई। रैली के दौरान पुलिस ने सड़क पर अवैध रूप से लगाए गए 180 मॉडिफाइड साइलेंसरों को चेकिंग के दौरान जब्त किया और उन्हें रोड रोलर के जरिए नष्ट कर दिया। यह कार्रवाई यह संदेश देती है कि सड़क सुरक्षा नियमों का उल्लंघन किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जाएगा और इस प्रकार की घटनाओं पर कड़ी नजर रखी जाएगी।
इस साल 38वां सड़क सुरक्षा माह 3 फरवरी से 15 फरवरी तक चलेगा, जिसके दौरान राज्यभर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों में विशेष रूप से स्कूलों, कॉलेजों और उच्च शिक्षण संस्थानों में कार्यशालाएं और लेक्चर आयोजित किए जाएंगे, ताकि छात्र-छात्राओं को सड़क सुरक्षा के महत्व के बारे में जागरूक किया जा सके। इसके साथ ही, विद्यार्थियों को mybharat-gov-in पोर्टल पर ऑनलाइन प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। सार्वजनिक स्थानों पर सड़क सुरक्षा जागरूकता से संबंधित बैनर और पोस्टर लगाए जाएंगे, जिससे सड़क सुरक्षा के प्रति लोगों में समझ और जागरूकता बढ़ेगी। इसके अलावा, ओवरस्पीडिंग, बिना हेलमेट और सीट बेल्ट के वाहन चलाने वाले चालकों के खिलाफ विशेष चेकिंग अभियान भी चलाया जाएगा।
एसएसपी अजय सिंह ने इस मौके पर भारत में सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों के आंकड़ों को साझा करते हुए चिंता जताई। उन्होंने बताया कि 2024 में भारत में सड़क दुर्घटनाओं में 1.80 लाख लोगों की जान गई, जिनमें से करीब 30 हजार मौतें हेलमेट न पहनने के कारण हुईं। सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों में 66 प्रतिशत लोग 18 से 34 साल के आयु वर्ग के थे, जो यह दर्शाता है कि युवा वर्ग के बीच सड़क सुरक्षा की अनदेखी ज्यादा हो रही है। उत्तराखंड में भी सड़क दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ रही है, और यह चिंता का विषय बन गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि लगभग 90 प्रतिशत दुर्घटनाएं मानवीय लापरवाही के कारण होती हैं, जैसे रैश ड्राइविंग, ओवरस्पीडिंग, गलत दिशा में वाहन चलाना, गलत तरीके से ओवरटेक करना, ओवरलोडिंग और शराब पीकर गाड़ी चलाना।
उत्तराखंड में प्रतिदिन औसतन चार सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें से तीन में लोग अपनी जान गंवाते हैं और पांच लोग घायल होते हैं। राज्य में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या के आधार पर उत्तराखंड देश में 23वें स्थान पर है। इसके अलावा, लगभग 80 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं चार जनपदों (देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर, नैनीताल) में होती हैं, और इनमें से करीब 67 प्रतिशत मामलों में मृतकों की आयु 18 से 45 वर्ष के बीच होती है। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि युवा ड्राइवर्स के बीच सड़क सुरक्षा नियमों का उल्लंघन ज्यादा है, जो सड़कों पर दुर्घटनाओं को बढ़ावा दे रहा है। इस दिशा में जागरूकता फैलाने के लिए पुलिस और प्रशासन की ओर से जो कदम उठाए जा रहे हैं, वे निश्चित रूप से प्रभावी साबित होंगे। सड़क सुरक्षा माह के दौरान आयोजित कार्यक्रमों और जागरूकता अभियानों के जरिए लोगों में सड़क सुरक्षा के प्रति सजगता पैदा की जाएगी, ताकि भविष्य में सड़क हादसों की संख्या में कमी लाई जा सके और जनता की जान की रक्षा की जा सके।