काशीपुर। होली के रंगों के बीच काशीपुर में अवैध शराब का धंधा भी पूरी तरह परवान चढ़ा। इस बार न तो कोई सख्त कार्रवाई हुई और न ही बॉर्डर पर चेकिंग अभियान चला, जिससे शराब तस्करों के हौसले बुलंद रहे। हालात यह रहे कि जगह-जगह अवैध शराब खुलेआम बिकती रही और आबकारी विभाग तमाशबीन बना रहा। वहीं, जब विभागीय अधिकारी से जवाब मांगा गया तो उन्होंने गैर-जिम्मेदाराना बयान देकर स्थिति को और भी संदिग्ध बना दिया। हालांकि, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के निर्देशों का पालन करते हुए कोतवाली पुलिस ने कार्रवाई करते हुए एक बड़े शराब तस्कर को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने खोखराताल निवासी नीतीश चौधरी को चेकिंग के दौरान 9 पेटी अवैध बीयर के साथ पकड़ा।
काशीपुर और इसके आसपास के क्षेत्रों में लंबे समय से अवैध कच्ची शराब बनाने और बेचने का धंधा चल रहा है। कभी-कभार आबकारी विभाग छापेमारी करता है, लेकिन इस बार होली पर विभाग पूरी तरह निष्क्रिय नजर आया। हैरानी की बात यह है कि न तो विभाग ने कोई धरपकड़ अभियान चलाया और न ही किसी शराब तस्कर के खिलाफ कोई मामला दर्ज किया। काशीपुर अंतरराज्यीय बॉर्डर से सटा होने के कारण यहां शराब की तस्करी को रोकना और भी जरूरी हो जाता है, लेकिन इस बार किसी भी तरह की सख्ती नहीं बरती गई। पुलिस के अलावा कोई और कार्रवाई नहीं हुई, जिससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या सच में विभाग की अनदेखी थी या फिर कोई सांठगांठ?
जब इस पूरे मामले पर आबकारी निरीक्षक दिवाकर चौधरी से उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क किया गया, तो पहले उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। कई बार कॉल करने के बाद जब उन्होंने जवाब दिया, तो उनका रवैया बेहद लापरवाह नजर आया। उन्होंने कहा कि वह अभी नए हैं और शराब की दुकानों के आवंटन के काम में व्यस्त हैं। जब उनसे अवैध शराब के कारोबार पर सवाल किया गया, तो उन्होंने टालमटोल भरे जवाब दिए और कहा कि “देखते हैं, समय आने पर कुछ करेंगे।” उनके इस गैर-जिम्मेदाराना बयान से साफ झलकता है कि विभाग अवैध शराब के कारोबार को रोकने में कोई खास रुचि नहीं दिखा रहा है।
काशीपुर में शराब की 52 देसी और अंग्रेजी दुकानें हैं। यहां एक डिस्टलरी, एक बॉटलिंग प्लांट और एक एफएल-2 भी है। ऐसे में आबकारी निरीक्षक का जिम्मा किसी अनुभवी अधिकारी को दिया जाना चाहिए था। लेकिन विभाग ने ठीक इसके उलट एक ऐसे व्यक्ति की तैनाती कर दी, जिनकी नौकरी को अभी छह महीने भी नहीं हुए हैं। इससे क्षेत्र में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। क्या यह महज संयोग है, या फिर किसी बड़े खेल का हिस्सा? यह सवाल अब स्थानीय लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
हर साल होली के त्योहार पर शराब की खपत बढ़ जाती है, और इसी का फायदा उठाकर अवैध शराब माफिया अपनी कमाई बढ़ाते हैं। इस बार भी ऐसा ही हुआ। होली से पहले ही काशीपुर में शराब की कालाबाजारी शुरू हो गई थी, लेकिन इस पर लगाम लगाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। सूत्रों के मुताबिक, इस बार त्योहार के दौरान कुछ इलाकों में अवैध शराब का कारोबार दोगुना बढ़ गया था। कई जगहों पर देसी शराब के ठिकाने खुलेआम चल रहे थे, लेकिन आबकारी विभाग ने इन पर कोई कार्रवाई नहीं की।
हालांकि, पुलिस ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के निर्देशों का पालन करते हुए कुछ कार्रवाई जरूर की। पुलिस टीम ने खोखराताल क्षेत्र में चेकिंग के दौरान 9 पेटी अवैध बीयर के साथ तस्कर नीतीश चौधरी को गिरफ्तार किया। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या सिर्फ पुलिस की कार्रवाई से अवैध शराब के कारोबार पर लगाम लगाई जा सकती है? जब तक आबकारी विभाग और अन्य संबंधित एजेंसियां गंभीरता नहीं दिखाएंगी, तब तक यह खेल यूं ही चलता रहेगा।
काशीपुर के स्थानीय लोगों में इस मुद्दे को लेकर गहरी नाराजगी है। कई लोगों का कहना है कि आबकारी विभाग की निष्क्रियता के कारण ही यह कारोबार फल-फूल रहा है। रवि शर्मा (स्थानीय व्यापारी): “हम हर साल देखते हैं कि त्योहारों पर अवैध शराब की बिक्री बढ़ जाती है, लेकिन इस बार तो विभाग ने बिल्कुल ही आंखें मूंद लीं।” सुरेश तिवारी (सामाजिक कार्यकर्ता): “अगर प्रशासन सख्त होता, तो यह धंधा नहीं चलता। आबकारी विभाग को पूरी तरह से जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।” नीलम चौहान (गृहिणी): “हमारे इलाके में भी अवैध शराब बिकती रही, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। यह हमारी युवा पीढ़ी को बर्बाद कर सकता है।”
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या आबकारी विभाग की इस लापरवाही पर कोई कार्रवाई होगी? क्या नए आबकारी निरीक्षक की नियुक्ति पर पुनर्विचार किया जाएगा? अगर विभाग इसी तरह ढीला रवैया अपनाए रखता है, तो आने वाले दिनों में काशीपुर अवैध शराब का बड़ा हब बन सकता है। प्रशासन को जल्द से जल्द इस ओर ध्यान देना होगा, नहीं तो अवैध शराब माफियाओं के हौसले और भी बुलंद हो सकते हैं। अब देखना होगा कि क्या इस मुद्दे पर कोई ठोस कार्रवाई होती है, या फिर यह भी सिर्फ एक और चर्चा बनकर रह जाएगा।