काशीपुर। बहुप्रतीक्षित स्पोर्ट्स स्टेडियम में उस समय एक नई ऊर्जा का संचार हुआ जब उत्तराखंड राज्य स्तरीय खेल परिषद के राज्य मंत्री एवं उपाध्यक्ष हेमराज बिष्ट निरीक्षण के लिए वहां पहुंचे। मैदान में कदम रखते ही उनका रुख बेहद स्पष्ट और दृढ़ नजर आया। उन्होंने चारों ओर फैली अव्यवस्थाओं को केवल देखा ही नहीं, बल्कि हर कोने पर जाकर वास्तविक हालात को खुद समझा और तुरंत संबंधित अधिकारियों को आवश्यक सुधारों के लिए कड़े निर्देश भी जारी किए। निरीक्षण के दौरान जब उन्होंने कहाकृ“आया हूं तो कुछ करके ही जाऊंगा,” तो मैदान में मौजूद सभी जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों और खिलाड़ियों की आंखों में एक नई आशा झलक उठी। यह दौरा न तो औपचारिक था और न ही केवल दिखावे का हिस्साकृबल्कि यह खेलों के लिए समर्पित एक गंभीर और परिणाममूलक पहल का हिस्सा था। स्टेडियम में हेमराज बिष्ट की उपस्थिति खिलाड़ियों के बीच नई उम्मीदों की किरण बनकर सामने आई।
राज्य के खेल विकास को लेकर उन्होंने जो दृष्टिकोण प्रस्तुत किया, वह स्पष्ट संकेत था कि अब उत्तराखंड केवल ऊर्जा और पर्यटन के लिए ही नहीं, बल्कि खेलों के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय मानचित्र पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने वाला है। हेमराज बिष्ट ने पूरे राज्य के स्टेडियमों और खेल परिसरों की भौतिक स्थिति का स्वयं आकलन करने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य के सुदूर ग्रामीण इलाकों में छुपी हुई प्रतिभाओं को यदि सही प्रशिक्षण, पोषण और प्रतिस्पर्धा के अवसर मिलें, तो उत्तराखंड से अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार हो सकते हैं। इसी दिशा में पिथौरागढ़ स्पोर्ट्स कॉलेज का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि वहां 18 ग्रामीण बच्चे बॉक्सिंग की कठोर ट्रेनिंग ले रहे हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि सही संसाधन और दिशा से चमत्कारी परिणाम सामने आ सकते हैं।

इस निरीक्षण में उन्होंने काशीपुर, ऋषिकेश और देहरादून जैसे प्रमुख शहरों के स्टेडियमों को लेकर भी अहम संकेत दिए। उन्होंने कहा कि जहां-जहां खेल ढांचे की स्थिति खराब है, वहां जरूरी मरम्मत और विकास कार्य तत्काल प्रारंभ किए जाएंगे। वहीं, जिन परिसरों की दशा ठीक है, उन्हें आधुनिक तकनीकों और सुविधाओं से सज्जित कर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार तैयार किया जाएगा। उन्होंने संबंधित विभागों को निर्देश दिया कि समन्वय के साथ कार्य करें ताकि खिलाड़ियों को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि योजनाएं सिर्फ फाइलों तक सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि उन्हें समयबद्ध ढंग से जमीन पर उतारा जाएगा, और इसके लिए आवश्यक बजट भी तत्काल प्रभाव से जारी किया जाएगा।
राजनीतिक विरोधियों द्वारा स्टेडियमों के नाम बदलने को लेकर उठाए गए सवालों पर हेमराज बिष्ट ने बेहद तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह केवल भ्रम फैलाने की कोशिश है, जबकि हकीकत यह है कि कुछ खेल परिसरों को उन खिलाड़ियों के नाम पर सम्मानपूर्वक नामित किया गया है, जिन्होंने राज्य और देश का नाम अंतरराष्ट्रीय मंच पर रोशन किया है। उन्होंने सुरेंद्र सिंह बलियान और कैप्टन हरदत्त जैसे खिलाड़ियों का उल्लेख करते हुए कहा कि उनके नाम पर परिसर का नामकरण खिलाड़ियों को प्रेरणा देने के उद्देश्य से किया गया है, न कि किसी राजनीतिक लाभ के लिए। उन्होंने कहा कि विपक्ष के पास दिखाने के लिए कोई ठोस कार्य नहीं है, इसलिए ऐसे मुद्दों को हवा दी जा रही है ताकि जनता को भ्रमित किया जा सके।
इस अवसर पर स्टेडियम में मौजूद खिलाड़ियों, जनप्रतिनिधियों और खेल प्रेमियों ने अपनी समस्याएं हेमराज बिष्ट के सामने रखीं और सुविधाओं के विस्तार की मांग की। इस संवाद में काशीपुर नगर निगम के महापौर दीपक बाली, जिला क्रीड़ा अधिकारी जानकी कार्की, भारतीय खेल प्राधिकरण के मुकेश बेलवाल, कोच मोहित रावत और मोहित सिंह, पार्षद वैशाली गुप्ता, अनीता कांबोज, पुष्कर बिष्ट, संजय शर्मा, रवि प्रजापति समेत कई प्रमुख लोग उपस्थित रहे। सभी ने स्टेडियम की वर्तमान दुर्दशा और खिलाड़ियों को हो रही दिक्कतों की ओर ध्यान आकर्षित कराया, जिस पर मंत्री ने आश्वस्त किया कि हर जिले में टैलेंट हंट और प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया जाएगा, ताकि ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के खिलाड़ी समान रूप से अवसर प्राप्त कर सकें।
हेमराज बिष्ट ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और खेल सचिव स्तर पर खेल विकास को लेकर निरंतर समीक्षा की जा रही है और इसे श्खेल प्रदेशश् बनाने के लिए एक व्यापक नीति बनाई जा रही है। इसमें न केवल अधूरे प्रोजेक्ट्स को पूरा करने की योजना है, बल्कि नए स्टेडियम निर्माण और वर्तमान ढांचे को विश्वस्तरीय सुविधाओं से लैस करने की भी तैयारी है। उन्होंने दोहराया कि वे केवल बयान देने के लिए मैदान में नहीं हैं, बल्कि पूरी गंभीरता के साथ काम करने आए हैं। यह दौरा न केवल खेल मंत्रालय की तत्परता का प्रमाण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि अब उत्तराखंड में खेल केवल एक विषय नहीं, बल्कि विकास का एक प्रमुख स्तंभ बनने जा रहा है।