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हिंदी पत्रकारिता दिवस पर भावनाओं से भरा यादगार आयोजन, पत्रकारों की एकजुटता बनी मिसाल

हिंदी पत्रकारिता दिवस पर भावनाओं और प्रतिबद्धता से भरे आयोजन ने पत्रकारों की गरिमा, एकता और समाज में भूमिका को नई पहचान दी।

काशीपुर। शहर काशीपुर में हिंदी पत्रकारिता दिवस का आयोजन इस बार कुछ खास ही अंदाज़ में हुआ, जब शगुन गार्डन की गरिमा और मंच की गरज ने पत्रकारिता की साख को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया। काशीपुर मीडिया सेंटर की अगुवाई में हुए इस कार्यक्रम ने न केवल पत्रकारों की एकता को मजबूती दी, बल्कि पत्रकारिता को एक गरिमामय सम्मान दिलाने का भी काम किया। जिस तरह से मीडिया सेंटर के अध्यक्ष दिलप्रीत सिंह सेठी ने इस आयोजन को संकल्प और समर्पण के साथ संचालित किया, वह हर किसी के लिए प्रेरणा बन गया। आयोजन स्थल पर मौजूद पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों ने इस बात को महसूस किया कि पत्रकारिता सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि समाज के लिए एक पुनीत सेवा है, जिसे पूरी सच्चाई और ईमानदारी से निभाया जाना चाहिए।

विक्टर सेठी की भूमिका इस आयोजन में बेहद अहम रही, जिन्होंने न केवल आयोजन की मूल भावना को संजोया, बल्कि काशीपुर के सभी प्रमुख पत्रकारों को एक सूत्र में बांधने का वह शानदार कार्य किया, जो अक्सर कठिन माना जाता है। उनके प्रयासों से मंच पर पत्रकारिता का मान, आत्मबल और प्रतिष्ठा एक नई चमक के साथ प्रस्तुत हुई। इसी भावना को और सशक्त करने पहुंचे काशीपुर महापौर दीपक बाली, एसडीएम अभय सिंह, एसपी अभय सिंह और विधायक त्रिलोक सिंह चीमा ने मंच से पत्रकारों की भूमिका को समाज की रीढ़ बताया। उन्होंने कहा कि पत्रकारों की निष्ठा, निष्पक्षता और संवेदनशीलता ही लोकतंत्र की ताकत होती है, और आज का आयोजन इस सत्य का जीवंत उदाहरण है। मंच से दिए गए वक्तव्यों ने पत्रकारों को न केवल सम्मानित किया, बल्कि उनके भीतर एक नई ऊर्जा का संचार भी किया।

विक्टर सेठी ने इस दौरान अपने उद्बोधन में कहा कि पत्रकारिता कोई साधारण पेशा नहीं, बल्कि यह एक ऐसा मिशन है, जो समाज के हर कोने में सच्चाई की रोशनी फैलाता है। उन्होंने कहा कि आज के दौर में पत्रकारिता कई चुनौतियों से गुजर रही है, लेकिन ऐसे आयोजनों के माध्यम से पत्रकारों को एक नई ऊर्जा और आत्मबल प्राप्त होता है। विक्टर सेठी ने यह भी कहा कि काशीपुर मीडिया सेंटर का उद्देश्य सिर्फ कार्यक्रम कराना नहीं, बल्कि पत्रकारों को एक मंच देना है, जहां वे अपनी समस्याओं, सरोकारों और अनुभवों को साझा कर सकें। उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि जब तक पत्रकार एकजुट रहेंगे, तब तक कोई भी ताकत उनकी निष्पक्षता और ईमानदारी को चुनौती नहीं दे सकती। उन्होंने वरिष्ठ पत्रकारों के अनुभवों को नई पीढ़ी के लिए अमूल्य बताया और सभी से आग्रह किया कि पत्रकारिता की गरिमा बनाए रखने के लिए संयम, संकल्प और सत्य के मार्ग पर अडिग रहना ही आज की सबसे बड़ी जरूरत है।

मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित काशीपुर महापौर दीपक बाली ने इस अवसर पर अपने वक्तव्य में कहा कि हिंदी पत्रकारिता दिवस जैसे आयोजनों की आज के दौर में अत्यधिक आवश्यकता है, क्योंकि यह न केवल पत्रकारों को एक मंच प्रदान करते हैं, बल्कि पत्रकारिता के मूल्यों को भी जीवित रखने का कार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकार समाज का वह आईना है, जो न केवल जनता की समस्याओं को उजागर करता है, बल्कि प्रशासन और शासन को भी सच से अवगत कराता है। दीपक बाली ने यह भी कहा कि जिस तरह से काशीपुर मीडिया सेंटर ने इस भव्य आयोजन को पूरी गरिमा के साथ सम्पन्न कराया, वह निश्चित रूप से प्रेरणादायक है। उन्होंने पत्रकारों की भूमिका को लोकतंत्र की रीढ़ बताते हुए कहा कि पत्रकार जब निर्भीक होकर सत्य लिखते हैं, तभी देश और समाज का भला होता है। अंत में उन्होंने सभी पत्रकारों को हिंदी पत्रकारिता दिवस की शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।

विशिष्ट अतिथि के रूप में पहुंचे विधायक त्रिलोक सिंह चीमा ने अपने विचार रखते हुए कहा कि पत्रकारिता लोकतंत्र का वह मजबूत स्तंभ है, जो न केवल सरकार और जनता के बीच सेतु का कार्य करती है, बल्कि समय-समय पर समाज को जागरूक करने में भी अपनी अहम भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि पत्रकार केवल सूचनाओं का प्रसारक नहीं होता, बल्कि वह जनभावनाओं का प्रतिनिधि भी होता है, जो अपने शब्दों के माध्यम से समाज की दिशा और दशा को प्रभावित करता है। विधायक त्रिलोक सिंह चीमा ने यह भी कहा कि आज जब तकनीक के युग में सूचनाओं की बाढ़ है, तब पत्रकारों की जिम्मेदारी और भी अधिक बढ़ जाती है कि वे सत्य और तथ्य आधारित समाचारों को ही सामने लाएं। उन्होंने काशीपुर मीडिया सेंटर की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन पत्रकारों को एकजुट करने के साथ-साथ उनके आत्मबल को भी मजबूत करते हैं, जो कि लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए अत्यंत आवश्यक है।

कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकारों की उपस्थिति ने आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया। दशकों से पत्रकारिता कर रहे इन अनुभवी पत्रकारों ने जब मंच पर अपने अनुभव साझा किए, तो माहौल में गहराई और गंभीरता आ गई। उन्होंने बताया कि पत्रकार बनना सिर्फ कलम उठाना नहीं है, बल्कि वह जिम्मेदारी है जो समाज की चेतना को दिशा देती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सच्चा पत्रकार वही है, जो बिना किसी दबाव के सच को सामने लाए और हर वर्ग की आवाज को समान रूप से सुने। इन बातों को सुनकर युवा पत्रकारों ने न सिर्फ तालियों से उनका अभिनंदन किया, बल्कि उनकी बातों को अपने जीवन में आत्मसात करने का संकल्प भी लिया।

काशीपुर मीडिया सेंटर द्वारा किया गया यह आयोजन पत्रकारिता के आदर्शों को फिर से जीवन्त करने का माध्यम बना। यह केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि एक सामाजिक उत्तरदायित्व का परिचायक था, जिसमें पत्रकारों को उनकी भूमिका का पुनः बोध कराया गया। आयोजकों ने जिस सादगी, गरिमा और सजगता के साथ कार्यक्रम को संचालित किया, वह आने वाले समय में पत्रकारिता जगत के लिए एक मिसाल के रूप में देखा जाएगा। ऐसे आयोजनों की आवश्यकता समाज को हर स्तर पर है, ताकि पत्रकारिता में आई हुई चुनौतियों का समाधान संवाद के माध्यम से खोजा जा सके और लोकतंत्र की इस सबसे सशक्त कड़ी को और मजबूत किया जा सके।

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