काशीपुर। औद्योगिक क्षेत्र में गुरुवार सुबह उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब सूर्या रोशनी लिमिटेड के प्लांट में अचानक हाइड्रोजन गैस सिलिंडर के विस्फोट से जोरदार धमाका हुआ। करीब 10:30 बजे हुए इस भयावह हादसे में जहां एक श्रमिक की दर्दनाक मौत हो गई, वहीं 10 से अधिक श्रमिक गंभीर रूप से घायल हो गए। धमाके की आवाज इतनी तेज थी कि आसपास के क्षेत्र में दहशत फैल गई और फैक्ट्री में काम कर रहे कर्मचारियों के बीच भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई। विस्फोट के तुरंत बाद प्रबंधन ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के प्रयास शुरू किए और घायलों को नगर के प्रतिष्ठित आयुष्मान चिकित्सालय में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज जारी है। हादसे की जानकारी मिलते ही जिला प्रशासन और उच्च अधिकारियों की टीमें घटनास्थल और अस्पताल दोनों स्थानों पर पहुंच गईं, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि प्रशासन ने इस गंभीर दुर्घटना को अत्यधिक संवेदनशीलता से लिया है।
प्रशासनिक स्तर पर तत्परता दिखाते हुए मंडलायुक्त एवं मा० मुख्यमंत्री के सचिव दीपक रावत, जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मणिकांत मिश्रा, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ के के अग्रवाल जैसे वरिष्ठ अधिकारी तुरंत आयुष्मान अस्पताल पहुंचे और घायलों की स्थिति की जानकारी ली। उन्होंने न केवल डॉक्टरों से उपचार की प्रगति पर चर्चा की, बल्कि प्रत्येक घायल के परिजनों से भी बातचीत कर उन्हें आश्वस्त किया कि इलाज में कोई कमी नहीं आने दी जाएगी। दीपक रावत ने स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री से इस विषय में बातचीत हो चुकी है और उन्होंने घटना पर गहरा दुख प्रकट करते हुए निर्देश दिया है कि यदि किसी भी घायल को बेहतर उपचार के लिए उच्च चिकित्सालय में रेफर करना हो, तो उसे तुरंत वहां भेजा जाए। आयुक्त ने जिलाधिकारी को दुर्घटना की विस्तृत जांच सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए हैं ताकि इस प्रकार की पुनरावृत्ति को रोका जा सके और जिम्मेदारी तय की जा सके।
दूसरी ओर, जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट मोड में डाल दिया और मुख्य चिकित्सा अधिकारी को स्पष्ट निर्देश दिए कि वे स्वयं चिकित्सालय में उपस्थित रहकर स्थिति की निगरानी करें। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि घायल श्रमिकों के स्वास्थ्य पर लगातार नजर रखी जाए और किसी भी परिस्थिति में चिकित्सा व्यवस्था में कोई कमी न रह जाए। इस गंभीर दुर्घटना को ध्यान में रखते हुए जिलाधिकारी ने फैक्ट्री परिसर में राहत एवं बचाव कार्यों के लिए एनडीआरएफ की टीम को भी मौके पर रवाना कर दिया। इससे यह स्पष्ट है कि प्रशासन ने इस हादसे को केवल एक औद्योगिक दुर्घटना नहीं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं से जुड़ी आपदा मानते हुए उसकी प्रतिक्रिया दी है। घटनास्थल पर व्यवस्था बनाए रखने हेतु पुलिस बल भी मुस्तैद है और प्लांट के अंदर किसी को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा रही।
इस दुखद घटना के दौरान काशीपुर के महापौर दीपक बाली, अपर जिलाधिकारी पंकज उपाध्याय और अभय प्रताप सिंह समेत कई प्रशासनिक अधिकारी भी उपस्थित रहे। घटना की गंभीरता को देखते हुए सूर्या रोशनी लिमिटेड फैक्ट्री के प्रबंधन ने पूरे स्टाफ को तत्काल छुट्टी देकर उन्हें बसों के माध्यम से सुरक्षित घर भेज दिया गया। प्लांट में ब्लास्ट के बाद सुरक्षा कारणों से किसी को भीतर जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है और चारों ओर से फैक्ट्री की घेराबंदी कर दी गई है। फैक्ट्री के एचआर हेड संजीव ने बयान दिया है कि इस हादसे में एक महिला को हल्की चोट आई है, जबकि चश्मदीदों और फैक्ट्री में कार्यरत श्रमिकों के अनुसार 10 से 12 लोग इस विस्फोट की चपेट में आए हैं और उन्हें चोटें पहुंची हैं। यह बयान विरोधाभास पैदा करता है और यह भी जांच का विषय बनता है कि प्रबंधन सच्चाई को छिपाने की कोशिश तो नहीं कर रहा।

काशीपुर की यह घटना औद्योगिक सुरक्षा मानकों की पोल खोलती नजर आ रही है। जिस प्रकार से हाइड्रोजन जैसी अत्यंत ज्वलनशील गैस के सिलिंडर के फटने से यह बड़ा हादसा हुआ, वह इस ओर इशारा करता है कि फैक्ट्री में सुरक्षा प्रोटोकॉल या तो पर्याप्त नहीं थे या फिर उनका अनुपालन नहीं हो रहा था। अब इस पूरे प्रकरण की जांच से यह स्पष्ट होगा कि इस दर्दनाक हादसे के लिए कौन जिम्मेदार थाकृफैक्ट्री प्रबंधन, सुरक्षा एजेंसियां, या कोई तकनीकी लापरवाही? फिलहाल घायलों का इलाज पूरी गंभीरता से चल रहा है, लेकिन इस दुर्घटना ने काशीपुर जैसे शांत औद्योगिक नगर को झकझोर कर रख दिया है। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासनिक जांच कितनी पारदर्शिता से होती है और दोषियों के विरुद्ध क्या ठोस कार्रवाई की जाती है।