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हरिद्वार में वन्य जीव तस्करी पर कार्रवाई, मॉनिटर लिजर्ड के अंग के साथ तस्कर गिरफ्तार

हरिद्वार में वन विभाग की बड़ी सफलता, मॉनिटर लिजर्ड के अंगों के साथ तस्कर गिरफ्तार, वन्यजीव तस्करी पर कड़ी कार्रवाई का संकल्प

हरिद्वार(सुरेन्द्र कुमार)। वन विभाग की टीम ने एक वन्यजीव तस्कर को गिरफ्तार किया है, जो मॉनिटर लिजर्ड के अंगों की तस्करी कर रहा था। यह गिरफ्तारगी वन विभाग द्वारा प्राप्त गुप्त सूचना के आधार पर की गई, जब तस्कर को हरिद्वार के बस स्टैंड के पास से पकड़ा गया। इस तस्कर के पास से मॉनिटर लिजर्ड के चार अंग बरामद किए गए, जो कि तंत्र-मंत्र और जादू-टोने के कार्यों में उपयोग किए जाने के लिए अवैध रूप से तस्करी किए जा रहे थे। इन अंगों की डिमांड आम तौर पर दीपावली जैसे धार्मिक त्योहारों के आसपास बढ़ जाती है, जब लोग अंधविश्वास के कारण इनका उपयोग अपने रिवाजों में करने की कोशिश करते हैं।

हरिद्वार वन प्रभाग के रेंज अधिकारी शैलेंद्र नेगी ने पुष्टि की कि तस्कर की पहचान गौरव शर्मा के रूप में हुई है, जो रुड़की का निवासी है। उसे बस स्टैंड के पास से गिरफ्तार किया गया और उसके कब्जे से मॉनिटर लिजर्ड के चार हत्था जोड़ी बरामद किए गए। गौरव शर्मा को कोर्ट में पेश कर उसे जेल भेज दिया गया है। अधिकारियों का कहना है कि वन्य जीवों की तस्करी एक गंभीर अपराध है, और इस पर कड़ी सजा का प्रावधान है। यह गिरफ्तारी वन विभाग की सख्त निगरानी और तत्परता का परिणाम है, जो वन्यजीवों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए लगातार काम कर रहा है।

मॉनिटर लिजर्ड, जिसे गोह के नाम से भी जाना जाता है, एक विशालकाय छिपकली की प्रजाति है, जो दिखने में छिपकली जैसी लगती है लेकिन आकार और वजन में बहुत बड़ी होती है। यह जीव भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित है और इसे ैबीमकनसम-1 में शामिल किया गया है, जो इसे पूरी तरह से संरक्षण प्राप्त वन्यजीव के रूप में दर्ज करता है। इन जीवों का अवैध शिकार और तस्करी न केवल प्रकृति के लिए खतरे की बात है, बल्कि यह लोगों के लिए भी एक कानूनी अपराध है। वन विभाग का कहना है कि इस तरह के अपराधों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है और जिन लोगों को इन अपराधों में संलिप्त पाया जाता है, उन्हें कड़ी सजा दी जाएगी।

यह घटना यह साबित करती है कि वन्यजीवों के अंगों का व्यापार न केवल पर्यावरण के लिए नुकसानदेह है, बल्कि यह समाज में गलत मान्यताओं और अंधविश्वास को बढ़ावा भी देता है। कई बार लोग इन जीवों के अंगों को तंत्र-मंत्र, जादू-टोना, और अन्य धार्मिक गतिविधियों में उपयोग करने की कोशिश करते हैं, जो कि पूरी तरह से गलत और अवैध है। इस तरह की तस्करी के खिलाफ जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है, ताकि लोग इसके दुष्प्रभावों को समझें और वन्यजीवों की अवैध तस्करी को रोकने में सहयोग करें।

हरिद्वार वन प्रभाग ने आम जनता से अपील की है कि वे वन्यजीवों और उनके अंगों की तस्करी को लेकर सतर्क रहें। वन विभाग ने बताया कि इस प्रकार की तस्करी भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत दंडनीय अपराध है और इसे रोकने के लिए सभी को एकजुट होना होगा। अगर कोई व्यक्ति इस प्रकार की गतिविधियों में संलिप्त पाया जाता है या किसी को इस तरह की तस्करी का संदेह हो, तो उसे तुरंत वन विभाग या नजदीकी वन चौकी को सूचित करना चाहिए। इसके अलावा, वन विभाग ने यह भी कहा कि यदि कोई व्यक्ति पूजा या अन्य धार्मिक गतिविधियों में वन्यजीवों के अंगों का उपयोग करने की सलाह दे, तो उसे तुरंत रिपोर्ट किया जाना चाहिए।

इस गिरफ्तारी से यह भी संकेत मिलता है कि वन विभाग की टीम तस्करी और वन्यजीवों के संरक्षण के मामलों में पूरी तरह से सक्रिय है और इसके खिलाफ निरंतर कार्रवाई कर रही है। साथ ही, यह कार्रवाई वन्यजीवों के संरक्षण के प्रति सरकार और वन विभाग के गंभीर दृष्टिकोण को भी उजागर करती है। अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के मामलों में और सख्त कार्रवाई की जाएगी और लोगों को वन्यजीवों के संरक्षण के महत्व को समझने के लिए जागरूक किया जाएगा।

यह घटना हरिद्वार क्षेत्र में वन्यजीवों के संरक्षण और तस्करी पर नजर रखने के लिए वन विभाग के संकल्प को और मजबूत करती है। कड़ी कार्रवाई से यह संदेश भी जाता है कि तस्करी करने वाले अब आसानी से बच नहीं सकते। वन्यजीवों के संरक्षण की दिशा में वन विभाग की यह प्रतिबद्धता सकारात्मक कदम है, जो भविष्य में इस प्रकार की तस्करी को रोकने में मदद करेगी।

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