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हरिद्वार में नम आंखों से दी गई उत्तराखंड के हास्य कलाकार घन्ना भाई को अंतिम विदाई

हास्य की दुनिया का चमकता सितारा अस्त, घन्ना भाई की विदाई ने पूरे उत्तराखंड को किया भावुक

हरिद्वार(एस पी न्यूज़)। उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध हास्य कलाकार घनानंद गगोडिया, जिन्हें लोग प्यार से ‘घन्ना भाई’ के नाम से जानते थे, अब इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं। 12 फरवरी को हरिद्वार के खड़खड़ी श्मशान घाट पर उन्हें पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। उनके निधन की खबर से पूरे उत्तराखंड में शोक की लहर दौड़ गई, और सैकड़ों लोगों ने उन्हें नम आंखों से विदा किया। अंतिम संस्कार के दौरान उनके तीनों बेटेकृबड़ा निशांत, मझला प्रशांत और छोटा सुशांतकृने उन्हें मुखाग्नि दी। इस भावुक क्षण में हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत और नगर विधायक मदन कौशिक भी मौजूद रहे।

घन्ना भाई की अंतिम यात्रा उनके देहरादून स्थित आवास से शुरू हुई, जहां बड़ी संख्या में उनके प्रशंसक, करीबी लोग और शुभचिंतक उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए पहुंचे। जैसे ही शव हरिद्वार पहुंचा, वहां मौजूद लोगों की आंखें नम हो गईं। हरिद्वार के खड़खड़ी श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार से पहले भाजपा सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत और विधायक मदन कौशिक सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, शासन-प्रशासन के अधिकारी और स्थानीय लोग श्रद्धांजलि देने पहुंचे। इस मौके पर हरिद्वार सिटी मजिस्ट्रेट कुसुम चौहान ने बताया कि राज्य सरकार ने उन्हें पूरे राजकीय सम्मान के साथ विदाई दी, जो कि उत्तराखंड के लिए गौरव की बात है।

जब घन्ना भाई का पार्थिव शरीर हरिद्वार लाया गया, तो माहौल बेहद भावुक हो गया। हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उनके बड़े बेटे निशांत को ढांढस बंधाने की कोशिश की, लेकिन निशांत खुद को संभाल नहीं सके और भावुक होकर त्रिवेंद्र रावत के कंधे पर सिर रखकर फूट-फूटकर रो पड़े। त्रिवेंद्र रावत ने भी उनके परिवार को सांत्वना दी और कहा कि घन्ना भाई का जाना उत्तराखंड के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड की संस्कृति और हास्य कला को उन्होंने जो योगदान दिया, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।

गौरतलब है कि 11 फरवरी को देहरादून के महंत इंद्रेश हॉस्पिटल में घन्ना भाई ने अपनी अंतिम सांस ली। डॉक्टरों के अनुसार, हृदय गति रुक जाने के कारण उनका निधन हुआ। अस्पताल के डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की भरपूर कोशिश की और सीपीआर भी दिया, लेकिन वे रिवाइव नहीं हो सके। 72 वर्षीय घन्ना भाई पिछले कई दिनों से अस्पताल में भर्ती थे और वेंटिलेटर पर थे। उनके स्वास्थ्य को लेकर उनके प्रशंसकों में लगातार चिंता बनी हुई थी, लेकिन आखिरकार नियति ने उन्हें छीन लिया।

घन्ना भाई के निधन के बाद उत्तराखंड के सांस्कृतिक और हास्य कला जगत में एक शून्य उत्पन्न हो गया है। वे अपनी अनूठी शैली और बेहतरीन व्यंग्य कला के लिए जाने जाते थे। उनकी प्रस्तुतियां न सिर्फ लोगों को हंसाने का काम करती थीं, बल्कि सामाजिक संदेश भी देती थीं। उत्तराखंड की पारंपरिक संस्कृति को उन्होंने अपने हास्य के माध्यम से जीवंत बनाए रखा और लोगों को हंसी के साथ-साथ गहरे विचारों में भी डुबो दिया।

उनके निधन पर कई गणमान्य व्यक्तियों और कलाकारों ने गहरा शोक व्यक्त किया है। हरिद्वार विधायक मदन कौशिक ने कहा कि घन्ना भाई ने अपने जीवन में जो योगदान दिया, वह अमूल्य है। उन्होंने उत्तराखंड की हास्य परंपरा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया और प्रदेश का नाम रोशन किया। उनकी कमी को कभी पूरा नहीं किया जा सकेगा।

घन्ना भाई के अंतिम संस्कार में हरिद्वार के सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और कलाकारों का भी हुजूम उमड़ा। हर कोई उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए उमड़ पड़ा। अंतिम संस्कार के दौरान माहौल इतना गमगीन था कि लोगों की आंखें अपने आप भर आईं। उत्तराखंड की कला और संस्कृति को एक नया आयाम देने वाले इस महान कलाकार को हमेशा याद किया जाएगा।

उनका जाना केवल एक हास्य कलाकार का निधन नहीं है, बल्कि यह उत्तराखंड की कला और संस्कृति के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है। उनकी यादें, उनके किस्से और उनके व्यंग्य भरे संवाद हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेंगे। उनका नाम उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर में हमेशा सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा।

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