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हरिद्वार में कांवड़ मेला शांतिपूर्ण संपन्न प्रशासन ने आस्था और व्यवस्था का रचा अद्भुत संगम

लाखों कांवड़ियों की भीड़, सुरक्षा का अभेद कवच, हरिद्वार में संयम और श्रद्धा के ऐतिहासिक समागम ने रचा अनुशासन और आस्था का नया इतिहास

हरिद्वार(सुरेन्द्र कुमार)। हरिद्वार की पुण्यभूमि एक बार फिर श्रद्धा, संयम और प्रशासनिक कुशलता का अद्वितीय उदाहरण बन गई जब वर्ष 2025 का कांवड़ मेला शांतिपूर्वक और सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। लाखों की संख्या में देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालुओं की उपस्थिति और उनकी अगाध आस्था को देखते हुए यह आयोजन सिर्फ एक धार्मिक मेला नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता और अनुशासन का उत्सव बन गया। कांवड़ यात्रा के समापन के उपरांत जिलाधिकारी मयूर दीक्षित और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेंद्र सिंह डोभाल ने हर की पौड़ी स्थित ब्रह्मकुंड और कनखल स्थित दक्ष प्रजापति मंदिर में मां गंगा और भगवान दक्ष का विधिवत दुग्धाभिषेक कर आभार अर्पित किया। यह क्रिया केवल धार्मिक नहीं थी, बल्कि इस बात का प्रतीक भी बनी कि जब श्रद्धा और व्यवस्था का संगम होता है, तब हर चुनौती अवसर में बदल जाती है। इस अनुष्ठान के माध्यम से प्रशासन ने न केवल आध्यात्मिक आभार प्रकट किया, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि समर्पण और नियोजित प्रयासों से विशालतम भीड़ को भी संयम और शांति से नियंत्रित किया जा सकता है।

मेले के सफल आयोजन के उपरांत डीएम मयूर दीक्षित और एसएसपी प्रमेंद्र सिंह डोभाल ने इस बात पर संतोष प्रकट किया कि यह आयोजन, जो अपने आप में अनेक प्रकार की प्रशासनिक और सुरक्षात्मक चुनौतियाँ समेटे हुए था, पूर्णतः सुरक्षित और व्यवस्थित ढंग से सम्पन्न हुआ। लाखों कांवड़ियों का आगमन, हाईवे पर असाधारण यातायात दबाव, संवेदनशीलता के मद्देनजर सुरक्षा अलर्ट, और लगातार बदलती परिस्थितियों के बावजूद जिस तरह से हर पहलू को संभाला गया, वह न केवल प्रशासनिक क्षमता का परिचायक है, बल्कि टीम वर्क, आपसी तालमेल और संवेदनशील नेतृत्व का भी प्रमाण है। मयूर दीक्षित ने यह भी रेखांकित किया कि आम नागरिकों का संयम और उनका सहयोग इस सफलता के मूल आधार रहे। वहीं प्रमेंद्र सिंह डोभाल ने सुरक्षा प्रबंधन को लेकर बताया कि एक-एक निर्णय के पीछे व्यापक रणनीति और निरंतर सक्रिय निगरानी रही, जिसने किसी भी अप्रिय घटना को पनपने का अवसर ही नहीं दिया। हर स्तर पर सतर्कता और जवाबदेही का यह अद्वितीय समन्वय, हरिद्वार को एक बार फिर गौरवशाली तीर्थनगरी के रूप में प्रस्तुत करता है।

इस आयोजन की सफलता में मीडिया की भूमिका को भी प्रशासन ने खुले मन से सराहा। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने कहा कि मीडिया की संवेदनशील और संतुलित रिपोर्टिंग ने न केवल श्रद्धालुओं को आवश्यक सूचनाएँ दीं, बल्कि उनके मन में विश्वास बनाए रखने में भी महती भूमिका निभाई। मीडिया ने घटनाओं को सनसनीखेज बनाने के बजाय शांति और संतुलन को प्राथमिकता दी, जिससे आमजन और प्रशासन के मध्य संवाद का सेतु बना रहा। उन्होंने स्पष्ट किया कि सकारात्मक पत्रकारिता किस तरह सामाजिक एकता में सहायक हो सकती है, इसका जीवंत उदाहरण इस मेले के दौरान देखने को मिला। रिपोर्टरों और फील्ड पत्रकारों ने दिन-रात मेहनत कर हर सूचनात्मक पक्ष को जनता तक पहुंचाया, जिससे अफवाहों पर नियंत्रण बना रहा और संयम का वातावरण सुदृढ़ हुआ। ऐसे उदाहरण इस बात के गवाह हैं कि जब मीडिया, प्रशासन और आमजन एक दिशा में सोचते हैं, तब व्यवस्था स्वयं शक्ति बन जाती है।

इस समर्पण और समन्वय के पीछे नेतृत्व स्तर पर निरंतर मार्गदर्शन और संसाधनों की कोई कमी न आने देना एक बड़ा कारण रहा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रत्येक स्तर पर सक्रिय सहभागिता निभाई। चाहे वह फोर्स की तत्काल आवश्यकता हो या संसाधनों का त्वरित आवंटन, राज्य सरकार ने हर मोर्चे पर प्रशासन का पूर्ण सहयोग किया। मयूर दीक्षित और प्रमेंद्र सिंह डोभाल ने स्पष्ट रूप से कहा कि राज्य स्तर से प्राप्त समर्थन ने उन्हें न केवल निर्णय लेने में संबल दिया, बल्कि पूरी प्रणाली में आत्मविश्वास का संचार किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सजगता और उनकी प्राथमिकता स्पष्ट थी—हर श्रद्धालु सुरक्षित हो, हर अधिकारी उत्तरदायी हो और हर व्यवस्था मजबूत हो। उनका यह रुख नीतिगत निर्णयों में स्पष्ट झलकता रहा और उसका प्रभाव धरातल पर दिखाई दिया।

इस दौरान सुरक्षा को लेकर प्रशासन ने कोई भी ढिलाई नहीं बरती। हर की पौड़ी से लेकर दक्ष मंदिर तक, हाईवे से लेकर गली-मोहल्लों तक, पुलिस बल, पीएसी, एनडीआरएफ, होमगार्ड्स और अन्य सुरक्षाबलों की तैनाती ने यह सुनिश्चित किया कि किसी भी अप्रत्याशित घटना की आशंका को पहले ही समाप्त कर दिया जाए। चप्पे-चप्पे पर निगरानी ड्रोन, सीसीटीवी कैमरे और मोबाइल यूनिट्स के माध्यम से रखी गई। सुरक्षा बलों की 24 घंटे मुस्तैदी और उनकी कार्यकुशलता ने श्रद्धालुओं को सुरक्षा का आश्वासन दिया। किसी भी सूचना को हल्के में नहीं लिया गया और हर सुराग की त्वरित जांच की गई। यह सुरक्षा तंत्र, जो हरिद्वार जैसे तीर्थ स्थल की संवेदनशीलता को ध्यान में रखकर निर्मित किया गया था, एक आदर्श मॉडल के रूप में उभरकर सामने आया।

यात्रा के दौरान यातायात प्रबंधन, सफाई व्यवस्था और भीड़ नियंत्रण जैसे मुद्दों को लेकर भी प्रशासन ने उदाहरण प्रस्तुत किए। भीषण दबाव के बावजूद यातायात को जिस प्रकार वैकल्पिक मार्गों और शिफ्ट आधारित योजना के साथ नियंत्रित किया गया, वह उल्लेखनीय रहा। घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के दौरान स्वयंसेवकों, स्थानीय निकायों, और धार्मिक संस्थाओं के सहयोग से हर व्यवस्था सुचारू रूप से चली। मयूर दीक्षित ने बताया कि हर संस्था को समय रहते ज़िम्मेदारी सौंप दी गई थी और सबने अपने हिस्से का कार्य बखूबी निभाया। सफाई के मामले में नगर निगम की तत्परता और कर्मचारियों की लगातार तैनाती ने सुनिश्चित किया कि घाटों और रास्तों पर स्वच्छता बनी रहे। शौचालयों, पेयजल, प्राथमिक चिकित्सा और विश्राम स्थलों के समुचित प्रबंध ने श्रद्धालुओं को सुविधाजनक अनुभव दिया।

हरिद्वार की भूमि, जो सदियों से आस्था, संस्कार और अध्यात्म का केंद्र रही है, इस बार भी अपने ऐतिहासिक स्वरूप को बनाए रखने में सफल रही। यह मेला केवल पूजा-पाठ और रिवाजों का संकलन नहीं था, बल्कि यह एक ऐसा आयोजन बन गया जिसने आस्था को अनुशासन, श्रद्धा को शांति, और भक्ति को समर्पण के साथ जोड़ दिया। मयूर दीक्षित और प्रमेंद्र सिंह डोभाल जैसे प्रशासनिक अधिकारियों की निष्ठा, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का मार्गदर्शन, और समूचे सरकारी तंत्र की सक्रियता ने यह सिद्ध कर दिया कि जब जनसहभागिता, समर्पण और संगठन एक धारा में बहते हैं, तो सबसे बड़ा आयोजन भी चुनौती नहीं, उत्सव बन जाता है। कांवड़ यात्रा 2025 ने हरिद्वार को एक बार फिर अध्यात्म, व्यवस्था और सहयोग की त्रिवेणी में प्रतिष्ठित कर दिया है।

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