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हरिद्वार की कमान संभालते ही मयूर दीक्षित का एक्शन मोड में धमाकेदार आगाज

मानसून और कांवड़ मेले को बताया प्राथमिकता, लापरवाह अफसरों को दी चेतावनी—अब हरिद्वार में चलेगा सिर्फ सख्त अनुशासन और जनहित वाला शासन।

हरिद्वार। जिले में प्रशासनिक जिम्मेदारी की कमान संभालते ही मयूर दीक्षित ने अपने तेवरों से यह साफ कर दिया है कि अब काम करने का वक्त आ चुका है और सुस्ती या लापरवाही को किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। चार जून को जिला अधिकारी के रूप में कार्यभार ग्रहण करते ही उन्होंने न सिर्फ सख्त संदेश दिया, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया कि अब हरिद्वार में सुशासन की नींव को और अधिक मजबूत किया जाएगा। मयूर दीक्षित ने जैसे ही डीएम का चार्ज लिया, वैसे ही उन्होंने अधिकारियों-कर्मचारियों को दो टूक शब्दों में चेतावनी दे डाली कि अगर कोई अपने कर्तव्यों से चूका या जनता के साथ न्याय करने में ढिलाई बरती, तो प्रशासनिक एक्शन के लिए तैयार रहे। वहीं, अच्छे कार्यों को हमेशा सराहा जाएगा और ईमानदार कर्मियों को प्रशंसा भी मिलेगी। उनका यह स्पष्ट रुख अब जिले में नये प्रशासनिक युग की शुरुआत के संकेत दे रहा है।

मयूर दीक्षित ने इस दौरान यह भी कहा कि उनकी पहली और सबसे अहम प्राथमिकताओं में से एक आगामी मानसून सीजन की तैयारी है। हरिद्वार जैसे संवेदनशील धार्मिक और पर्यटन स्थल में मानसून के दौरान जलभराव, सड़क क्षरण और आपदा प्रबंधन जैसे मुद्दे हमेशा बड़ी चुनौती बनकर सामने आते हैं। उन्होंने नगर निगम की तैयारियों की समीक्षा करने के लिए शीघ्र ही बैठक बुलाने का निर्णय लिया है। साथ ही उन्होंने संकेत दिए कि जहां कहीं भी निर्माण कार्य या सुधार की आवश्यकता होगी, उसे तुरंत पूरा कराया जाएगा। उनका मानना है कि आपदा से पहले तैयारी ही असली बचाव है और इसीलिए वह किसी भी स्थिति को नजरअंदाज नहीं करेंगे। जनता को राहत और सुरक्षा देना उनकी प्राथमिक ज़िम्मेदारी है, और इसके लिए सभी विभागों को एकजुट होकर काम करना होगा।

आगामी कांवड़ मेला, जो उत्तर भारत का सबसे विशाल धार्मिक आयोजन माना जाता है, को लेकर भी मयूर दीक्षित का दृष्टिकोण बेहद व्यावहारिक और सतर्क है। उन्होंने यह माना कि समय कम है और कार्य अधिक, इसलिए हर विभाग को जिम्मेदारी समझते हुए अपने-अपने मोर्चे पर पूरी तत्परता से कार्य करना होगा। व्यवस्थाओं की मॉनिटरिंग निरंतर की जाएगी और सुनिश्चित किया जाएगा कि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। चाहे ट्रैफिक कंट्रोल हो या चिकित्सा सुविधा, चाहे जल आपूर्ति हो या सुरक्षा प्रबंधकृहर पहलू पर सूक्ष्म निगरानी रखी जाएगी। मयूर दीक्षित ने स्पष्ट कर दिया कि कांवड़ मेला केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि शासन-प्रशासन की जिम्मेदारी की भी कसौटी है, और इसमें किसी भी स्तर पर चूक स्वीकार नहीं की जाएगी।

कार्यभार ग्रहण करने के बाद मयूर दीक्षित ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि शासन की योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे। उन्होंने अधिकारियों को यह आदेश दिया कि वो केवल रिपोर्टिंग तक सीमित न रहें, बल्कि धरातल पर योजनाओं की हकीकत भी जांचें और उसका प्रमाणिक फीडबैक भी लें। इसके लिए वे स्वयं भी औचक निरीक्षण करेंगे और जनता से सीधे संवाद कर यह जानने की कोशिश करेंगे कि व्यवस्था वास्तव में कितनी प्रभावी है। यदि किसी विभाग या अधिकारी के खिलाफ शिकायत मिलती है या कार्य में शिथिलता देखी जाती है तो तत्काल कठोर कदम उठाए जाएंगे। यह रवैया बताता है कि नए जिलाधिकारी केवल बैठकों और फाइलों तक सीमित नहीं रहना चाहते, बल्कि हरिद्वार के नागरिकों से जुड़कर उनकी समस्याओं को प्राथमिकता से सुलझाना चाहते हैं।

हरिद्वार जैसे धर्म, संस्कृति और आस्था के केंद्र में प्रशासनिक दक्षता के साथ संवेदनशीलता का होना बेहद जरूरी है और मयूर दीक्षित की सोच इस समन्वय को लेकर स्पष्ट है। उनके शुरुआती निर्णयों और बयान से यह साफ संकेत मिल रहा है कि वो केवल कुर्सी संभालने नहीं आए, बल्कि एक नया कामकाजी माहौल निर्मित करने का लक्ष्य लेकर आए हैं। चाहे आम जनमानस की अपेक्षाएं हों या तीर्थ नगरी की गरिमाकृहर पहलू पर संतुलन बनाते हुए उन्होंने यह तय कर लिया है कि हरिद्वार में अब शासन व्यवस्था का चेहरा बदलना ही होगा। जनता को उम्मीद है कि उनके नेतृत्व में न केवल विकास को गति मिलेगी, बल्कि प्रशासन भी ज्यादा जिम्मेदार, जवाबदेह और प्रभावशाली बनेगा। अब देखना यह है कि उनकी यह कार्यशैली आने वाले समय में कितनी बड़ी तस्वीर खींच पाती है, मगर शुरुआत बेहद असरदार और निर्णायक रही है।

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