spot_img
दुनिया में जो बदलाव आप देखना चाहते हैं, वह खुद बनिए. - महात्मा गांधी
Homeउत्तराखंडस्व. कैलाश चंद्र गहतोड़ी के नाम पर मार्ग नामकरण, सम्मान और श्रद्धा...

स्व. कैलाश चंद्र गहतोड़ी के नाम पर मार्ग नामकरण, सम्मान और श्रद्धा का प्रतीकः बाली

स्व. कैलाश चंद्र गहतोड़ी जी के योगदान को अमर करने के लिए नगर निगम द्वारा प्रस्तावित नामकरण ने समाज में एक नई ऊर्जा और गौरव का संचार किया।

काशीपुर। काशीपुर की जनता के दिलों में बसे स्वर्गीय नेता स्व. कैलाश चंद्र गहतोड़ी जी के सम्मान में एक नई पहचान उभर कर सामने आई है, जब चीमा चौराहे से कुंडेश्वरी की ओर जाने वाले मार्ग को उनके नाम पर समर्पित करने के प्रस्ताव पर नगर निगम द्वारा सक्रियता दिखाई गई। इस अभूतपूर्व कार्य के लिए आज देवभूमि पर्वतीय समाज काशीपुर के समस्त पदाधिकारीयों ने नगर निगम कार्यालय पहुँचकर अपनी कृतज्ञता के भाव स्पष्ट शब्दों में व्यक्त किए। यह आभार उन लोगों का नहीं, बल्कि उस समर्पण का प्रतीक है जो समाज अपने प्रिय नेता के योगदान को भुला नहीं सकता। महापौर दीपक बली को विशेष धन्यवाद अर्पित करते हुए समाज के प्रतिनिधियों ने कहा कि इस पहल ने न केवल श्रद्धांजलि को स्थायी स्वरूप दिया है, बल्कि नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्थायी स्तंभ भी स्थापित किया है।

जैसे ही देवभूमि पर्वतीय समाज काशीपुर के प्रतिनिधि नगर निगम परिसर में पहुँचे, वहां का वातावरण एकाएक भावनाओं की गहराई से सराबोर हो गया। आत्मीयता, श्रद्धा और स्मृतियों की तरंगें चारों ओर महसूस की जा सकती थीं, मानो हर कोना स्व. कैलाश चंद्र गहतोड़ी जी के नाम की गूंज से जीवंत हो उठा हो। प्रतिनिधियों की उपस्थिति ने पूरे आयोजन को एक अलग गरिमा प्रदान की, और इसी क्रम में जब संरक्षक चंद्र भूषण डोभाल ने अपने गहन लेकिन संतुलित शब्दों में विचार रखे, तो सभी की आंखों में एक गर्व की चमक दौड़ गई। उन्होंने कहा कि स्व. गहतोड़ी जी का कार्यकाल केवल राजनीतिक उपलब्धियों का दस्तावेज नहीं था, बल्कि उन्होंने काशीपुर के विकास में जो दिशा और दृष्टिकोण दिया, वह आने वाले वर्षों तक अमिट रहेगा। उनके विचार, उनकी दूरदृष्टि और जनसेवा का भाव, अब इस सड़क के रूप में स्थायी स्मृति बनकर हमारे बीच जीवित रहेगा।

उधर इस गरिमामयी अवसर पर डॉ0 यशपाल रावत की वाणी ने जैसे उपस्थित सभी लोगों के दिलों में छिपे भावों को स्वर दे दिया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह केवल एक सड़क का नाम बदलना नहीं हैकृयह तो उस विचारधारा का सार्वजनिक वंदन है, जिसने काशीपुर को एक नई पहचान दी थी। यह नामकरण एक संकल्प है, एक परंपरा को जीवित रखने का यत्न है और उस नायक को नमन है, जिसने जनसेवा को अपने जीवन का धर्म बनाया। स्व. कैलाश चंद्र गहतोड़ी जी के लिए यह श्रद्धांजलि केवल शाब्दिक नहीं, बल्कि एक स्थायी स्मारक है जिसे आने वाली पीढ़ियाँ महसूस करेंगी। इस भावपूर्ण कार्यक्रम में जैसे ही सभी पदाधिकारी एकत्र हुए, वहां के हर चेहरे पर श्रद्धा, सम्मान और भावुकता की झलक साफ नज़र आई। किसी की आँखों में गर्व था तो किसी की मुस्कान में नम आभार। ऐसे आयोजन केवल स्मृति उत्सव नहीं होते, ये समाज की चेतना, एकता और ऐतिहासिक कर्तव्य की ऊँचाई का प्रमाण होते हैं।

जबसे यह संकेत मिला है कि मुख्यमंत्री स्तर पर स्व. कैलाश चंद्र गहतोड़ी जी के नाम पर सड़क नामकरण के प्रस्ताव को सहमति मिलने वाली है, तबसे काशीपुर की धरती पर जैसे उत्सव की लहर दौड़ गई है। हर गली, हर नुक्कड़, हर चेहरा इस सम्मान को लेकर गर्व से चमक रहा है, मानो पूरे शहर ने अपने चहेते जननायक को श्रद्धा-सुमन समर्पित करने का एक सामूहिक संकल्प ले लिया हो। इसी उन्मुक्त और भावनाओं से ओतप्रोत वातावरण के बीच नगर निगम में आयोजित हुआ एक भव्य और आत्मीय ‘आभार कार्यक्रम’, जिसमें जनप्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनीतिक नेताओं ने एक स्वर में इस निर्णय को ऐतिहासिक बताया। यह कोई औपचारिकता नहीं थी, यह एक जीवंत श्रद्धांजलि थी जिसमें हर उपस्थिति ने अपने हृदय की आहुतियाँ समर्पित कीं। यह भागीदारी किसी राजनीतिक मंचन का हिस्सा नहीं, बल्कि समाज के उस मौलिक चरित्र का प्रकटीकरण थी जो अपने नायकों को कभी विस्मृत नहीं होने देता, उन्हें सजीव स्मारकों में ढाल देता है।

पार्षद अंजना आर्य, वार्ड 10 ने जब मिडिया से अपनी बात साझा की, तो उनके शब्दों में एक गहरी सच्चाई और जनभावनाओं का बोध साफ महसूस हो रहा था। उन्होंने स्व. कैलाश चंद्र गहतोड़ी जी के संघर्ष और समर्पण को याद करते हुए इसे एक “ऐतिहासिक क्षण” करार दिया। उनके अनुसार, गहतोड़ी जी ने न केवल कठिनतम परिस्थितियों में काशीपुर के विकास के लिए अथक संघर्ष किया, बल्कि जनकल्याण के हर पहलू में अपनी कड़ी मेहनत और दूरदृष्टि से इस क्षेत्र को नई दिशा देने का कार्य किया। इस संघर्ष का परिणाम आज हमारे सामने है, क्योंकि उनके प्रयासों के फलस्वरूप यह निर्णय लिया गया कि उनका नाम एक महत्वपूर्ण मार्ग पर सदैव अमर रहेगा। यह नामकरण सिर्फ एक कागजी प्रक्रिया नहीं, बल्कि उन अनगिनत बलिदानों और मेहनत की पहचान है, जो स्व. गहतोड़ी जी ने अपने जीवन में पूरी ईमानदारी से किए थे। उनकी स्मृति अब काशीपुर के हर कोने में जीवित रहेगी।

इसी भावना-भरे सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए जब पुष्कर बिष्ट, पार्षद वार्ड, वार्ड 17 ने अपने विचार रखे, तो उनकी आवाज़ में केवल श्रद्धा ही नहीं, बल्कि भविष्य की एक तेजस्वी उम्मीद भी साफ-साफ सुनाई दी। उन्होंने बेहद ओजपूर्ण शब्दों में कहा कि यह निर्णय केवल वर्तमान समय की उपलब्धि नहीं हैकृयह तो उस विरासत की बुनियाद है जो आने वाली पीढ़ियों को नेतृत्व, संघर्ष और सेवा की भावना का मार्ग दिखाएगी। अब यह मार्ग सिर्फ कंक्रीट और डामर से बना एक रास्ता नहीं रहेगा, बल्कि यह एक जीवंत स्मारक बनकर खड़ा होगा, जो हर गुजरते मुसाफिर को स्व. कैलाश चंद्र गहतोड़ी जी की प्रेरक गाथा सुनाएगा। यह मार्ग काशीपुर के नक्शे पर एक भावनात्मक रेखा की तरह उभरेगा, जहाँ हर कदम सम्मान, इतिहास और आदर्शों की गूंज के साथ चलेगा। समय के साथ यह मार्ग और अधिक प्रखर, अधिक गरिमामय और प्रेरणादायक बनता जाएगा, जिससे हर नागरिक को गर्व होगा कि वह उस धरती का हिस्सा है, जिसने ऐसे नेता को जन्म दिया।

उधर जब देवलाल और जयदीप ढौंडियाल, महासचिव मानवाधिकार मिशन काशीपुर एवं सामाजिक कार्यकर्ता ने अपने भाव व्यक्त किए, तो उनमें एक गूढ़ गर्व और समाज के प्रति गहरी आस्था झलकती रही। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह निर्णय केवल एक मार्ग का नामकरण नहीं है, बल्कि पर्वतीय समाज की उस सामूहिक चेतना की अभिव्यक्ति है, जिसने वर्षों से ऐसे समर्पित, निस्वार्थ और जनभावनाओं से जुड़े नेताओं को अपना मार्गदर्शक माना है। स्व. कैलाश चंद्र गहतोड़ी जी जैसे व्यक्तित्व को समाज ने केवल उनके जीवनकाल में नहीं अपनाया, बल्कि उनके जाने के बाद भी उन्हें अपने हृदय में वैसे ही संजोकर रखा है। इसी बात का प्रमाण उस दिन नगर निगम परिसर में उपस्थित दर्जनों प्रमुख चेहरे बनेकृभास्कर पंडित, बी सी मठपाल, पवन जोशी, सूरज पटवाल, हरीश तिलहारा, गोविन्द बिष्ट और जीवन तिवारी जैसे समाजसेवियों की मौजूदगी ने यह साबित कर दिया कि पर्वतीय समाज आज भी उतना ही संगठित, सजग और सजीव है, और अपने नायकों को स्मरण करने की परंपरा को दिल की धड़कनों की तरह निभा रहा है।

इस अवसर पर जब महापौर दीपक बली ने मंच से अपने विचार साझा किए, तो उनकी वाणी में एक साथ कृतज्ञता, गौरव और प्रतिबद्धता का समन्वय स्पष्ट झलक रहा था। उन्होंने कहा कि स्व. कैलाश चंद्र गहतोड़ी जी केवल एक राजनीतिक शख्सियत नहीं थे, बल्कि वे जनभावनाओं के प्रतीक, संघर्ष और सेवा के पर्याय और काशीपुर के विकास के दृढ़ आधार स्तंभ थे। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह नामकरण केवल एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि पूरे शहर की आत्मा की आवाज़ है, जिसे नगर निगम ने केवल स्वर दिया है। महापौर दीपक बली ने यह भी स्पष्ट किया कि जननेताओं को सम्मान देना हमारा कर्तव्य है और नगर निगम सदैव ऐसे प्रयासों में आगे रहेगा, जो समाज की चेतना को जीवंत रखते हैं। उन्होंने देवभूमि पर्वतीय समाज के सभी पदाधिकारियों को इस प्रस्ताव को आगे लाने के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि यह कदम आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा और स्व. गहतोड़ी जी की स्मृति को सदा अमर बनाए रखेगा।

इस पूरे आयोजन की गरिमा को किसी औपचारिक मंचन या कृत्रिम आडंबर की ज़रूरत नहीं थी, क्योंकि यह मिलन आत्मा से आत्मा का था-एक ऐसा क्षण जहाँ भावनाएँ शब्दों के सभी दायरों को तोड़ती हुई हृदय से सीधे हृदय तक बह रही थीं। नगर निगम परिसर उस दिन केवल ईंटों और दीवारों का ढांचा नहीं था, बल्कि वह एक सजीव तीर्थ बन गया था, जहाँ समाज, स्मृति और सम्मान एक साथ एकत्रित हुए थे। यह पल काशीपुर के सामाजिक और राजनीतिक इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गया, क्योंकि स्व. कैलाश चंद्र गहतोड़ी जी के नाम पर मार्ग का नामकरण किसी नामपट्ट या सरकारी घोषणा तक सीमित नहीं रहाकृयह तो उस अथाह समर्पण की अनुगूंज है जो अब इस शहर की हवा में गूंजेगी। यह निर्णय केवल पर्वतीय समाज की अस्मिता का उत्सव नहीं, बल्कि सम्पूर्ण काशीपुर की आत्मा का गौरवगान है, जिसने अपने जननेता को सच्चे अर्थों में अमरत्व दिया, उसे दिलों में बसाकर स्थायी श्रद्धांजलि अर्पित की।

संबंधित ख़बरें
गणतंत्र दिवस की शुभकामना
75वां गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ

लेटेस्ट

ख़ास ख़बरें

error: Content is protected !!