काशीपुर। आख़िरकार सात वर्षों की अथक कोशिशों के बाद काशीपुर के महाराणा प्रताप चौक पर जिस आरओबी के निर्माण का सपना देखा गया था, वह जब धरातल पर उतरा तो लोगों की उम्मीदें आसमान छूने लगी थीं। क्षेत्र के व्यापारियों और आमजन को भरोसा था कि यह आरओबी जाम के दंश से राहत दिलाएगा, और आवागमन को सुगम बनाएगा। लेकिन दुर्भाग्यवश निर्माण के साथ ही जो समस्याओं का सिलसिला शुरू हुआ, वह अब तक थमा नहीं है। पुल बनकर तैयार हो गया, लेकिन परेशानी का सिलसिला खत्म नहीं हुआ। कभी इसके केन्टिलीवर में दरारें पड़ जाती हैं, तो कभी पुल के डिजाइन पर ही सवालिया निशान खड़े हो जाते हैं। निर्माण के शुरुआती चरण से ही इसकी मजबूती, चौड़ाई और उपयोगिता को लेकर स्थानीय लोगों में संदेह बना रहा, जो समय के साथ और गहराता चला गया।
अब जब हाल ही में आरओबी के केन्टिलीवर के टूटने की खबर सामने आई तो प्रशासन हरकत में आया और रामनगर व बाजपुर रोड पर उतरने वाले इस पुल के तीनो छोर पर हाइट बैरियर लगा दिए गए। मगर इन हाइट बैरियरों के लगने के बाद तो जैसे व्यापारियों के लिए एक नई आफत शुरू हो गई। पहले ही जाम की समस्या से जूझ रहे व्यापारियों के लिए यह व्यवस्था कोढ़ में खाज बन गई। उनका कहना है कि जब आरओबी का निर्माण हो रहा था, तब दावा किया गया था कि इस पुल पर 70 टन वज़न तक के वाहन और यहां तक कि सेना के भारी ट्रक भी आसानी से गुजर सकते हैं। लेकिन अब जब हाइट बैरियर लगा दिए गए हैं तो भारी वाहन आरओबी से गुजर ही नहीं सकते और वह सर्विस रोड की ओर मोड़ दिए जाते हैं, जो पहले ही बहुत संकरी है।

वास्तव में, सर्विस रोड की स्थिति इतनी चिंताजनक है कि वहां से बड़े वाहनों का गुजरना किसी भी समय भीषण हादसे को जन्म दे सकता है। एक तरफ दुकानों की कतारें हैं और दूसरी ओर उनकी नालियों का बेतरतीब फैलाव। इन दोनों के बीच से हैवी वाहनों का गुजरना खतरों को न्योता देने जैसा है। यही नहीं, कई बार सर्विस रोड पर ऐसे मोड़ और मोड़ पर खड़ी गाड़ियां भी वाहन चालकों के लिए चुनौती बन जाती हैं। अब व्यापारी समुदाय सवाल उठा रहा है कि जब आरओबी इतना सक्षम नहीं था तो फिर इतने दावे किस आधार पर किए गए? यदि पुल कमजोर है तो उसे या तो ठीक किया जाए या फिर तोड़ दिया जाए ताकि एक स्थायी समाधान निकल सके।
मंगलवार को जब परेशानियों का घड़ा छलक पड़ा, तब क्षेत्र के दर्जनों व्यापारी अपनी पीड़ा लेकर सीधे पहुँचे काशीपुर के महापौर दीपक बाली के पास। उन्होंने खुलकर अपने दर्द को बयां किया और बताया कि कैसे हाइट बैरियरों के कारण अब उनका व्यापार, जनता, एम्बबुलेंस ओर स्कूलो के बच्चे प्रभावित हो रहा है। ग्राहकों की आवाजाही बाधित है, भारी वाहनों को बाजार तक लाना मुश्किल हो गया है, और ऐसे में उनके व्यापार का अस्तित्व संकट में है। महापौर दीपक बाली ने उनकी बातों को गंभीरता से सुना और भरोसा दिलाया कि जल्द ही इस मुद्दे पर संबंधित वार्ड पार्षदों और व्यापारियों के साथ बैठक कर समाधान तलाशा जाएगा। लेकिन जब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं होती, तब तक व्यापारियों की बेचौनी कम होती नहीं दिख रही है।
क्षेत्र के प्रमुख व्यापारी नेताओं ने बेहद नाराज़गी जताते हुए कहा कि अगर यह पुल अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा सकता तो उसे बने रहने का कोई औचित्य नहीं है। उनकी सीधी मांग है कि या तो पुल को पूरी तरह से मजबूत बनाकर हाइट बैरियर हटाए जाएं या फिर इसे तोड़कर किसी उपयोगी विकल्प पर काम किया जाए। एक व्यापारिक नेता ने तीखे शब्दों में कहा कि यदि पुल इतना ही कमजोर है तो इसे ढहा देना चाहिए, हम इससे होने वाले झूठे वादों के बोझ को अब और नहीं झेल सकते। उन्होंने साफ कहा कि व्यापारियों के हितों की अनदेखी अब बर्दाश्त से बाहर हो चुकी है और यदि प्रशासन ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो आंदोलन का रास्ता भी खुला रहेगा।
अब एक बार फिर चर्चा के केंद्र में आ गया है काशीपुर का वही आरओबी, जो कभी उम्मीदों का पुल कहा गया था, लेकिन अब अविश्वास की दीवार बन चुका है। आम जनता से लेकर व्यापारी वर्ग तक सभी इसकी उपयोगिता और मजबूती पर सवाल उठा रहे हैं। समय की मांग है कि प्रशासन और जनप्रतिनिधि मिलकर इस मुद्दे पर पारदर्शिता के साथ विचार करें और जनता को गुमराह करने के बजाय व्यवहारिक समाधान की ओर कदम बढ़ाएं। वरना वह दिन दूर नहीं जब यह पुल केवल इंजीनियरिंग की विफलता का प्रतीक बनकर रह जाएगा और जनता का भरोसा पूरी तरह टूट जाएगा।