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सड़क के लहू से बुझ गई फेरी वाले क़ासिम की ज़िंदगी की आखिरी लौ

तेज़ रफ्तार का कहर, अज्ञात वाहन ने छीनी मेहनतकश क़ासिम की जान, सड़क पर बिछा मातम, गांव में पसरा सन्नाटा, परिवार इंसाफ़ की गुहार में बेहाल

रामनगर। हाईवे पर बुधवार की शाम जो हुआ, उसने एक हंसते-खेलते परिवार की दुनिया ही उजाड़ दी। मुरादाबाद जिले के भरतपुर इलाके से ताल्लुक रखने वाले 29 वर्षीय युवक क़ासिम की ज़िंदगी उस वक्त मौत की आगोश में समा गई, जब वह रोज़ की तरह अपने काम से लौट रहा था। रामनगर में कपड़ों की फेरी लगाकर अपना और अपने परिवार का पेट पालने वाला यह मेहनती नौजवान अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाते हुए सड़क पर चल रहा था कि तभी किस्मत ने एक ऐसा खेल रच दिया, जिसने सबकुछ छीन लिया। टांडा के पास उसकी कार में अचानक खराबी आ गई। वह गाड़ी को सड़क किनारे खड़ी करके दूसरी तरफ जाने लगा, लेकिन अगले ही पल एक अनजान वाहन तेज रफ्तार में आया और उसे इतनी जबरदस्त टक्कर मारी कि सब कुछ लहूलुहान हो गया। ज़मीन पर तड़पते हुए क़ासिम की साँसे धीरे-धीरे थम गईं, और उसकी मेहनत से खड़ी की गई ज़िंदगी का आखिरी अध्याय वहीं खत्म हो गया।

क़ासिम की मौत की खबर जैसे ही उसके गांव भरतपुर पहुंची, वहां मातम की ऐसी लहर दौड़ी कि हर आंख नम हो गई और हर दिल काँप उठा। मां-बाप और घर के बाकी सदस्य इस हादसे की खबर सुनते ही बेसुध होकर गिर पड़े। उस बेटे की मौत की कल्पना जिसने अपने खून-पसीने से पूरे घर को रोशन किया था, परिवार के लिए किसी भयंकर तूफान से कम नहीं थी। क़ासिम के भाई सैफुल इस्लाम ने आंखों में आंसुओं और दिल में ग़म का समंदर लिए बताया कि उसका भाई हमेशा की तरह फेरी का सामान समेट कर घर लौट रहा था। जब कार बंद हो गई, तो उसने रास्ते में खड़ी कर दी और पैदल चलकर सड़क पार करने लगा। किसी को क्या पता था कि यह रास्ता उसकी ज़िंदगी का आखिरी रास्ता साबित होगा। जिस वाहन ने टक्कर मारी, वह बिना रुके फरार हो गया। इंसानियत को शर्मसार करने वाला यह मंजर चंद सेकंड में एक परिवार की खुशियों को लील गया।

इस दिल दहला देने वाले हादसे के बाद स्थानीय लोगों ने तत्काल क़ासिम को उठाया और रामनगर के सरकारी अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने उसकी हालत को गंभीर देखते हुए प्राथमिक इलाज के बाद उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया। ज़िंदगी की आखिरी उम्मीद की डोर पकड़कर जब परिवारजन उसे बेहतर इलाज के लिए दूसरे अस्पताल ले जा रहे थे, तो रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया। वो सांसें जो परिवार की परवरिश के लिए चलती थीं, वो धड़कनें जो दिन-रात मेहनत करती थीं, वो सब रास्ते में ही खामोश हो गईं। अब वह परिवार, जिसकी रसोई की आग क़ासिम की मेहनत से जलती थी, वह एकदम से अंधेरे में डूब गया है। एक मां की ममता, एक पिता की उम्मीद, और एक भाई की दोस्ती, सब कुछ इस दर्दनाक हादसे में टूट कर बिखर गया।

पुलिस की टीमें अब इस मामले की जांच में जुट गई हैं। क़ानूनी प्रक्रिया के तहत शव का पोस्टमार्टम कर परिजनों को सौंप दिया गया है और अज्ञात वाहन चालक के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है। रामनगर पुलिस ने घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों को खंगालना शुरू कर दिया है ताकि उस दरिंदे ड्राइवर की पहचान हो सके जिसने इंसानियत को रौंदते हुए एक मासूम की जान ले ली। लेकिन अब सवाल यह है कि क्या उस चालक को पकड़कर क़ासिम को वापस लाया जा सकता है? क्या उस अपराधी को सज़ा दिलाकर परिवार के टूटे हुए सपनों की भरपाई हो सकती है? शायद नहीं, लेकिन फिर भी न्याय की एक उम्मीद आज भी इस बर्बाद परिवार के लिए एक मात्र सहारा बनी हुई है।

यह घटना न सिर्फ़ एक दर्दनाक हादसा है, बल्कि एक चेतावनी भी है कि कैसे तेज़ रफ्तार, लापरवाही और इंसानियत की कमी एक ज़िंदगी को चुटकियों में निगल सकती है। क़ासिम अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसका संघर्ष, उसकी मेहनत और उसकी जिम्मेदारियों को निभाने की जद्दोजहद हमेशा ज़िंदा रहेगी। समाज और प्रशासन को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि सड़कों पर दौड़ते वाहन कभी किसी घर की खुशियों को कुचल न सकें। और साथ ही यह भी ज़रूरी है कि क़ासिम जैसे हज़ारों मेहनतकश लोगों की जान की कीमत कोई अज्ञात वाहन यूं ही छीन न सके। अगर दोषी को सज़ा नहीं मिली, तो यह हादसा किसी और के साथ भी दोहराया जा सकता है। यही कारण है कि अब सबकी निगाहें पुलिस की जांच पर टिकी हैंकृक्योंकि एक परिवार को अब सिर्फ इंसाफ़ चाहिए, बस इंसाफ़।

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