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सड़कों पर फूटा देशभक्ति का ज्वालामुखी आतंकियों के खिलाफ गूंजा गुस्से का महासागर

निर्दोष पर्यटकों की नृशंस हत्या के खिलाफ काशीपुर बंद रहा पूरा शहर, गगनभेदी नारों और आक्रोश रैली से पाकिस्तान को दिया मुंहतोड़ जवाब

काशीपुर। नगर कि सड़कें आज उस गुस्से और तड़प की गवाही देती नज़र आईं जो पूरे देश के दिलों में 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए निर्मम आतंकी हमले के बाद से धधक रही है। निर्दाेष पर्यटकों की नृशंस हत्या के विरोध में काशीपुर का बाजार आज पूरी तरह से सन्नाटे में डूबा रहा, क्योंकि प्रांतीय उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के आह्वान पर समूचे शहर ने एकजुटता दिखाते हुए अपने-अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान पूरी तरह बंद रखे। इस बंद का नेतृत्व केवल व्यापारियों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने भी इसमें बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाई। मोहल्ला किला से लेकर महाराणा प्रताप चौक तक गूंजते नारों और लहराते नारों के बीच शहर की जनता ने स्पष्ट कर दिया कि इस बर्बरता के खिलाफ काशीपुर का प्रत्येक नागरिक एक सुर में आवाज़ उठा रहा है और शांति की मांग करते हुए आतंकियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की मांग कर रहा है।

हर नुक्कड़, हर गली और हर चौराहा आज देशभक्ति की आग में तपता दिखा, जहाँ लोगों की आँखों में केवल एक ही बात थी-इंसाफ। सुबह से ही व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठानों को ताले लगाकर इस दुखद घटना पर शोक जताया और आक्रोश रैली का हिस्सा बने। इस रैली में प्रभात साहनी, त्रिलोक सिंह चीमा, दीपक बाली सहित अन्य प्रमुख नेता शामिल रहे जिन्होंने किला बाजार से नफरत और हिंसा के खिलाफ एकजुटता की मिसाल कायम की। पूरे रास्ते में लोगों ने पाकिस्तान के खिलाफ गगन भेदी नारे लगाए और सरकार से स्पष्ट मांग रखी कि इस आतंकी हमले के पीछे जिन लोगों का हाथ है, उन्हें किसी भी हाल में बख्शा न जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधे तौर पर समर्थन देते हुए सभी ने यह अपेक्षा जताई कि भारत अब केवल बयानबाज़ी नहीं बल्कि जवाबी कार्रवाई के दौर में प्रवेश करे, ताकि देश के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

आंदोलन की गरमी तब और तेज़ हुई जब काशीपुर नगर निगम के महापौर दीपक बाली ने अपने सम्बोधन में कहा कि यह हमला महज पर्यटकों पर नहीं बल्कि भारत की एकता और अखंडता पर सीधा वार है। उन्होंने इस बंद के समर्थन में उतरे काशीपुर के सभी व्यापारियों का आभार जताया और कहा कि आतंकियों के इस घिनौने मंसूबे को काशीपुर की जनता ने असफल कर दिया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अब समय आ गया है जब पाकिस्तान को उसकी हरकतों का मुंहतोड़ जवाब दिया जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आतंकवाद के खिलाफ कठोर नीति की प्रशंसा करते हुए दीपक बाली ने कहा कि पूरे देश को एक साथ खड़ा रहना होगा और अपने आस-पास संदिग्ध गतिविधियों पर पैनी निगाह रखनी होगी ताकि कोई भी आतंकी साजिश परवान न चढ़ सके।

प्रांतिय उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के अध्यक्ष प्रभात साहनी ने व्यापारियों की भूमिका को राष्ट्रहित में बेहद महत्वपूर्ण बताया और कहा कि व्यापारिक समुदाय ने इस बंद में भाग लेकर यह जता दिया है कि जब बात देश की अस्मिता की हो तो हर व्यापारी सिपाही बनकर मैदान में उतर सकता है। उन्होंने अपने सम्बोधन में इजरायल का ज़िक्र करते हुए कहा कि जैसे इजरायल अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए आतंकियों को उनके घर में घुसकर मारता है, वैसे ही भारत को भी अब कोई नरमी नहीं दिखानी चाहिए। उन्होंने दो टूक कहा कि अब वक्त आ गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आतंकवादियों को उन्हीं की ज़मीन पर जाकर नेस्तनाबूद करें और यह संदेश दें कि भारत अब केवल सहने वाला देश नहीं रहा, बल्कि जवाब देने वाला देश बन चुका है।

उधर, जगमोहन सिंह ‘बंटी’ ने खालसा फाउंडेशन की ओर से सभी व्यापारियों का धन्यवाद अदा करते हुए यह स्पष्ट किया कि आतंकवाद का विरोध केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं बल्कि हर नागरिक की ज़िम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि आतंकियों के इस क्रूर कार्य की जितनी निंदा की जाए उतनी कम है और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सबसे कड़ी सज़ा देकर इस मानसिकता का सफाया करना चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी आतंकवादी भारत की ओर आँख उठाकर देखने की हिम्मत न कर सके। उनका यह बयान भीड़ के बीच तालियों की गड़गड़ाहट के साथ गूंज उठा, जिससे स्पष्ट था कि काशीपुर की जनता एकजुट है, सजग है और अब चुप बैठने को तैयार नहीं।

उत्तराखण्ड महिला कांग्रेस की वरिष्ठ उपाध्यक्ष और पीसीसी सदस्य अलका पाल ने पहलगाम में हुए अमानवीय आतंकी हमले को लेकर तीखा और भावनात्मक प्रहार करते हुए कहा कि इस बर्बर कृत्य ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है और अब वक्त आ गया है जब आतंकवाद के खिलाफ केवल निंदा नहीं, बल्कि निर्णायक कार्रवाई की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि निर्दोष पर्यटकों पर की गई इस क्रूरता ने हर नागरिक के दिल को छलनी कर दिया है और अब अगर केंद्र सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो आने वाली पीढ़ियां इसे कभी माफ नहीं करेंगी। अलका पाल ने स्पष्ट कहा कि केवल कड़ी भाषा में बयान देना काफी नहीं है, अब दुश्मन को उसी की ज़मीन पर घुसकर करारा जवाब देना होगा। उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि काशीपुर की जनता, खासकर व्यापारिक वर्ग, ने अपने प्रतिष्ठानों को बंद रखकर जो एकजुटता दिखाई है, वह अपने आप में एक सशक्त संदेश है कि भारत का हर कोना अब आतंक के खिलाफ एकजुट है और बदला चाहता है—खून का बदला खून।

इस पूरे आंदोलन में जितेंद्र सरस्वती, उषा चौधरी, वीरेन्द्र चौहान एडवोकेट, सुरजीत सिंह ग्रोवर, प्रशांत वर्मा एडवोकेट, हसीन खान, डॉ. एम राहुल, अशरफ सिद्दीकी एडवोकेट, ब्रह्मा सिंह पाल, हरीश सिंह एडवोकेट, राजीव अरोरा और मोबिन खान समेत बड़ी संख्या में पूर्व सैनिकों और समाजसेवियों की भागीदारी भी देखी गई, जिन्होंने कंधे से कंधा मिलाकर रैली को ऊर्जा प्रदान की। कांग्रेस पार्टी, भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और पूर्व सैनिक संगठन जैसे विभिन्न विचारधाराओं वाले संगठन आज एकजुट होकर देशभक्ति की एक ही भावना में बंधे दिखे। शहर की लगभग सभी दुकानेंकृफल ठेले, मिठाई की दुकानें, सब्ज़ी मंडी, ट्रांसपोर्ट कार्यालय, यहाँ तक कि चाय-पान की छोटी दुकानों तक ने बंद का समर्थन करते हुए आतंकवाद के खिलाफ अपना गुस्सा प्रकट किया।

आज का दिन काशीपुर के इतिहास में उस पल के रूप में दर्ज हो गया जब शहर ने एकजुटता, संवेदनशीलता और राष्ट्रप्रेम की ऐसी मिसाल पेश की जिसे लंबे समय तक याद रखा जाएगा। देश भर में गूंज रहे विरोध के स्वर में काशीपुर की गूंज भी अब शामिल हो चुकी हैकृऔर यह गूंज तब तक थमेगी नहीं जब तक पहलगाम में बहाए गए निर्दाेषों के खून का हिसाब नहीं लिया जाता।

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