हरिद्वार(एस पी न्यूज़)। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार में आयोजित भव्य अंतरराष्ट्रीय योग कॉन्फ्रेंस का समापन एक महत्वपूर्ण संदेश के साथ हुआ। इस दो दिवसीय आयोजन में विभिन्न विद्वानों, शोधकर्ताओं और योगाचार्यों ने भाग लिया और अपने विचार रखे। समापन सत्र में संस्कृत शिक्षा सचिव दीपक कुमार गैरोला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को साकार करने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संस्कृत के छात्रों को केवल पारंपरिक ज्ञान तक सीमित नहीं रखा जाना चाहिए, बल्कि उन्हें रोजगारपरक शिक्षा भी दी जानी चाहिए ताकि संस्कृत का कोई भी छात्र बेरोजगार न रहे। इस दिशा में विश्वविद्यालय की प्लेसमेंट सेल को सक्रिय भूमिका निभाने के निर्देश दिए गए।
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय और IIT रुड़की के वैज्ञानिक मिलकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) संस्कृत पर कार्य कर रहे हैं, और इस प्रोजेक्ट में जल्द ही उल्लेखनीय सफलता मिलने की उम्मीद है। यह परियोजना संस्कृत भाषा और आधुनिक तकनीक के अद्भुत संगम का प्रतीक बनेगी, जो भारत की सांस्कृतिक धरोहर को एक नई ऊंचाई पर ले जाने का काम करेगी। इसके अलावा, उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा ‘मन की बात’ कार्यक्रम में बढ़ते मोटापे को लेकर जताई गई चिंता का उल्लेख किया और सुझाव दिया कि उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय का योग विज्ञान विभाग मोटापा घटाने के लिए एक विशेष आसन-प्राणायाम पैकेज तैयार करे। इस पैकेज को व्यापक रूप से प्रचारित किया जाना चाहिए ताकि समाज के हर वर्ग को इसका लाभ मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि अष्टांग योग के अंतर्गत यम-नियम के शिक्षण की अलग से व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि योग को सही ढंग से समझा और अपनाया जा सके। इसके अतिरिक्त, उन्होंने केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय की अष्टादशी योजना के तहत गत वर्ष दिसंबर में दिए गए लक्ष्यों के अनुसार विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों को प्रोजेक्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, जिससे विभिन्न मंत्रालयों से अनुदान प्राप्त किया जा सके।

इस सम्मेलन में कई विद्वानों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए, जिससे योग और संस्कृत के गहन अध्ययन को बढ़ावा मिला। प्रथम सत्र में डॉ. पीसी मालसे और डॉ. अमरजीत यादव के विशिष्ट व्याख्यान हुए, जिन्होंने योग और संस्कृत की परंपरा तथा आधुनिक समाज में उनकी प्रासंगिकता पर विस्तार से चर्चा की। द्वितीय सत्र में कुमारी नीलू, दिशा देवी, चेतना पांडे, चंद्रकांत, भूपेंद्र, भानु प्रिया, ए लॉर्ड मारिया, विनीता यादव, अनुष्का सैनी सहित अन्य शोधकर्ताओं ने अपने शोध पत्रों का वाचन किया। इस सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर सरस्वती काला और डॉ. सोमलता झा ने की, जिन्होंने प्रस्तुत किए गए शोध पत्रों पर विचार साझा किए और उनके महत्व पर प्रकाश डाला। द्वितीय दिवस के तृतीय सत्र में भी कई शोध पत्र प्रस्तुत किए गए, जिनमें स्वामिनी शंकरी, साक्षी शर्मा, एस वेलविझी, आदर्श श्रीवास, ज्योति गुप्ता, भाविशा, गोविंद सिंह, सागर आदि प्रमुख रहे। इस सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर सुरेश वर्णवाल, डॉ. नरेंद्र सिंह और डॉ. उधम सिंह ने की। सभी शोध पत्रों में योग के विभिन्न आयामों और उनके वैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया गया, जिससे यह सम्मेलन एक ज्ञानवर्धक और शोधपरक अनुभव साबित हुआ।
इस महत्वपूर्ण आयोजन में रघुनाथ कीर्ति केंद्रीय विश्वविद्यालय, देवप्रयाग परिसर के निदेशक प्रो. पी. वी. बी. सुब्रमण्यम भी अति विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि योग के वास्तविक स्वरूप को जन-जन तक पहुँचाने की आवश्यकता है, और इसके लिए सभी योग संस्थानों को एकजुट होकर कार्य करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय जीवनशैली में योग की गहरी पैठ है, जिसके कारण पश्चिमी देशों की तुलना में भारतीय समाज में मानसिक तनाव कम देखने को मिलता है। उन्होंने योग को वैश्विक स्तर पर प्रचारित करने के लिए एक समन्वित प्रयास की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि इसका लाभ संपूर्ण मानवता को मिल सके। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर दिनेश शास्त्री ने अध्यक्षीय उद्बोधन में विश्वविद्यालय की उपलब्धियों का उल्लेख किया और बताया कि हाल ही में उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय और स्वामी विवेकानंद योग संस्थान, बेंगलुरु के बीच एक महत्वपूर्ण एमओयू (समझौता ज्ञापन) साइन किया गया है। इस समझौते के तहत दोनों विश्वविद्यालयों के शोधार्थी और छात्र-छात्राएं एक-दूसरे के विश्वविद्यालयों का शैक्षिक भ्रमण कर सकेंगे और योग से जुड़े नए अनुसंधानों पर कार्य कर सकेंगे। यह एमओयू दोनों विश्वविद्यालयों के बीच शिक्षा और अनुसंधान के आदान-प्रदान को मजबूत करेगा और योग के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करेगा।

कार्यक्रम के अंत में कॉन्फ्रेंस के ऑर्गनाइजिंग चेयरमैन डॉ. कामाख्या कुमार ने सभी गणमान्य अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया और इस भव्य आयोजन की सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त की। मंच का संचालन डॉ. विनय शेट्टी ने किया, जिन्होंने पूरे कार्यक्रम को कुशलता से संचालित किया। इस अवसर पर डॉ. उमेश शुक्ल, डॉ. शिवचरण नौडियाल, डॉ. अनूप बहुखंडी, प्रतिभा सिंह, डॉ. ललित शर्मा, डॉ. महेश भट्ट, डॉ. अनुपम कोठारी, डॉ. अंजना, डॉ. मोहित सैनी, मीमांसा सिंह, सिद्धार्थ पांडेय, दिशांत शर्मा, आशीष पंवार, सौरभ शर्मा, पीयूष मलिक समेत कई प्रतिष्ठित विद्वान और शोधार्थी उपस्थित रहे। इस सम्मेलन ने न केवल योग के महत्व को एक नई दिशा दी, बल्कि संस्कृत, योग और आधुनिक विज्ञान के समन्वय को बढ़ावा देने की दिशा में भी एक मजबूत कदम उठाया।