देहरादून(एस पी न्यूज़)। 76वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर उत्तराखंड के परेड ग्राउंड में आयोजित राज्य स्तरीय मुख्य कार्यक्रम में संस्कृत शिक्षा विभाग की झांकी ने सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। यह झांकी भले ही द्वितीय स्थान पर रही, लेकिन उसने अपनी विशिष्टता और प्रभावशाली प्रदर्शन से हर किसी का दिल जीत लिया। झांकी के माध्यम से छात्रों ने वेदों का पाठ प्रस्तुत किया, और भारतीय ज्ञान परंपरा की महिमा को उजागर किया। संस्कृत शास्त्रों के अंतर्गत पुरातन विज्ञान, खगोलशास्त्र, गणित और योग का अद्भुत चित्रण किया गया। इस झांकी का सबसे आकर्षक हिस्सा तब था जब छात्रों का समूह शंखनाद करते हुए रथ के सामने से गुजर रहा था। ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे सनातन धर्म हर कण में समाहित हो गया हो। इस दृश्य ने दर्शकों को एक दिव्य अनुभव दिया। विशेष रूप से, रोगनिरोग काया हेतु छात्रों द्वारा किए गए आसनों और व्यायामों का प्रदर्शन दर्शकों के लिए कौतुहल का विषय बन गया। यह प्रदर्शन न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को भी दर्शाता था, जो भारतीय संस्कृति और योग की शक्ति को प्रदर्शित करता था।
संस्कृत शिक्षा विभाग द्वारा प्रस्तुत इस झांकी ने राज्य की द्वितीय राजभाषा और संस्कृत शिक्षा के प्रचार-प्रसार को प्रमुखता से दिखाया। यह झांकी न केवल एक धार्मिक या सांस्कृतिक दृष्टिकोण से, बल्कि एक शैक्षिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण थी। इससे यह संदेश दिया गया कि संस्कृत सिर्फ एक भाषा नहीं, बल्कि एक समृद्ध ज्ञान परंपरा है, जो समाज के हर पहलू को प्रभावित करती है। संस्कृत शिक्षा विभाग ने इसे विशेष रूप से एक उद्देश्य के तहत प्रस्तुत किया था – संस्कृत को एक जीवंत और प्रासंगिक भाषा के रूप में प्रदर्शित करना। इसके माध्यम से यह भी दर्शाया गया कि संस्कृत के अध्ययन से न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक समझ बढ़ती है, बल्कि यह आधुनिक विज्ञान, गणित और अन्य क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। झांकी का यह प्रभाव दर्शाता है कि संस्कृत को कैसे एक आधुनिक, प्रासंगिक और प्रेरणादायक भाषा के रूप में पुनः प्रस्तुत किया जा सकता है।
इस शानदार प्रदर्शन के बाद, राज्यपाल, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और मंत्री धन सिंह रावत की उपस्थिति में संस्कृत शिक्षा विभाग के सचिव दीपक कुमार और उनकी टीम को द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार संस्कृत शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान और इस उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दिया गया। राज्यपाल महोदय ने संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए विभाग की सराहना की और इसे राज्य की सांस्कृतिक धरोहर के रूप में महत्वपूर्ण बताया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी संस्कृत शिक्षा विभाग की इस पहल की सराहना की और इसे राज्य के सांस्कृतिक विकास में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। इस सम्मान के बाद, संस्कृत शिक्षा विभाग के सचिव दीपक कुमार ने बताया कि इस कार्य को सफल बनाने में संस्कृत शिक्षा निदेशक आनंद भारद्वाज और संस्कृत अकादमी के सचिव वाजाश्रावा आर्या की नेतृत्व में देहरादून और ऋषिकेश के विभिन्न संस्कृत विद्यालयों और महाविद्यालयों के छात्रों और आचार्यों का बहुत योगदान रहा।
यह प्रदर्शन केवल एक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि एक संदेश था कि संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक और समर्पित प्रयास की आवश्यकता है। राज्य के विभिन्न संस्कृत विद्यालयों जैसे आर्षकन्या गुरुकुल, शिवनाथ झा, गुरु रामराय, पौधा और अन्य विद्यालयों के छात्रों और आचार्यों ने मिलकर इस झांकी को साकार किया। उनका योगदान इस प्रयास की सफलता के लिए अतुलनीय था। राज्य के शिक्षा सचिव रविनाथ रमन और महानिदेशक सूचना बंशीधर ने भी संस्कृत शिक्षा की झांकी की सराहना की और इसे राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के लिए एक प्रेरणादायक कदम बताया। संस्कृत की यह झांकी न केवल एक शैक्षिक पहल थी, बल्कि यह राज्य के सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को भी जीवित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।