काशीपुर(एस पी न्यूज़)। सड़कों पर आज एक अलग ही नजारा देखने को मिला, जब कांग्रेस के पूर्व मेयर प्रत्याशी संदीप सहगल के नेतृत्व में एक विशेष मौन पदयात्रा निकाली गई। यह यात्रा केवल जनता का आभार प्रकट करने तक सीमित नहीं थी, बल्कि इसके राजनीतिक निहितार्थ भी थे। संदीप सहगल ने इस यात्रा के माध्यम से सरकार और प्रशासन की निष्पक्षता पर सवाल उठाए और निकाय चुनाव में सत्ता पक्ष पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि चुनावी प्रक्रिया में जिस तरह से सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग हुआ, वह किसी से छिपा नहीं है। उनकी यह पदयात्रा किला मोहल्ले से शुरू होकर मुख्य बाजार, महाराणा प्रताप चौक सहित शहर के कई प्रमुख इलाकों से गुजरी। इस दौरान बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक और कांग्रेस कार्यकर्ता मौन रहकर इस पदयात्रा का हिस्सा बने। यात्रा की शुरुआत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चित्र पर पुष्प अर्पित करने और दो मिनट का मौन रखने के साथ हुई, जिससे यह संदेश दिया गया कि यह यात्रा न केवल जनता का धन्यवाद करने के लिए है, बल्कि यह एक विरोध का भी प्रतीक है।
संदीप सहगल ने अपनी चुप्पी में भी बहुत कुछ कह दिया। उन्होंने यह साफ कर दिया कि उन्हें इस बात का कोई गम नहीं कि चुनाव में कौन जीता या कौन हारा, बल्कि चिंता इस बात की है कि चुनावी प्रक्रिया कितनी निष्पक्ष थी। उन्होंने इशारों में सत्ता पक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि यह चुनाव प्रशासनिक मशीनरी की ताकत और सत्ता की ताकत का इस्तेमाल कर लड़ा गया, जिसमें लोकतांत्रिक मूल्यों की अनदेखी की गई। उन्होंने यह भी कहा कि काशीपुर का विकास ही उनकी प्राथमिकता है और वे आगे भी जनता की समस्याओं के समाधान के लिए मजबूती से खड़े रहेंगे। संदीप सहगल ने इस बात पर जोर दिया कि जिस तरह से जनता ने कांग्रेस का समर्थन किया, उससे यह स्पष्ट होता है कि लोग बदलाव चाहते थे, लेकिन सत्ता पक्ष ने लोकतंत्र की मर्यादा को तोड़कर चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित किया। उन्होंने भरोसा दिलाया कि कांग्रेस पार्टी जनता की आवाज को बुलंद करने के लिए हमेशा तत्पर रहेगी और उनके संघर्ष का सिलसिला जारी रहेगा। यह आभार यात्रा भले ही शांतिपूर्ण थी, लेकिन इसका संदेश काफी स्पष्ट था। संदीप सहगल ने इस मौके पर प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग इस चुनाव में खुलकर हुआ और सत्ता पक्ष ने अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए हरसंभव कोशिश की। मतदान से लेकर मतगणना तक हर स्तर पर प्रशासनिक दबाव देखने को मिला। उन्होंने सवाल किया कि जब निकाय चुनाव में इतनी धांधली हो सकती है, तो आगामी पंचायत चुनाव में क्या हाल होगा? क्या वहां भी सत्ता पक्ष प्रशासन का इसी तरह से दुरुपयोग करेगा? इस सवाल ने राजनीतिक गलियारों में नई बहस छेड़ दी है। मौन पदयात्रा के दौरान समर्थकों की मौजूदगी यह दिखा रही थी कि जनता के भीतर इस चुनाव को लेकर कई सवाल हैं और वे सत्ता पक्ष के रवैये से नाखुश हैं।
इस यात्रा में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के अलावा स्थानीय व्यापारी, अधिवक्ता और समाजसेवी भी बड़ी संख्या में शामिल हुए। हर कोई संदीप सहगल के इस कदम को एक राजनीतिक संदेश के रूप में देख रहा था। यह यात्रा केवल धन्यवाद यात्रा नहीं थी, बल्कि यह यह दिखाने का प्रयास था कि कांग्रेस मैदान में मजबूती से खड़ी है और भविष्य में किसी भी राजनीतिक चुनौती से पीछे नहीं हटेगी। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी इस मौके पर अपनी एकजुटता दिखाई और सरकार के खिलाफ रोष व्यक्त किया। यात्रा के समापन पर संदीप सहगल ने मीडिया से बातचीत की और कहा कि इस चुनाव में निष्पक्षता की उम्मीद करना बेकार था। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई केवल एक चुनाव तक सीमित नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र और निष्पक्ष प्रशासन के लिए लड़ाई है। उन्होंने जनता को भरोसा दिलाया कि चाहे परिणाम कुछ भी रहे, वह जनता के अधिकारों और उनके हितों की रक्षा के लिए हमेशा खड़े रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि काशीपुर की जनता को किसी भी समस्या का सामना करना पड़े, तो वह उनके लिए हमेशा मौजूद रहेंगे।
इस मौन पदयात्रा में कांग्रेस नेता और कार्यकर्ताओं के अलावा बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी शामिल हुए। उपस्थित लोगों में उमेश जोशी एडवोकेट, विमल गुड़िया, अर्पित मेहरोत्रा, गौतम मेहरोत्रा, रवि ढींगरा, राजू छीना, मनोज अग्रवाल, इंदूमान, गीता चौहान, उमा वात्सल्य, मीनू सहगल, मीनू गुप्ता, अब्दुल कादिर, अफसर अली, राशिद फारुकी, इंदर सिंह एडवोकेट, राजेश शर्मा एडवोकेट, महेंद्र लोहिया, महेंद्र बेदी, विनोद शर्मा होंडा, पूजा जोशी, अपूर्व मल्होत्रा, सचिन गोयल सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे। इस यात्रा ने न केवल कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नया जोश भरा, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया कि विपक्ष इस चुनावी परिणाम को लेकर चुप बैठने वाला नहीं है। संदीप सहगल और उनके समर्थकों का कहना है कि यह लड़ाई यहीं खत्म नहीं हुई है, बल्कि यह आगे भी जारी रहेगी। आने वाले समय में नगर निगम के कामकाज और प्रशासन की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए जाएंगे। इस मौन यात्रा ने काशीपुर की राजनीतिक फिजा में एक नई हलचल पैदा कर दी है और आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा और अन्य राजनीतिक दल इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं।