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श्री विश्वनाथ-मां जगदीशीला डोली यात्रा से गूंज उठा हरिद्वार का आसमान

सद्भाव, संस्कृति और संकल्प की मिसाल बनी डोली यात्रा, आध्यात्मिक ऊर्जा से लबरेज़ हज़ारों श्रद्धालुओं ने किया माँ गंगा तट से शुभारंभ सद्भाव, संस्कृति और संकल्प की मिसाल बनी डोली यात्रा, आध्यात्मिक ऊर्जा से लबरेज़ हज़ारों श्रद्धालुओं ने किया माँ गंगा तट से शुभारंभ

हरिद्वार। बुधवार को हरिद्वार में एक अद्वितीय धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन हुआ, जब बाबा विश्वनाथ और मां जगदीशीला डोली यात्रा ने अपनी यात्रा का शुभारंभ किया। इस यात्रा की शुरुआत भारत माता मंदिर के महंत और निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी महाराज के आशीर्वाद से हुई। यात्रा का पहला पड़ाव हरकी पैड़ी पर गंगा स्नान और पूजा अर्चना के बाद हुआ, जिसके बाद डोली यात्रा उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल की ओर प्रस्थान कर गई। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संदेशों का प्रसार करना है। यात्रा के संयोजक मंत्री प्रसाद नैथानी ने इस आयोजन का महत्व स्पष्ट करते हुए कहा कि यह यात्रा समाज में शांति, भाईचारे और प्राकृतिक संतुलन को बढ़ावा देने के साथ-साथ प्राचीन भारतीय धरोहरों की रक्षा का भी संदेश देती है।

स्वामी ललितानंद गिरी महाराज ने डोली यात्रा के महत्व को बताते हुए कहा कि यह यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह समाज के लिए एक संदेश लेकर आई है। उनका मानना था कि इस यात्रा के माध्यम से न सिर्फ धार्मिक भावनाओं को जागृत किया जा रहा है, बल्कि यह समाज में एकता और समझ बढ़ाने का भी कार्य करती है। उन्होंने इस यात्रा के हर पहलू पर विचार करते हुए कहा कि इसमें पर्यावरण संरक्षण, भारतीय संस्कृति के संवर्धन, सर्वधर्म समभाव और सामाजिक मर्यादाओं की पुनः स्थापना जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल हैं। उनका यह बयान इस बात को साबित करता है कि डोली यात्रा का उद्देश्य केवल धार्मिक नहीं, बल्कि समग्र समाज के लिए हितकारी है।

यात्रा के संयोजक मंत्री प्रसाद नैथानी ने डोली यात्रा को सफल बनाने में सहयोग देने वाले सभी व्यक्तियों का आभार व्यक्त किया और कहा कि यह यात्रा 31 दिनों तक जारी रहेगी और विभिन्न स्थानों से होते हुए अपने गंतव्य तक पहुंचेगी। उन्होंने कहा कि यात्रा का उद्देश्य न केवल धार्मिक उद्देश्य को पूरा करना है, बल्कि यह एक मिशन है, जिसके माध्यम से समाज में सामूहिक समरसता और विश्व कल्याण के प्रति जागरूकता फैलाई जा सके। मंत्री नैथानी ने यह भी कहा कि इस यात्रा में हजारों श्रद्धालु और सामाजिक कार्यकर्ता भाग लेंगे और यह यात्रा उनके जीवन में एक नई प्रेरणा का स्रोत बनेगी।

यात्रा के आयोजन में हरिद्वार के सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय सहयोगियों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। प्रतिवर्ष की तरह इस बार भी आमेश शर्मा, मनोज झा, संजय वर्मा और उनके सहयोगियों ने डोली यात्रा की व्यवस्था में पूरी तत्परता के साथ सहयोग किया। आमेश शर्मा ने इस यात्रा की महत्ता को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह धार्मिक आयोजन न केवल समाज में जागरूकता फैलाने का कार्य करता है, बल्कि यह पर्यावरणीय दायित्वों को भी बढ़ावा देता है। उनका मानना है कि इस प्रकार के आयोजनों के माध्यम से समाज में शांति और सद्भावना का वातावरण स्थापित किया जाता है, जो हमारे आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहद जरूरी है।

मनोज झा और रजत शर्मा ने इस ऐतिहासिक डोली यात्रा के आयोजन को नमन करते हुए इसके संयोजकों के प्रयासों की खुले दिल से सराहना की। उन्होंने कहा कि यह यात्रा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक चलती-फिरती चेतना है, जो जनमानस को जोड़ने, उनके भीतर सामाजिक उत्तरदायित्वों के प्रति जागरूकता जगाने और सतत विकास की भावना को पुष्ट करने का अद्भुत कार्य कर रही है। उनके अनुसार यह डोली यात्रा न केवल आध्यात्मिक अनुभव है, बल्कि समाज की दिशा और दशा को सकारात्मक मोड़ देने वाली प्रेरणा का स्वरूप है। इसी क्रम में शाश्वत वशिष्ठ, रुद्राक्ष, चिरंतन और एडवोकेट वरुण चौधरी जैसे समर्पित सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस भव्य यात्रा के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे धर्म, संस्कृति, समाज और पर्यावरण की रक्षा के लिए उठाया गया एक सशक्त कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह यात्रा उत्तराखंड की आध्यात्मिक परंपरा को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठा दिलाने में सफल रहेगी।

यात्रा के समापन में जिन चेहरों ने अपनी उपस्थिति और सक्रिय सहभागिता से आयोजन को विशेष गरिमा प्रदान की, उनमें प्रमुख रूप से नवीन दुबे, संजय वर्मा, इंद्रभूषण बडोनी और कैलाशपति मैठाणी का नाम उल्लेखनीय है। इन सभी ने न केवल इस ऐतिहासिक और आध्यात्मिक यात्रा की सफलता की मंगलकामना की, बल्कि इसके बहुआयामी उद्देश्य को एक स्वर में उत्तराखंड की सांस्कृतिक परंपराओं का अभिन्न और प्रेरणादायी अध्याय बताया। उनके अनुसार यह डोली यात्रा कोई साधारण धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि वह आध्यात्मिक धारा है जो समाज के हर वर्ग को एकसूत्र में बांधती है। इस यात्रा के माध्यम से भारतीय संस्कृति, रीति-रिवाज और पुरातन जीवन मूल्यों का संरक्षण होता है और अगली पीढ़ी के लिए प्रेरणा की चिरस्थायी लौ प्रज्वलित होती है। उन्होंने कहा कि यह प्रयास भावी समाज के लिए एक आदर्श की तरह कार्य करेगा।

हरिद्वार की पुण्यभूमि से बाबा विश्वनाथ और मां जगदीशीला की डोली यात्रा ने आध्यात्मिक उल्लास और धार्मिक आस्था के बीच अपने पावन अभियान की शुरुआत कर दी है। यह यात्रा केवल एक धार्मिक रथयात्रा नहीं है, बल्कि एक व्यापक सामाजिक संदेश लेकर चल रही है, जिसका मूल उद्देश्य धार्मिक भावनाओं को समर्पित रहकर समाज में एकता, समरसता और पर्यावरण संरक्षण जैसे मूल्यों को पुनर्स्थापित करना है। यह डोली यात्रा अपने एक महीने के अभियान में कई गांवों, कस्बों और नगरों से होकर गुजरेगी और प्रत्येक पड़ाव पर श्रद्धालुओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय नागरिकों का विशाल स्वागत-सत्कार इसे एक जन-आंदोलन का स्वरूप देगा। यह यात्रा धार्मिक चेतना के साथ-साथ सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक बनते हुए समाज को प्रेरणा देने वाली जीती-जागती मिसाल बन चुकी है, जिसकी गूंज दूर-दूर तक सुनाई देगी और हर पड़ाव एक नए अध्याय को जन्म देगा।

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