spot_img
दुनिया में जो बदलाव आप देखना चाहते हैं, वह खुद बनिए. - महात्मा गांधी
Homeउत्तराखंडशशिविहार में काशीपुर राईजिंग फाउंडेशन ने हरियाली की क्रांति में बोया नया...

शशिविहार में काशीपुर राईजिंग फाउंडेशन ने हरियाली की क्रांति में बोया नया विश्वास

बच्चों से बुजुर्गों तक जुड़ी हरियाली की यह मुहिम बनी पर्यावरण संरक्षण की मिसाल, सुधा राय ने भरी हरियाली की अलख

काशीपुर। धरती इन दिनों हरियाली की ओर लौटने को आतुर नजर आ रही है, और इस दिशा में एक सराहनीय पहल करते हुए काशीपुर राईजिंग फाउंडेशन ने पर्यावरण संरक्षण की अलख जगाई। यह मुहिम उस वक्त और भी जीवंत हो गई जब शशिविहार कॉलोनी के नागरिकों ने पूरी आत्मीयता और ऊर्जा के साथ इसमें भागीदारी की। फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस वृक्षारोपण कार्यक्रम में न केवल बड़े-बुजुर्गों की उपस्थिति रही, बल्कि छोटे-छोटे बच्चों ने भी पूरे उत्साह के साथ अपनी भागीदारी दर्ज कराई। पौधरोपण के दौरान आम, नीम, जामुन और बरगद जैसे फलदार व छायादार पौधों का रोपण किया गया, जिन्हें भारतीय संस्कृति में न केवल पर्यावरणीय दृष्टिकोण से बल्कि आयुर्वेदिक महत्त्व के कारण भी विशेष स्थान प्राप्त है। हर हाथ में गमला, हर चेहरे पर मुस्कान और हर मन में हरियाली का सपना लिए लोगों ने इस कार्यक्रम को एक त्योहार का रूप दे दिया।

प्रकृति से जुड़ने की यह जो सामूहिक कोशिश शशिविहार के लोगों ने दिखाई, वह एक नए सामाजिक परिवर्तन की दस्तक थी। कार्यक्रम में अध्यक्ष सुधा राय ने न केवल सभी निवासियों को इस अभियान में सहभागिता के लिए प्रेरित किया बल्कि उन्हें पौधों के महत्व और संरक्षण की जिम्मेदारी के बारे में विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा कि सिर्फ पौधा लगाना ही पर्याप्त नहीं है, उसकी देखरेख और संरक्षण भी उतना ही आवश्यक है, जितना किसी नवजात की परवरिश। सुधा राय के शब्दों ने लोगों को इस बात के लिए भी प्रेरित किया कि वे अपने-अपने घरों और मोहल्लों में भी इस तरह की हरित गतिविधियों को निरंतर रूप दें। उनका यह आह्वान सिर्फ औपचारिक वक्तव्य नहीं था, बल्कि उन्होंने स्वयं हर परिवार से यह अपील की कि हर कोई कम से कम एक पौधा अपने नाम से रोपे और उसे बड़ा करे।

अध्यक्ष सुधा राय ने इस दौरान अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पौधारोपण केवल एक प्रतीकात्मक कार्य नहीं है, बल्कि यह हमारी जिम्मेदारी और प्रकृति के प्रति हमारा प्रेम दर्शाने का सशक्त माध्यम है। उन्होंने बताया कि जैसे एक शिशु को जन्म देने के बाद उसकी देखभाल आवश्यक होती है, उसी प्रकार एक पौधा लगाने के बाद उसकी सुरक्षा, सिंचाई और पालन-पोषण भी उतना ही जरूरी होता है। उन्होंने कॉलोनीवासियों से आग्रह किया कि हर व्यक्ति अपने जीवन में कम से कम एक पौधा अवश्य रोपे और उसे अपने बच्चे की तरह सहेजे। सुधा राय ने यह भी कहा कि वृक्ष हमारे जीवन के आधार हैं, यह हमें शुद्ध वायु, फल, छाया और दवाएं प्रदान करते हैं। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि जब तक हर नागरिक पर्यावरण की रक्षा को अपनी जिम्मेदारी नहीं मानेगा, तब तक स्थायी परिवर्तन संभव नहीं है। उनका यह उद्बोधन सभी के दिलों को छू गया और प्रेरणा का स्रोत बन गया।

इस अवसर पर शशिविहार की गलियां हरियाली के रंग में रंग गईं। बच्चों ने इस पहल को सिर्फ खेल की तरह नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी के रूप में लिया और मिट्टी से रिश्ता बनाते हुए पौधों को सहेजने का संकल्प लिया। कई स्थानों पर बच्चों ने अपने द्वारा लगाए गए पौधों को नाम भी दिए, जिससे उनमें एक भावनात्मक जुड़ाव बना। आम, बरगद, जामुन और नीम जैसे पौधे जहाँ एक ओर पर्यावरण को स्वच्छ बनाते हैं, वहीं दूसरी ओर ये मानव जीवन के लिए लाभकारी छाया, फल और औषधीय गुण भी प्रदान करते हैं। इस समझ को कॉलोनीवासियों तक पहुंचाने में काशीपुर राईजिंग फाउंडेशन की भूमिका बेहद प्रभावशाली रही। यह पहल सिर्फ एक दिन का आयोजन नहीं थी, बल्कि यह आने वाले समय में एक स्थायी बदलाव की शुरुआत मानी जा रही है।

वृक्षों की छांव में पले-बढ़े भारतीय समाज के लिए यह उदाहरण न केवल अनुकरणीय है बल्कि यह आज के समय की आवश्यकता भी बन चुका है। जिस गति से शहरीकरण अपने पैर पसार रहा है, उसमें ऐसी पहलें न केवल पर्यावरण को संतुलित करती हैं, बल्कि समाज में जागरूकता और सामूहिक उत्तरदायित्व की भावना को भी मजबूत करती हैं। काशीपुर राईजिंग फाउंडेशन का यह प्रयास केवल पौधरोपण तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने इस अवसर का उपयोग लोगों को जागरूक करने के लिए भी किया। अध्यक्ष सुधा राय ने नागरिकों को यह भी समझाया कि किस प्रकार वृक्ष जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं और किस तरह से यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक उपहार बन सकते हैं।

कार्यक्रम के अंत में हर कोई यही कहता नजर आया कि अब सिर्फ एक कॉलोनी ही नहीं, बल्कि पूरा शहर इस मुहिम का हिस्सा बने। सुधा राय की प्रेरणा से लोग यह महसूस करने लगे कि प्रकृति के साथ जुड़ना केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। इस दिन की सबसे बड़ी उपलब्धि यही रही कि लोग एक साथ आए, एक उद्देश्य के लिए जुटे और अपने कार्यों से आने वाले समय को हरियाली की सौगात दी। काशीपुर में जिस प्रकार शशिविहार के लोगों ने फाउंडेशन के साथ मिलकर यह अभियान चलाया, वह पूरे उत्तराखंड के लिए प्रेरणा बन सकता है।

संबंधित ख़बरें
गणतंत्र दिवस की शुभकामना
75वां गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ

लेटेस्ट

ख़ास ख़बरें

error: Content is protected !!