काशीपुर। शहर के वार्ड नंबर 11, फसियापुरा अलीगंज रोड क्षेत्र में इन दिनों नागरिकों का धैर्य जवाब देता दिखाई दे रहा है। मोहल्ले की गलियों में लोग अपने घरों के सामने बने सर्विस रोड के किनारे खुद ही नालियों की सफाई करते नजर आ रहे हैं। यह तस्वीरें उस तंत्र पर करारा तमाचा हैं, जिसने जनता से किए वादों को भुलाकर केवल चुनावी मौसम में सक्रियता दिखाने की रस्म निभाई है। जब मौके पर उपस्थित लोगों से यह जानने की कोशिश की गई कि आखिर यह जिम्मेदारी प्रशासन की है या आम जनता की, तो गुस्से में भरे शब्दों में जवाब मिला कि चुनाव बीते काफी दिन हो गए, मगर पार्षद या उनके पति ने क्षेत्र की सुध नहीं ली। शिकायतें कई बार की गईं, याद दिलाया भी गया, लेकिन परिणाम सिफर रहा। नालियों की जमी गंदगी और पानी का बहाव बाधित हो जाने के कारण जब हालात घरों में बदबू और बीमारी तक पहुंचने लगे, तब थक-हारकर लोगों ने खुद कमर कस ली और सफाई कार्य में जुट गए।
वास्तव में, इस नजारे ने शासन-प्रशासन की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर जनता के नुमाइंदे चुनाव से पहले विकास और स्वच्छता के दावे करते हैं, वहीं जीत के बाद उन्हीं दावों का दम घुटता नजर आता है। वार्ड की स्थानीय महिलाएं, बुजुर्ग और युवाओं ने एकजुट होकर नालियों की सफाई का मोर्चा संभाला, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि जब नेतृत्व दिशाहीन हो जाए, तब जनता को ही अपने कंधों पर जिम्मेदारी उठानी पड़ती है। यह दृश्य किसी सामाजिक आंदोलन से कम नहीं थाकृजहां किसी योजना या सरकारी आदेश के बिना केवल सामाजिक जिम्मेदारी और स्वास्थ्य की चिंता ने लोगों को सड़कों पर उतरने को मजबूर किया। स्थानीय निवासियों ने यह भी स्पष्ट किया कि वे अब किसी भी तरह की अनदेखी बर्दाश्त नहीं करेंगे और क्षेत्र के साफ-सुथरे वातावरण के लिए निरंतर प्रयासरत रहेंगे।
इस दौरान लोगों ने नाराजगी के साथ यह भी कहा कि क्षेत्र के पार्षद और उनके पति न सिर्फ जनता की आवाज से दूर हैं, बल्कि चुनावी वादों की पूरी तरह अवहेलना कर रहे हैं। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि समस्याएं गंभीर होने के बावजूद जब संपर्क किया गया तो पार्षद की ओर से कोई सार्थक प्रतिक्रिया नहीं मिली। वहीं, जब नालियां पूरी तरह ओवरफ्लो हो गईं और गंदा पानी शिविर लाइन की ओर बहने लगा, तब स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई। आखिरकार लोगों को स्वयं हाथ में झाड़ू और फावड़ा उठाना पड़ा। यह तस्वीरें हमारे प्रतिनिधियों को आईना दिखाने के लिए काफी हैंकृजहां गली-मोहल्लों की जनता अपने स्वास्थ्य और स्वच्छता के लिए प्रशासनिक तंत्र के भरोसे न बैठकर स्वयं जिम्मेदारी निभाने को मजबूर है।
जनता के एक वर्ग ने इस पूरी स्थिति में महापौर दीपक बाली की कार्यशैली की सराहना करते हुए कहा कि वे अपने दायित्वों के प्रति गंभीर और निष्ठावान हैं। लोगों ने कहा कि दीपक बाली लगातार फील्ड में रहकर साफ-सफाई और नगर सुधार से जुड़े कार्यों को पूरी शिद्दत से अंजाम दे रहे हैं। महापौर की सक्रियता के उदाहरण देते हुए कहा गया कि वे नियमित निरीक्षण करते हैं और समस्याओं के निराकरण के लिए त्वरित कार्रवाई करते हैं। ऐसे में यह और भी दुखद है कि जब शहर का पहला नागरिक पूरे समर्पण से अपने कर्तव्यों को निभा रहा है, तब वार्ड के स्तर पर निर्वाचित प्रतिनिधि अपने कार्य से विमुख होकर क्षेत्र की दुर्दशा को नजरअंदाज कर रहे हैं। इससे जनता के बीच यह संदेश गया है कि विकास सिर्फ घोषणाओं से नहीं, बल्कि जिम्मेदारी और सहभागिता से होता है।
पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि अब जनता केवल आश्वासन से संतुष्ट नहीं होगी। पार्षद के नेतृत्व में जिस जिम्मेदारी को निभाया जाना था, उसे अब आम लोग अपने कंधों पर ढो रहे हैं। यह एक चेतावनी है उन जनप्रतिनिधियों के लिए जो चुनाव के बाद जनता से मुंह फेर लेते हैं। काशीपुर का यह उदाहरण इस बात का प्रतीक है कि जब जवाबदेही कमजोर पड़ती है, तब लोग खुद ही व्यवस्था को संभालने के लिए आगे आते हैं। स्वच्छ भारत अभियान की बात करने वाले नेताओं को यह दृश्य देखना चाहिए कि किस तरह जनता अपने स्तर पर स्वच्छता की अलख जगा रही हैकृबिना किसी सरकारी सहायता या पार्षदी संरक्षण के। यदि समय रहते प्रतिनिधि अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करते, तो वह दिन दूर नहीं जब जनता उन्हें आईना दिखाने में भी पीछे नहीं हटेगी।