रामनगर(एस पी न्यूज़)। कार्बेट टाइगर रिजर्व की बिजरानी रेंज में हाल ही में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें वनाग्नि सुरक्षा और बाघ रक्षकों के विषय पर चर्चा की गई। इस बैठक का उद्देश्य स्थानीय खत्तावासियों को वनों पर निर्भरता कम करने के उपायों के बारे में जानकारी देना था, ताकि मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम किया जा सके और वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इस प्रकार की बैठकें न केवल वन्यजीव संरक्षण के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वे वनाग्नि की घटनाओं को रोकने और जंगलों की पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। इस दौरान, खत्तावासियों से वनों पर निर्भरता कम करने के उपायों पर विचार विमर्श किया गया और उन्हें स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण देने की योजना भी बनाई गई। विभाग ने खत्तावासियों को जूट बैग, सिलाई, कढ़ाई, मोमबत्तियां, धूपबत्तियां और अगरबत्तियां बनाने का प्रशिक्षण देने का प्रस्ताव रखा, ताकि वे अपने जीवन में बदलाव ला सकें और वनों पर निर्भरता कम कर सकें।

इस बैठक में वन क्षेत्राधिकारी भानु प्रकाश हर्बाेला ने ग्रामीणों से यह अनुरोध किया कि वे वनों के आसपास आग जलाने से बचें और कूड़े को जलाने के बजाय उसे अपनी निगरानी में बुझा दें। उनका कहना था कि वनों में आग की घटनाओं से न केवल वन्यजीवों का जीवन संकट में पड़ जाता है, बल्कि जंगलों की पारिस्थितिकी तंत्र भी प्रभावित होती है। वनाग्नि की घटनाएं वन्यजीवों के आवासों को नष्ट कर देती हैं और यह उन क्षेत्रों में रहने वाले अन्य जीवों के लिए भी हानिकारक होती हैं। भानु प्रकाश हर्बाेला ने यह भी बताया कि यदि कोई वनाग्नि की घटना होती है, तो उसे तुरंत स्थानीय बीट स्टाफ को सूचित करना चाहिए, ताकि त्वरित कार्रवाई की जा सके और आग को फैलने से रोका जा सके। इस प्रकार की सूचनाओं को सही समय पर प्राप्त करना, न केवल वन विभाग के लिए बल्कि वन्यजीवों के लिए भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
बैठक में उपस्थित सभी अधिकारियों और ग्रामीणों ने वन विभाग की पहल का समर्थन किया और वनाग्नि सुरक्षा के लिए अपने सहयोग का आश्वासन दिया। इस कार्यक्रम में विशेष रूप से उन गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जो जंगलों की सुरक्षा और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए कारगर हो सकती हैं। ग्रामीणों को यह भी समझाया गया कि उनके सहयोग से वन विभाग अधिक प्रभावी तरीके से कार्य कर सकता है और जंगलों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसके अलावा, वन विभाग ने इस कार्यक्रम के माध्यम से स्थानीय लोगों को यह संदेश दिया कि वे जंगलों के संरक्षण में सहयोग करें, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षित रखा जा सके।

बैठक में भाग लेने वाले अधिकारियों में भानु प्रकाश हर्बाेला, वन क्षेत्राधिकारी, बिजरानी रेंज, सरत सिंह बिष्ट, वन दरोगा, कु. मानसी अरोरा, वन दरोगा, मोहन चंद्र उप्रेती, वन आरक्षी, प्रमोद सत्यवली, रेंज कार्यालय प्रभारी, रितेश त्रिपाठी, वन आरक्षी और रवि थपलियाल, ग्राम पारिस्थितिकी विकास समिति के अध्यक्ष थे। इसके अलावा, स्थानीय बीट स्टाफ और खत्तावासी भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे। यह बैठक इस दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण थी, क्योंकि इसने वन विभाग और स्थानीय समुदाय के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया, जिससे जंगलों की सुरक्षा और वन्यजीवों के संरक्षण में सकारात्मक बदलाव आ सके। इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए बेहद जरूरी है, ताकि भविष्य में वन्यजीवों की सुरक्षा को और मजबूत किया जा सके।