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वंदना कटारिया स्टेडियम नाम बदलने पर कांग्रेस का उबाल सरकार पर कडा हमला

वंदना कटारिया स्टेडियम का नाम बदलने पर भड़की कांग्रेस सड़कों पर उतरा दलित समाज बोला नहीं सहेंगे बेटियों का अपमान।

हरिद्वार। वंदना कटारिया स्टेडियम का नाम बदलने के खिलाफ कांग्रेस कार्यकर्ताओं का विरोध लगातार तेज होता जा रहा है, और यह आंदोलन अब चौथे दिन भी पूरे जोश के साथ जारी है। रोशनाबाद स्थित इस खेल परिसर के बाहर महानगर कांग्रेस कमेटी की अगुवाई में डटे हुए कार्यकर्ता सरकार से स्पष्ट और ठोस जवाब की मांग कर रहे हैं। विरोध प्रदर्शन के दौरान उत्तराखंड स्वतंत्रता सेनानी प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष मुरली मनोहर और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वरुण बालियान ने कहा कि एक ऐसी बेटी, जिसने अपने हौसले और हुनर से पूरे देश को गौरवान्वित किया, उसके नाम पर बने स्टेडियम का नाम बदलना इस बात का प्रतीक है कि वर्तमान सरकार महिलाओं और दलितों के प्रति किस प्रकार की सोच रखती है। उनका यह भी कहना था कि सरकार का यह निर्णय केवल एक नाम परिवर्तन नहीं, बल्कि एक सशक्त महिला खिलाड़ी और उसके पूरे समुदाय का अपमान है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक सरकार अपने इस निर्णय को वापस नहीं लेती और पुनः स्टेडियम को वंदना कटारिया के नाम से घोषित नहीं करती, तब तक धरना अनवरत जारी रहेगा। इस मौके पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनोज सैनी और तीर्थपाल रवि ने जोर देकर कहा कि जब कोई खिलाड़ी विषम परिस्थितियों में सफलता की ऊँचाइयों को छूकर देश और प्रदेश का नाम रोशन करता है, तो उस खिलाड़ी के सम्मान की रक्षा करना सरकार का नैतिक दायित्व बनता है। लेकिन, यहां सरकार ने जो किया, वह न केवल खेल भावना के खिलाफ है, बल्कि उस खिलाड़ी की वर्षों की मेहनत को भी अपमानित करता है। उन्होंने चेताया कि अगर सरकार ने यह फैसला वापस नहीं लिया तो कांग्रेस अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग, खिलाड़ियों और महिलाओं को साथ लेकर पूरे राज्य में एक बड़ा जनांदोलन खड़ा करेगी, जो सरकार की नीतियों को सवालों के कठघरे में खड़ा करेगा।

कांग्रेस की यह लड़ाई अब केवल एक नामकरण को लेकर नहीं रह गई है, बल्कि यह महिला सम्मान और सामाजिक न्याय की रक्षा का प्रतीक बन चुकी है। प्रदर्शन में शामिल पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष राव आफाक अली और युवा कांग्रेस नेता अमरदीप रोशन ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि जब एक बेटी ने अपने संघर्ष और मेहनत से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश को गौरव दिलाया, तो उसी की पहचान को मिटाना भाजपा सरकार की महिला विरोधी मानसिकता को उजागर करता है। उनका यह भी कहना था कि सरकार ऐसी बेटियों को सम्मान देने के बजाय उनका मनोबल तोड़ने का काम कर रही है, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कांग्रेस इस अपमान को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी और जब तक इस निर्णय को रद्द नहीं किया जाता, तब तक विरोध की आग शांत नहीं होगी।

जनता के बीच यह संदेश भी तेजी से फैल रहा है कि सरकार एक तरफ श्बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओश् जैसे नारे देती है, लेकिन दूसरी ओर उन्हीं बेटियों का अपमान करके असलियत उजागर कर देती है। इस विरोध प्रदर्शन में भाग ले रहे पार्षद सुनील कुमार और पुनीत कुमार ने गुस्से में कहा कि स्टेडियम से वंदना कटारिया का नाम हटाना सीधे तौर पर दलित समुदाय की बेटियों के आत्मसम्मान पर चोट है। उन्होंने यह भी कहा कि यह निर्णय यह दर्शाता है कि सरकार आज भी समानता और न्याय की भावना से बहुत दूर है। अगर वास्तव में सरकार को महिलाओं और दलितों की चिंता होती तो वह ऐसी अपमानजनक कार्रवाई करने से पहले दस बार सोचती। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस बार सरकार को इस फैसले की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी क्योंकि यह अब पूरे समाज का सवाल बन चुका है।

प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने इस अपमानजनक निर्णय को तुरंत रद्द नहीं किया, तो दलित समाज सड़कों पर उतरकर ऐसा जनसैलाब पैदा करेगा जो सत्ता की नींव तक हिला देगा। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि अब यह सिर्फ एक स्टेडियम का मुद्दा नहीं रह गया है, बल्कि यह पूरे दलित समाज और महिलाओं के आत्मसम्मान की लड़ाई बन गया है। उनका कहना है कि यदि यह निर्णय वापस नहीं लिया गया, तो दलित समाज अपने अपमान का जवाब लोकतांत्रिक तरीके से देगा और यह दिखा देगा कि वह अब चुप बैठने वाला नहीं है। इस मौके पर दिनेश कुमार, पूर्व प्रधान नरेश कुमार, पार्षद शहाबुद्दीन, वीरेंद्र भारद्वाज, चंद्रशेखर कटारिया, कुंवर सिंह बिष्ट, जावेद, अक्षय नागपाल, जयकिशन नेवली, इदरीश, साजिद, महेंद्र गुप्ता, अतुल गुंसाई, बसंत सिंह, बीएस तेजयान, बलकार सिंह, जिशान, अयान सैफी, अज्जू समेत सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने सरकार के फैसले के खिलाफ आक्रोश जताया और इसे जनविरोधी कदम करार दिया।

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